इस बार परिवारवाद बनाम जातिवाद की लड़ाई राजिम विधान सभा में
राजिम । विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे यहां मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है इस बार यहां कांग्रेस के शुक्ल परिवार और क्षेत्र के साहू समाज की साख दांव पर लगी है बता दे कि छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटो में से 20 में मतदान हों चुके है बाकी 70 सीट में 17 नवंबर को मतदान होना है। ऐसे में राजिम विधानसभा सीट भी कांटे की टक्कर वाली सीट साबित होने वाली है कुल 11 प्रत्याशियों में यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला है बाकी 9 प्रत्याशियों का ज्यादा माहौल नही है कांग्रेस से पूर्व पंचायत मंत्री अमितेश शुक्ला मैदान में है राजिम के स्थानीय युवा रोहित साहू को भाजपा ने मौका दिया है ऐसे में रोहित साहू उस समाज से आते हैं जिस समाज का बहुलता राजिम विधानसभा सीट में देखी जाती है ऐसे में साहू समाज की अपनी एकता का परिचय इस चुनाव में देखने को मिलेगा तो दूसरी तरफ कांग्रेस के वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ल जिनका पारिवारिक बैकग्राउंड राजनीति से जुड़ा है। पंडित श्यामाचरण शुक्ल जो अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और राजिम से चुनाव लडे थे। और तब से उनका परिवार का आरक्षित सीट माना जाता है और इस बार इस परिवार का साख दांव पर लगा है अगर चुनाव जीत जाते है तो आने वाले समय में इन्हें परिवार के अन्य सदस्य को फिर मौका मिलेगा और अगर हार जाते है तो आने वाले समय में कांग्रेस से स्थानीय या साहू समाज के किसी को मौका मिलेगा और अब समय बदल गया है।इसलिए इस बार का चुनाव यह परिवारवाद और जातिवाद सहित स्थानीय प्रत्याशियों को लेकर लड़ा जा रहा है देखना होगा कि इस दिलचस्प मुकाबले में पिछले 2018 के चुनाव में भाजपा को 58 हजार के भारी मतों से हराकर राजिम विधानसभा में कीर्तिमान रचने वाले शुक्ला को क्या जनता फिर से मौका देगा या फिर साहू समाज के मतदाता अपने समाज के इस प्रत्याशियों मौका देगा भले ही दोनों पार्टियों में साहू समाज के लोग विभिन्न पदाधिकारी के रूप में हो पर जहां जातिवाद की बात आती है वहां राजनीतिक पार्टियों के नियम किनारे हो जाता है। ऐसा कुछ इन दोनों राजिम विधानसभा सीट में देखने को मिल रहा है जिसमें रोहित साहू को समाज का आशीर्वाद तो मिल रहा है साथ ही सुनने में मिल रहा है की कांग्रेस के कई कार्यकर्ता जो साहू समाज से हैं ।वह भी रोहित साहू का अंदरुनी समर्थन कर रहे हैं।हाला की हम बात पुष्टि नहीं कर सकते पर ऐसा चौक चौराहा में सुनने को मिल जाता है।चुनावी माहौल गरमा रहा है।
जिस वजह से इस बार परिवारवाद बनाम जातिवाद के रूप में यह चुनाव मोड़ ले रहा है हमेशा से केंद्र हो या राज्य में परिवार वाद को लेकर बाते होती रहती है और यहां भी परिवार वाद साफ साफ दिखाई दे रहा है।तथा राजिम के नाम से बने विधायक को रायपुर में ढूंढने को लेकर हमेशा से बातें आते रहती हैं इस वजह से इस बार मतदाता स्थानीय विधायक और अपना नेता चुनने के मुड में हैं ।जिसमें आसानी से राजीम में मुलाकात कर सके और अपनी समस्याएं बता सके साथ ही क्षेत्र का विकास हो सके।राजिम विधान सभा सीट के फिंगेश्वर ,छुरा के कुछ और गरियाबंद के कुछ हिस्सा ही राजीम विधानसभा में आते हैं जिसमें फिंगेश्वर ही ऐसा ब्लॉक है जिसमें सभी गांव राजिम विधानसभा सीट में आते हैं और इन गांव में साहू समाज की बहुलता एवं एकता है और अगर भाजपा प्रत्याशी साहू समाज को एकजुट करने में सफल हो गया तो मानो कांग्रेस का सुपड़ा साफ होना तय है। क्योंकि जिस तरह से जातिवाद की एकता को लेकर अनुमान लगाया जा सकता है उसमें कांग्रेस को करारी हार मिल सकता है।और साहू समाज एकजुट होने का उदाहरण पेश कर सकता है।जो आने वाले भविष्य में कई मोर्चे सफल साबित होगा।