सफलता की संभावना है, पर चाहिए गंभीर प्रयास
7 मई- विश्व एथलेटिक्स दिवस, सभी खेलों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
खेलकूद में एक खिलाड़ी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तब संभव होता है जब वह शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त हो याने फिटनेस बनाए रखना प्रत्येक खेल प्रतिभागी की सफलता के लिए प्रथम अनिवार्य शर्त है। इसके साथ ही स्टेमिना अर्थात् शरीर की ताकत तथा ऊर्जा का अपना महत्व होता है। अगर आप चुस्त-दुरुस्त हैं और आपके शरीर में जोश भरा हुआ है तो एक खिलाड़ी अपने खेल मैदान में सब कुछ पा सकता है। स्टेमिना मानसिक व शारीरिक दोनों प्रकार की जरूरी है। फिटनेस याने शरीर के प्रत्येक अंग की सक्रियता खेल जीवन में सफलता का सबसे बड़ा मूल मंत्र है। खेलों की दुनिया बहुत विशाल है। कहते हैं जैसा देश वैसा भेष, लगभग यही स्थिति खेलकूद में है अलग-अलग महाद्वीपों, देशों, देश के अंदर के क्षेत्रों में खेल का स्वरूप कुछ न कुछ अलग होता है। लेकिन निर्णायक बात यही है कि एथलेटिक्स एक ऐसा खेल है जिसमें निहित दौडऩा, कूदना, उछलना एवं फेंकना शामिल होता है। इस दृष्टि से एथलेटिक्स को सभी खेलों का राजा या खेलों का पितामह भी कहा जाता सकता है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ या खेल के विश्व खेल संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त खेलों में कुछ एक को (जैसे शतरंज, कैरम आदि) को छोड़ दिया जाए तो सभी में दौडऩे, कूदने, उछलने, फेंकने में से कम से कम दो क्रिया सम्मिलित होती ही है। एथलेटिक्स खेल के किसी इवेंट में विजयी होने के लिए मैदान में अनुशासन, समय के पाबंद होने के साथ समर्पण और मैदान में पसीना बहाने के गुण होने चाहिए। 7 मई को विश्व एथलेटिक्स दिवस में पूरे मानव समाज को यही संदेश इस खेल के द्वारा दिया जा रहा है। जिस तरह एथलेटिक्स सिद्धांतों के सिद्ध गुणों में संतुलन, समन्वय, शक्ति, सटीकता, समय व गति का महत्व होता है वह सब विशेषता पृथ्वी के निवासियों व खिलाडिय़ों में आ जाए तो जिंदगी को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। भारतीय खिलाडिय़ों की विश्व स्तर पर एथलेटिक्स में सफलता की बात करें तो अभी तक परिणाम निराशाजनक रहे हैं। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में 1896 से 2020 तक एथलेक्टिस के एक इवेंट भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने 2020 में स्वर्ण पदक जीता है जबकि विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज ने ही 2022 में रजत साथ ही अंजू बॉबी जार्ज ने महिलाओं के लंबी कूद में 2003 में कांस्य पदक जीता था। 1983 से आरंभ विश्व स्पर्धा में भारत ने एथलेटिक्स में 2009 से भाग लेना शुरू किया और 2011, 2013, 2015, 2017, 2019, 2022 में भारतीय प्रतिभागियों ने अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी। वस्तुत: 2010 में नई दिल्ली के राष्ट्रमण्डल खेलों के पश्चात ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के प्रति भारतीय खेल प्रशासकों, राजनेताओं ने दिलचस्पी दिखाई और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार के खेल एवं युवा विभाग, भारतीय खेल प्राधिकरण तथा भारतीय ओलंपिक संघ व कई राज्यों, निजी व सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा अन्य खेलों के साथ एथलेटिक्स को तथा उनसे जुड़े खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। 2024 के पेरिस (फ्रांस) ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में पुरुष/महिला वर्ग में कुल 48 इवेंट के लिए मुकाबला होगा। इसमें 100मी., 200, 400, 800, 1500, 5000, 10000 मी. दौड़, 110, 400 मीटर बाधा दौड़, 3000 मी. स्टीपलचेस, 4&100, 4&400 मीटर रिले, मैराथन, 20 किमी पैदल चाल, ऊंची, लंबी, तिहरी, बांसकूद, गोला, तवा, हैमर, भाला फेंक और डेकेथलान शामिल है जबकि महिलाओं में बाधा दौड़ 100मी., तथा हेप्टाथलान इवेंट होंगे। दो मिश्रित इवेंट 4&400 रिले तथा मैराथन वाक रिले भी है। इस तरह एथलेटिक्स में संभावना बहुत है। ओलंपिक खेलों में 147 पदक दांव पर लगते हैं। दूसरे देशों में इस खेल की सफलता के पीछे अत्याधुनिक तकनीक की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमारे देश के एथलीट को जानना जरूरी है कि पेरिस 2024 के ओलंपिक खेलों के 100मी. दौड़ के लिए पुरुष वर्ग के लिए 10.00 सेकंड और महिलाओं के लिए 11.07 सेकंड योग्यता हासिल करने का मापदण्ड है। इस तरह की जानकारी होने के बाद ही हम विश्वस्तरीय एथलीट तैयार कर सकते हैं।