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छत्तीसगढ़

एड्स पीडि़त महिला व परिवार का पंचायत नहीं बना रहा जॉब कार्ड

राजिम (पाण्डुका)। आदिवासी विकासखंड छूरा के एक ग्राम पंचायत में एचआईवी (एड्स) पीडि़त परिवार के साथ दुर्भावना सहित सरकारी योजनाओं का लाभ ना मिलने का मामला सामने आया है ।बता दे कि विकासखंड छूरा के एक ग्राम पंचायत ऐसा भी है जहा जागरूकता की कमी के कारण एक एचआईवी पीडि़त महिला और उसके परिवार के साथ पंचायत सहित ग्रामीणों के दूरभावना का शिकार हो रही है आज के समाज में जहां लोग छुआछूत भेदभाव जैसे कुरीतियों से दूर होने की बात कहते हैं ।असल जिंदगी में आज भी ग्रामीण अंचलों में यह रूढ़ी वादी विचारधारा खत्म होने का नाम नही ले।रहा है । इसकी वजह से कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें जिल्लत की जिंदगी जीना पड़ता है ऐसा ही एक वाक्या विकासखंड मुख्यालय के 20 किलो मीटर दूर एक गाव में देखने को मिला जहां एक एचआईवी पीडि़त महिला के परिवार को सामाजिक कुर्तियों का दंश झेलना पड़ रहा है साथ ही साथ स्वस्थ विभाग भी ग्रामीणों को।जागरूक नहीं कर पा रहे है ।तो वही जिम्मेदार ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव पदाधिकारियों का ऐसा रवैया की सहयोग की बजाय शासकीय योजनाओ से वंचित करने में तुले है । बता दें कि इस ग्राम पंचायत में एचआईवी पीडि़त महिला के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं और वह अपने पति के साथ एक किराए के घर में निवास करती हैं लगभग 20 साल से इस गांव में वहां उसका पति निवासरत है जिनके पास वोटर आईडी, आधार कार्ड ,राशन कार्ड ,पैन कार्ड ऐसे जैसे बहुत सारे दस्तावेज है जो।यह दर्शाता है की पीडि़त परिवार इसी गांव का निवासी है ।इसके बावजूद की आज तक ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा के तहत जॉब कार्ड नहीं बनाया गया है ।और जब नहीं बनने का कारण पूछा गया था पीडि़त महिला ने बताया कि रोजगार सहायक कहती है कि गांव वालों से तुम मिल लो फिर मैं तुम्हारा जॉब कार्ड बनाऊंगी साथ ही घर के नल कनेक्शन को भी काट।दिया गया है। जिस कारण दूसरे के घर या मोहल्ले से पानी लाना पड़ता है। बता दें कि महिला ने अपनी आप बीती रोते हुए मीडिया के सामने बताइ हाला की सामाजिक दंश से बुरी तरह प्रभावित उसका पति कुछ भी बोलने से हिचकिचा रहा था।और वह गांव वा पंचायत के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था ।पर पीडि़ता महिला ने अपने ऊपर हो रहे ।इस प्रकार के गलत कार्यों के प्रति आवाज उठाई और अपनी दुख व्यक्त कि और उसने बताया की किस प्रकार हम लोग सामाजिक दुर्भावना का शिकार हुए है एवं जिल्लत की जिंदगी जी रहे हैं । उसने बताया की एक समाज विशेष के लोग खासा प्रताडि़त कर रहे हैं साथ ही ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक रोजगार गारंटी के तहत जॉब कार्ड नहीं बनाया है और नल जल का कनेक्शन भी हमारे घर का काट दिया गया है महिला ने अपनी आपबीती बताई कि उड़ीसा में ससुराल गई थी और उनके ससुराल पक्ष वालों ने जब वह 4 माह की गर्भावस्था में थी तो ओडिसा के एक अस्पताल में खून का बाटल चढ़ाया था । और मैं वही से