खेल – मनोरंजन

खेल को लोकप्रिय बनाने की जिम्मेदारी सबकी

रोलबॉल: 6 वीं विश्वकप का आयोजन पुणे में संपन्न

पुणे से लौटकर जसवंत क्लाडियस
आज की परिस्थिति में संसार में हजारों खेलों का अविष्कार हो चुका है। अलग-अलग देश यहां तक उन देशों के अलग-अलग राज्य या क्षेत्र सभी जगह कुछ नये अंदाज में खेल स्पर्धाओं का आयोजना होता है। खेलों के उद्भव के बारे में जो जानकारी है उनमें स्पष्ट है कि कई खेलों का जन्म किसी और देश में हुआ लेकिन वे पल्लवित कहीं और हुए।भारत में हाकी, फुटबाल, क्रिकेट के बारे में माना जाता है कि इन खेलों का आरंभ भारत में नहीं हुआ है लेकिन आज वे भारत के सबसे लोकप्रिय खेलों में शामिल हैं। विश्व स्तर पर भारत में शुरू हुए खेलों में शतरंज,कबड्डी,खो-खो आदि आज विश्व खेल मंच की शान हैं।
21वीं सदी में भारत के एक खेल रोलबॉल ने दुनिया भर के खेल प्रेमियों के मन में जगह बना ली है। 2005 में पूरे नियम के साथ पुणे के एक साधारण परिवार के सदस्य राजू दभाडे ने रोलबाल को खेल जगत में प्रस्तुत किया। 2005 से 2023 तक इस खेल के सफर पर एक नजर डालने से स्पष्ट हो जाता है कि लगभग 18 वर्षों में रोलबॉल न सिर्फ युवा हो चुका है परंतु देश-विदेश के खेल प्रतिभाओं के दिल का धड़कन बन चुका है।2023 में 21 से 26 अप्रैल तक पुणे के श्रीशिव छत्रपति स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में रोलबॉल की छठवीं विश्व प्रतियोगिता संपन्न हुई। टेलीविजन और इलेक्ट्रानिक मीडिया का कमेंटेटर होने के नाते इस स्पर्धा की सफलता का मैं प्रत्यक्ष गवाह हूं। इसमें पुरुष वर्ग में 23 टीम जबकि महिला वर्ग में 11 टीम के बीच खिलाड़ी भिड़ंत हुआ। केन्या ने पुरुष वर्ग में भारत को साथ ही महिला वर्ग में केन्या ने ही इजिप्त को पछाड़ा और विजेता बने। रोलबॉल की विश्वकप स्पर्धा 2011,2013,2015,2017,2019 में भी इसके पहले क्रमश: पुणे, नैरोबी,पुणे, ढाका,चेन्नई में संपन्न हो चुकी है। भारत की महिला टीम ने 2013,2017 में इस खिताब को अपने नाम किया था जबकि पुरुष वर्ग में 2011,2023 को छोड़कर चार बार भारत ने ट्राफी पर कब्जा किया था। प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव की बात है कि भारत की धरती पर जन्म लेने वाला खेल आज संसार के करीब 57 देशों तक पहुंच गया है। राजू दभाड़े ने 2003 से 2005 तक जब इस खेल को विकसित किया तब उन्हें क्या मालूम था कि सिर्फ 18 वर्षों के अंतराल में रोलबॉल का यह खेल विश्व प्रसिद्ध हो जायेगा। रही बात इस खेल को अपनाने वाले अर्जेंटीना जैसे देशों में रोलबॉल लगभग 16000 किमी का सफर तय करके पहुंच चुका है। दूसरी तरफ न्यूजीलैंड जैसे देश में यह खेल भारत से 12250 कि.मी. दूर तक पहुंच चुका है। इसके अलावा हर भारतीय के लिए शान की बात है कि दुनिया के सभी पांच महाद्वीपों के किसी ना किसी देश में रोलबॉल खेला जा रहा है। यह खेल बास्केटबाल, थ्रोबाल, हैंडबाल तथा स्केटिंग को मिलाकर बना हुआ है। कठोर सतह पर पैर में साधारण जूते की जगह रोलर स्केटिंग पहन कर यह खेल खेला जाता है। 25-25 मिनट के दो हाफ और बीच में 10 मिनट के विश्राम के इस खेल का संचालन करने के लिए कोर्ट में दो रैफरी होते हैं जिन्हें रोलर स्केटिंग पहनना जरूरी होती है। इसके अलावा गोल पोस्ट की तरफ दो लाइन रैफरी होते हैं जिन्हें पैरों में साधारण जूते पहनकर निर्णायक की भूमिका निभाने का दायित्व होता है। गोल के अंतर के आधार पर मुकाबले का निर्णय हार या जीत का होता है। पुणे में संपन्न 6वीं विश्व चैपियनशिप के आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री चंद्रकांत दादा पाटिल महाराष्ट्र सरकार के केबिनेट मंत्री हैं। इस स्पर्धा के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए उनकी सक्रियता को यहां इंडोर स्टेडियम के अंदर और डीडी स्पोर्ट्स, यू-ट्यूब, फेसबुक व अन्य प्रचार-प्रसार माध्यम से जुड़े प्रत्येक खेल प्रेमी ने सराहा है। रोलबॉल आधुनिक युग के सबसे तेजी से खेले जाने वाले खेलों में से एक है। मैच के दौरान किसी तरह के खिलाडिय़ों के खेल विवाद पर टेबल रैफरी व मैच कमिश्नर व फील्ड रैफरी द्वारा आपस में विचार विमर्श करने का प्रावधान से सभी समस्या का हल निकल आता है। इसके अलावा टीमों को वीडियो रैफरल सिस्टम का भी लाभ उठाने का मौका मिलता है। कुल मिलाकर रोलबॉल को लोकप्रिय बनाने की जिम्मेदारी भारत के प्रत्येक नागरिक की है क्योंकि यह भारत का खेल है। वैसे 6 वीं विश्वकप के सभी मैच यू-ट्यूब चैनल पर उपलब्ध है। इससे इस खेल की कभी भी कहीं भी देखा जा सकता है। भारत में इस खेल बारे में सभी राज्य फेडरेशन को नियम कानून की जानकारी को प्रचारित करना चाहिए।

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