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खेल – मनोरंजन

सनसनीखेज पराजय जिसे पचा पाना कठिन

13वीं विश्वकप क्रिकेट प्रतियोगिता: 2023 में आस्ट्रेलिया बनी सरताज

क्रिकेट के परिणाम को लेकर यह बात सौ प्रतिशत सही है कि पहले से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इसका उदाहरण 2023 के विश्वकप क्रिकेट मुकाबले पर एक नजर डालने से मिल जायेगा। टूर्नामेंट में भारत का पहला मैच आस्ट्रेलिया से हुआ। इस चैंपियनशिप के 10 टीमों के बीच पहले चक्र में मुकाबला हुए। भारत ने शुरुवात की आस्ट्रेलिया से पहला मैच खेलकर इसमें भारतीय टीम ने आस्ट्रेलिया को 6 विकेट से पछाड़ा बाद में अंतिम व फायनल मैच में आस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से परास्त करके क्रिकेट का बादशाह बनने का अवसर पाया। मजेदार बात यह है कि भारतीय टीम शुरु से लेकर सेमीफायनल तक कभी आलआउट नहीं हुई। लेकिन फायनल में परिस्थिति ऐसी बन गई कि भारत के सभी बल्लेबाजों को बल्ले से खेल दिखाने का मौका मिला। लगता है भारतीय टीम के निचले क्रम के बल्लेबाज अपना खेल भूल गये थे। भारत में अपनी ही धरती, अपने ही लोगों के मध्य भारतीय टीम की शिकस्त आने वाले कई वर्षों तक भुलाया नहीं जा सकेगा। हमारी टीम की अचानक पराजय के कारणों के लिए उपरोक्त दोनों उदाहरण महत्वपूर्ण है। तीसरी बात हमारे खिलाडिय़ों पर जीत का बोझ कुछ ज्यादा ही हो गया था। जब आप किसी विश्व चैंपियनशिप में विजेता बनने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं तो टीम के प्रत्येक खिलाड़ी का कर्तव्य बनता है कि वह हर मैच की जीत को बोझ के रूप में न ले। इस विश्वकप के फायनल मुकाबले को अगर आप एक बार रिप्ले करके देख लेंगे तो वास्तविकता बाहर निकलकर आ जाएगी। 240 रन का स्कोर खड़ा करने के पश्चात जब हमारे खिलाड़ी क्षेत्ररक्षण कर रहे थे तो बेहद थके, अस्वस्थ, मानसिक रूप से पराजित लग रहे थे। ये सब एक महान टीम के खिलाड़ी लग ही नहीं रहे थे। क्षेत्ररक्षण की चहलकदमी स्पष्ट बतला रही थी कि वे परास्त होने के लिए मैदान में उतरे हैं। सुस्त, बेजान क्षेत्ररक्षण और खिलाडिय़ों की गतिविधि इंगित कर रही थी कि भारतीय टीम ने मैच समाप्त होने के पहले ही पराजय को स्वीकार कर लिया है। खेल में हार या जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं। एक टीम को सफलता मिलना दूसरे को असफलता मिलना तय होता है। ऐसी परिस्थिति में करीब एक लाख पच्चीस हजार उपस्थित दर्शकों को निराश करके भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में खेले गये इस मैच में एक सुरक्षा चूक भी हो गई। एक प्रशंसक जिसने अपने हाथों में फिलीस्तीन का झंडा पकड़े हुए था वह मैदान के अंदर चला गया। इस तरह जब भारत-आस्ट्रेलिया के इस क्रिकेट मैच को पूरी दुनिया के लगभग 5 करोड़ लोग सीधे प्रसारण द्वारा देख रहे थे ऐसी परिस्थिति में सुरक्षा व्यवस्था में ढिलाई तथा खेल प्रशंसक का अति उत्साही होने से हमारे देश के सम्मान को ठेस पहुंचा है। भारतीय क्रिकेट को ऊंचाई पर ले जाने के लिए हमाहरे सभी खिलाड़ी बधाई के पात्र हैं। उनके लिए सीखने का अवसर है। इसके अलावा भारत की युवा पीढ़ी, उभरते खिलाडिय़ों के लिए फायनल मैच की असफलता ने इस कथन को सत्य साबित किया है कि ‘क्रिकेट में जब तक आखिरी गेंद फेंक न ली जाए तब तक टीम को सतर्क होकर मैच खेलना चाहिए।Ó

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