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खेल – मनोरंजन

पाने और खोने का नाम है जिंदगी

ओलंपिक पदक विजेता टोरी बॉवी का निधन,जन्म लेते प्रश्न

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
जिंदगी एक सफर है। मनुष्य जन्म लेता है और अपनी प्रतिभा मेहनत के आधार पर अपना लक्ष्य पाने की कोशिश करता है। कुछ लोग अपने सपने को पूरा कर लेते हैं। कुछ बीच सफर में हार मान लेते हैं या फिर थक कर अपना ठिकाना बदल लेते हैं। पैदा होते ही माता-पिता अभिभावक अपने होनहार के लिए सपने संजो लेते हैं। कुछ बच्चे अपने पैरों पर खड़े होते होते जीने का अपना उद्देश्य खुद ही निश्चित करते हैं।
इस जगत में जन्म लेने वाला कोई तो खिलाड़ी, वैज्ञानिक, इंजीनियर, डाक्टर,सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता आदि बनना चाहते हैं। इसमें से खिलाड़ी बनने की चाहत रखने वालों को आरंभ से ही खेल मैदान में अपनी प्रतिभा को जग जाहिर करना पड़ता है। इसके पश्चात कठोर परिश्रम, प्रशिक्षण,संतुलित आहार आदि के माध्यम से एक खिलाड़ी धरती से आसमान तक का सफर तय करता है। प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का दबाव सदैव बना रहता है। स्थानीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे प्रतिभागियों को पराजित करने की चाहत की वजह से खिलाड़ी पर निरंतर मानसिक दबाव रहता है। एक बार विजेता बनने के बाद या फिर मनमाफिक मेडल जीत लेने के उसी प्रदर्शन को बरकरार रखने लिए जी तोड़ मेहनत एक खिलाड़ी का लक्ष्य होता है।
ओलंपिक और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली अमेरिकी खिलाड़ी टोरी बॉवी का सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में निधन हो जाना बेहद दुखद और चिंताजनक है। सिर्फ 17 वर्ष की उम्र में बास्केटबाल, 100 मीटर की दौड़, लंबीकूद और 43100 मीटर रिले में अमरीका के मिसीसीपी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का डंका बजाने वाली टोरी ने आगे चलकर एथलेटिक्स के ट्रेक व फील्ड इवेंट में अपना ध्यान केंद्रित किया। जिसका परिणाम उन्हें 2015 में बीजिंग में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक पदक जीतकर मिला। इसके पश्चात 2016 के रियो द जनेरियो ओलंपिक उनके परिश्रम का सुखद परिणाम लेकर आया और उन्होंने इस ग्रीष्मकालीन खेल के 43100मी रिले में स्वर्ण,100 मी. दौड़ में रजत,200 मी. दौड़ में कांस्य पदक पर कब्जा जमाकर सफर तय किया। 2017 के लंदन विश्व एथलेटिक्स स्पर्धा में बॉवी ने 100 मीटर के साथ 43100मी रिले में दो स्वर्ण हासिल कर खेल जगत में तहलका मचा दिया। 27 वर्ष की उम्र तक टोरी ने एथलेटिक्स में शानदार अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की। उसके बाद फिर कभी इन ऊंचाईयों को नहीं पा सकी और 2019 के दोहा विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिर्फ लंबी कूद के लिए योग्यता हासिल कर सकी थी। जिसमें भी उन्हें कोई पदक नहीं मिला। 2019 के पश्चात खेलकूद की दुनिया से उनका नाम गायब हो गया और वे आरेंज सिटी,फ्लोरिडा,यूएसए में एक संस्था में कार्यरत रही। आखिरकार 2 मई 2023 को सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में उनके मौत की खबर आई।
टोरी बॉवी की मौत उन सभी खिलाडिय़ों के लिए को सतर्क करने के लिए काफी है जो लगातार सफलता प्राप्त करते रहते हैं और यही उम्मीद बढ़ती उम्र आने पर भी करते हैं। टोरी ने 2007 से 2019 तक अर्थात 17 से 29 वर्ष तक अपनी जिंदगी का बेहतरीन समय बिताया। किसी भी खिलाड़ी का खेल जीवन वास्तव में 15 से 20 वर्षों का होता है। यह सबक भारत ही नहीं संसार के समस्त खिलाडिय़ों को स्वीकार करना चाहिए। एथलेटिक्स में तो 13 से 18 वर्ष का खेल सफर आदर्श होता है। टोरी ने अपनी इच्छानुसार सफलता हासिल कर ली थी परंतु जीवन का एकाकीपन,अच्छे दोस्त या पारिवारिक जीवन का अभाव, धोखा आदि ने प्रतिभाशाली खिलाड़ी को इस जगत से हमेशा के लिए छिन लिया। टोरी की मौत की वजह चाहे जो भी हो परंतु प्रत्येक खिलाड़ी को सुखद व सफल जीवन व्यतीत करना है तो यह सच्चाई स्वीकार करना चाहिए कि अब समय हो चला,आने वाली पीढ़ी का स्वागत करने के लिए हमें मैदान छोड़ देना चाहिए। भलाई इसी में है और खुशहाल जिंदगी का मार्ग भी यही है।

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