खेल – मनोरंजन

बेकाबू चाहत और उम्मीद का असर

कतर फुटबाल विश्वकप 2022 के नतीजों के उपरांत प्रदर्शन, दंगे, अशांति क्यों?

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
मानव सभ्यता के शुरुआत से ही खेलकूद को समय बिताने, मनोरंजन करने, आक्रमण के पूर्व शारीरिक चुस्ती बनाए रखने का साधन माना जाता था। समय के परिवर्तन के साथ ही खेलों के नियम, खेल मैदान, खेल सामग्री आदि बनते चले गये। हार-जीत के लिए जैसे युद्ध में रणनीति बनाई जाती थी वैसे ही विपक्षी को पछाड़ने के लिए कार्य योजना तैयार किया जाने लगा। आमतौर पर यह सर्व स्वीकार है कि आधुनिक खेल गतिविधियों का प्रारंभ 16वीं सदी में हुआ। हमारे संसार की भूमि चूंकि मुख्य रूप से सात तरह के भू-भाग में विभक्त है। इन भू-भागों को एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, अंटाकर्टिका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका, आस्ट्रेलिया में विभक्त किया गया है। जब कोई विश्व स्तर की स्पर्धा होती है तब इन्हीं महाद्वीपों से टीम को भाग लेने का अवसर मिलता है। जय-पराजय को लेकर महाद्वीप स्तर पर या फिर राष्ट्र स्तर पर प्रतिष्ठा का प्रश्न बन जाता है। खेल चाहे जो भी हो प्रत्येक देश की टीम के प्रशंसक, समर्थक होते हैं। खेलकूद प्रतियोगिता का हाल अब वैसा नहीं रहा। अब तो हर टीम, उसके समर्थक, चाहने वाले अपने को सफल होते देखना चाहते हैं। यही वजह है कि खेल स्थल पर टीम के खिलाड़ी और बाहर देशवासी या दर्शक अपने पसंद की टीम, खिलाड़ी को पराजित होते नहीं देखना चाहते। अभी हाल ही में एशियाई देश कतर में फुटबाल का विश्वकप 2022 सम्पन्न हुआ। मुख्य सपर्धा में 32 टीम ने जगह बनाई थी। इसमें वरीयता क्रम में 1 से 5, 7 से 16, 18 से 22, 24, 26, 28, 30, 31, 38, 41, 43, 44, 50, 51, 61 की टीम शामिल थी। स्पर्धा में विजेता की दावेदार प्रमुख रूप से वरीयता क्रम की पहले चार स्थान प्राप्त ब्राजील, बेल्जियम, अर्जेंटीना, फ्रांस की टीम थी। संयोग देखिए सेमीफायनल में वरीयता क्रम की 3 नंबर अर्जेंटीना, 04 नंबर पिछली विजेता फ्रांस, 12 नंबर क्रोएशिया, 22 नंबर मोरक्को की टीम पहुंची। याने स्पष्ट है कि एक से 22 तक वरीयता प्राप्त टीमों में से 18 टीम खिताबी दौड़ से बाहर हो गई। 6 नंबर की इटली की टीम मुख्य दौर में पहुंचने की योग्यता हासिल नहीं कर पाई थी। कतर में 20 नवंबर से प्रांरभ चैंपियन बनने के लिए मुकाबले होते चले गये। ऊपरी योग्यता क्रम की टीम जैसे-जैसे ताश के पत्तों के समान ढहती चली गई वैसे-वैसे समर्थक देशों को आम जनता में गुस्सा भरता चला गया। विश्व की दो नंबर की टीम बेल्जियम स्टेज राउंड में ही मात खाकर बाहर हो गई। जैसे ही यह खबर पहुंची बेल्जियम के विभिन्न शहरों में वहां के खेलप्रेमियों, आम लोगों का अपने आप पर काबू नहीं रहा और तोड़फोड़, पुलिस के साथ झीना झपटी, प्रदर्शन, दंगा शुरु हो गया। लगभग यही स्थिति फ्रांस, ब्राजील, स्पेन आदि देशों का रहा। माना जाता है कि इन देशों में पढ़े-लिखे लोग हैं जो सभी परिस्थिति को समझते हैं तो फिर वे बेकाबू क्यों हो जाते हैं? यह प्रश्न आज के आधुनिक युग में सिर्फ फुटबाल ही नहीं बल्कि कुछ अन्य खेलों की स्पर्धाओं के परिणाम को लेकर है। इसके कई कारण है जिसमें प्रमुख एक अपनीटीम के प्रति लगाव और दूसरा मीडिया की भूमिका है। मीडिया के विभिन्न माध्यम से चैंपियनशिप आरंभ होने से पहले श्रोताओं, दर्शकों, खेलप्रेमियों को समीक्षा, त्वरित टिप्पणी, आंकड़ों के माध्यम से हर कोई अपनी-अपनी टीम को श्रेष्ठ बताता है। मनोवैज्ञानिक रूप से इसका असर युवाओं से लेकर देश की जनता पर पड़ता है जब नतीजा विपरीत आता है तो उनके मन मस्तिष्क में आक्रोश उत्पन्न हो जाता है जिससे अनहोनी होती है। अत: मैच के बारे में किसी टीम के बारे में विश्लेषण करते समय संयम बरतना चाहिए।

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