सीपीआई ने बस्तर संभाग से 7 प्रत्याशियों के नामों का किया ऐलान
दंतेवाड़ा । विधानसभा चुनाव की तिथि ज्यों ज्यों नजदीक आती जा रही है। राजनीतिक दल अपने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट एक एककर जारी करते जा रहे हैं। इस मामले में जहां बीजेपी ने माह भर पहले ही 21 प्रत्याशियों की सूची जारी कर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने वालों की सूची में अपना नाम सबसे उपर दर्ज करवा लिया हो मगर अब तक भाजपा की दूसरी लिस्ट जारी नहीं की गई है। वहीं कांग्रेस की बात करें तो सूची जारी करने के मामले में यह सबसे पीछे रही है। वहीं सूची जारी करने के मामले में सीपीआई ने सेकण्ड बाजी मार ली है।
गौरतलब है कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय कम्युनिस्ट पार्टी की छत्तीसगढ़ राज्य परिषद ने आगामी विधानसभा के लिए बस्तर संभाग के 12 में से 7 विधान सभा के प्रत्याशियों के नामों की अधिकृत घोषणा कर दी है। जिसमें कोंटा विधान सभा से मनिष कुंजाम, दंतेवाड़ा से भीमसेन मंडावी, बीजापुर से पी लक्ष्मीनारायण, चित्रकोट से रामूराम मौर्य, कोंडागांव से जयप्रकाश नेताम, केशकाल से दिनेश मरकाम तथा नारायणपुर से फूलसिंह कलचाम के नामों पर मुहर लगी है। दंतेवाड़ा वि.स. प्रत्याशी भीमसेन मंडावी की बात करें तो श्री मंडावी वर्तमान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दंतेवाड़ा इकाई में जिला सचिव के पद पर हैं, वे पार्टी के कर्मठ सिपाही हैं। नामों का ऐलान होने के बाद अब इन प्रत्याशियों को अपने अपने विधान सभा क्षेत्र में चुनावी रणभेदी में कमर कसकर उतरने को कहा गया है। हालांकि छ0ग0 में सीपीआई का जनाधार कमजोर है वहीं बस्तर के 12 विधान सभा क्षेत्रों की बात करें तो कोंटा, सुकमा तथा दंतेवाड़ा विधान सभा में सीपीआई कैडर मजबूत है ये अलग बात है कि इन क्षेत्रों से भी उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिलती लेकिन सीपीआई की उपस्थिति काफी हद तक इन इलाकों में है ऐसा माना जा सकता है। यह भी याद रखना होगा कि वर्ष 2008 के विधान सभा चुनाव में जब कांग्रेस के कद्दावर नेता तथा बस्तर टाईगर के नाम से मशहूर बस्तर के कददावर बडे नेता स्व0 महेंद्र कर्मा को भाजपा के नए नवेले प्रत्याशी भीमा राम मंडावी ने शिकस्त दे दी थी। वहीं दूसरे पायदान पर सीपीआई के मनिष कुंजाम रहे थे जबकि सबसे बड़ी पार्टी के नेता महेंद्र कर्मा चुनाव तो हारे ही थे उनकी स्थिति तीसरे नंबर की थी। इसलिए यह कहना कि यहां सीपीआई बहुत कमजोर है गलत होगा। आम आदमी पार्टी के उदय होने के बाद से स्थितियां काफी बदली है। ये दल भले ही अपने प्रत्याशियों को चुनाव न जीता पाएं मगर ये भी सच है कि सीपीआई व आप जैसी पार्टियां भाजपा व कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। क्रिकेट व राजनीति का पिच कब किसको नीचे उतार दे और कब किसको सरताज बना दे इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।