संक्रमित हो गई । इसकी जानकारी जब उसके ससुराल वाले को पड़ा तो उन्होंने मुझे मायके में बैठा दिया । इसके बाद गांव के ही एक व्यक्ति जो महासमुंद जिले से आकर हमारे गांव में बसे एक युवक से हम दोनों ने शादी कर लिए और हम दोनों के दो बच्चे भी है वा दोनों बच्चे स्वस्थ है और वह एचआईवी पीडि़त नहीं है उस समय जब दोनों ने शादी की तो समाज के ठेकेदारों ने हम दोनों से ?10 ,10 हजार आर्थिक रूप से दंड भी लिया था पर इतने में भी समाज के ठेकेदारों कलेजा नहीं पसीजा।और आज भी बदला ले रहे है । वही पीडि़त महिला ने ।यह भी बताया कि उनके मायके इसी गांव में है और समाज के ठेकेदारों की वजह से वह मैं अपने मां बाप से भी मिलने नहीं जा सकती ना ही उनके गली में पैदल चल सकती हु । क्योंकि हम घृणा की दृष्टि से देखा जाता है वही इस बीमारी के इलाज के लिए रायपुर ,राजिम, छुरा,आना जाना पड़ता है ।इस कारण शासन की ओर से परिवहन विभाग द्वारा बस पास भी जारी किया गया है। पर बस वाले लोग जानबूझकर हमे अपनी बस में नहीं।बैठते हैं ।और इस प्रकार हम लोग सामाजिक दंश झेल रहे हैं एवं लोग हमें घृणा की दृष्टि से देखते हैं जैसे तैसे कर कर कुछ लोगों की यह रोजी मजदूरी कर कर अपना जीवन यापन व्यतीत कर रहे हैं एवं रोजगार गारंटी के तहत मिलने वाले किसी भी योजना का लाभ हम को नहीं मिल रहे हैं 4 महीने पहले हम लोग का राशन कार्ड बनाया गया है । जबकि हम लोग बीते लगभग 20 साल से यहां निवासरत है और बकायदा मतदान भी करते हैं पर ग्रामीणों सहित पंचायत प्रतिनिधियों की निरंकुशता के आगे हम लोग नतमस्तक और लाचार हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं । ऐसे में हमे अपने छोटे छोटे बच्चो की भविष्य की चिंता सता रहा है।वही इस बारे में संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच से पता करने उनके निवास पहुंचा तो सरपंच पति चुम्मन लाल ने सरपंच से मिलने नही दिया और तबियत खराब होने का बहाना।बना दिया ।और पीडि़त।परिवार से मैं जाकर मिलने की बात कही ।
वही ग्राम पंचायत सचिव झंगलू राम से पूछने पर बताया की ऐसी किसी बात की जानकारी नहीं है मुझे इतना बड़ा ग्राम पंचायत है छोटी मोटी बाते हो जाती है ।हड़ताल खत्म होने के बाद पंचायत प्रस्ताव बना कर जॉब कार्ड बना देंगे ।
तो वही इस बारे में ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक कमलेश्वरी सिन्हा से पूछने पर उन्होंने बताया की गांव में कई प्रकार की बांते होती है । पर उपसरपंच को बोलकर उनका जाब कार्ड बनाए जाने के लिए बोल देती हु।
कार्ड बन जायेगा कोई दिक्कत नही है ।और अभी मैं छुट्टी में हू और प्रभार दूसरे रोजगार सहायक को दी हूं।
डॉक्टर हरीश चौहान जनरल सर्जन जिला अस्पताल गरियाबंद ने बताया की एच आई वी (एड्स)पीडि़त महिला,पुरुष परिवार के साथ ऐसे किसी प्रकार के गलत व्यवहार ना करे जागरूकता के अभाव में ऐसा हो रहा है तो गलत है।क्यों की ये किसी प्रकार के संक्रमित रोग नही है ।पीडि़त के साथ मिलकर रहने, बोलने,साथ में खाना खाने ,हाथ मिलाने से नही फैलता है। मेरा ग्रामीणों से अपील है कि उनके साथ सामान्य लोगो की तरह व्यवहार करे ।

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