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छत्तीसगढ़

किसी के उपकार को नही भूलना चाहिए और उसे चुकाने का प्रयास करना चाहिए:पं.पंकज

महासमुंद। किसी के उपकार को भूलना नही चाहिए, और जब भी समय आए उसे चुकाने का प्रयास करना चाहिए। राम अवतार में वानरों ने प्रभु श्रीराम की वनवास के समय बहुत सहायता की थी जिसे श्री कृष्ण अवतार में भगवान ने मां यशोदा के हाथ से बने मक् ान खिलाकर चुकाने का प्रयास किया। ग्राम भदरसी में चल रहे श्रीमद भावगत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में व्यासपीठ से भगवत कथा का बखान करते हुए पं. पंकज तिवारी ने श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का बखान किया। उन्होंने माखन चोरी प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि गोकूल की गोपियां भगवान कृष्ण को अपने हाथों से माखन खिलाना चाहती थी इसलिए उसे पकडऩे का हर संभव प्रयास करती लेकिन सफल नही हो पाते थे, किसी ना किसी रूप में भगवान श्री कृष्ण अपनी सखाओं के साथ माखन चोरी कर सखाओं को खिलाकर आनंद लिया करते थे। ऐसे ही माखन चोरी के समय भगवान कृष्ण गोपी के पकड़ में आ गए तो उसे मनाने के लिए भगवान ने गोपी के कहने पर न केवल उनके हाथ से माखन खाया बल्कि पांच वर्ष की उम्र में कमर और सिर में हाथ रखकर नृत्य भी किया। सही मायने में भगवान श्री कृष्ण केवल व केवल गोपियों के प्रेम भाव के कारण ही उनकी इच्छाओं को पूर्ण करते रहे। वहां से जब घर पहुंचे तो मां यशोदा अपने हाथों से माखन खिलाने का प्रयास किया तो वह दुग्धपान करने का हट करने लगा और उनकी इच्छाओं को पूरी करने के लिए माता यशोदा ने दुग्धपान कराया। उसी समय दुग्ध उबलने की आवाज आने पर भगवान को बैठाकर चली गई इसी समय बाल सखा आए तो बालसाखाओं ने पूछा कि आज कहां चलना है तो श्री कृष्ण ने कहा आज कही नही जाना है। मां यशोदा ने अपने हाथों से प्रसाद स्वरूप प्रसाद तैयार किया है जिसे हम सभी को ग्रहण करना है। इसी समय वहां पर उछलकूद कर रहे वानरों को भी प्रभु ने अपने पास बुलाकर मां यशोदा के हाथ से बने माखन रूपी प्रसाद को खिलाया और राम अवतार के समय वानरों द्वारा किए गए उपकार को चुकाने का प्रयास किया। साथ ही बालसाखाओं के साथ स्वयं माखन का आनंद लेते रहे जब माता लौटी तो दृश्य देखकर क्रोधित और भगवान को दंड देने के लिए ओखल से बांध दी। कुछ देर बात ओखल को खीचते हुए आंगन में खड़े पेड़ के बीच से निकलते हुए पेड़ को गिराया और जड़ रूप में खड़े नल कुबेर का उद्वार कर श्रापमुक्त किया। नारद ने गंगा में स्त्रियों के साथ जल विहार करते समय नलकुबेर को मना किया था कि पवित्र तीर्थ स्थलों में यह आचरण ठीक नही किंतु वह नही माना इस पर उसे जड़ हो जाने का श्राप मिला था। ग्राम भदरसी में दुलारी बाई, हुकुम, शिवकुमार, रूपेश्वर चंद्राकर परिवार द्वारा यह आयोजन किया गया है। 14 फरवरी को गीतापाठ, हवन, कपिला तर्पण होगा।

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