छत्तीसगढ़ में शराब की खपत और सरकारी आमदनी में रिकार्ड वृद्धि

किरन्दुल । छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2022 से 2025 के बीच शराब की खपत और उससे होने वाली सरकारी आमदनी में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य सरकार के आबकारी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में शराब बिक्री से प्राप्त राजस्व लगातार बढ़ता गया है, जिससे सरकारी खजाने को बड़ी राहत मिली है।
राजस्व में साल दर साल उछाल
2021-22 में राज्य को शराब बिक्री से 5,110 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी, जो 2022-23 में बढ़कर 6,783 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। वहीं, 2023-24 में यह आंकड़ा 8,430 करोड़ रुपये को पार कर गया। वर्ष 2024-25 के अंत तक, राज्य को अब तक 8,600 करोड़ रुपये की आमदनी प्राप्त हो चुकी है, और सरकार ने इस वर्ष के लिए 11,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य में शराब की खपत सबसे अधिक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (हृस्न॥स्) के अनुसार, छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में शामिल है जहां शराब की खपत सबसे अधिक है। सर्वे के अनुसार, राज्य के लगभग 35.9त्न पुरुष नियमित रूप से शराब का सेवन करते हैं। यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि छत्तीसगढ़ में शराब एक सामाजिक और आर्थिक दोनों स्तर पर व्यापक प्रभाव डाल रही है।
मित्तल शराब नीति और विदेशी ब्रांड पर राहतमार्च 2025 में राज्य सरकार ने विदेशी शराब पर लगने वाले 9.5त्न अतिरिक्त उत्पाद शुल्क को समाप्त कर दिया। इसके चलते विदेशी शराब की कीमतों में ?40 से लेकर ?3,000 तक की गिरावट आई है। इसका मकसद अधिक बिक्री को प्रोत्साहित करना और उच्च वर्ग के उपभोक्ताओं को आकर्षित करना बताया गया।
दुकानों की संख्या और आपूर्ति व्यवस्था
राज्य सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 674 शराब दुकानों के संचालन की अनुमति दी है। शराब की थोक आपूर्ति और वितरण का जिम्मा पहले की तरह छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के पास ही रहेगा। वहीं, देशी शराब की आपूर्ति दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
सामाजिक प्रभाव और चिंता
जहां एक ओर शराब से सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर इसके सामाजिक दुष्परिणामों को लेकर चिंताएं भी सामने आई हैं। कई सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि राज्य सरकार को शराब बिक्री पर निर्भरता घटाकर नशामुक्ति की दिशा में ठोस प्रयास करने चाहिए। लेकिन यह भी ?महात्वपुर्ण मुद्दे हैं । शराब बेचने में सरकार गंभीर, लेकिन उपभोक्ताओं की सुविधा पर ध्यान नहीं”: किरंदुल निवासी वीरेन्द्र मांझी की प्रतिक्रिया है कि सरकार इस पर भी गम्भीर हो। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शराब बिक्री से राजस्व अर्जित करने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई जा रही हैं और लगातार इसका विस्तार भी किया जा रहा है। लेकिन सरकार इस बात को नजऱअंदाज़ कर रही है कि शराब का सेवन करने वाले नागरिकों को कोई सुरक्षित और व्यवस्थित स्थान उपलब्ध नहीं है। यह कहना है किरंदुल निवासी और सामाजिक चिंतक श्री वीरेन्द्र मांझी का।
मांझी ने बताया कि राज्य में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है, और वे आसानी से उपलब्ध हैं। लेकिन उपभोक्ताओं को अक्सर खुले में, सड़कों के किनारे या सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीते देखा जाता है, जिससे सामाजिक असुविधाएं और असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न होती है।उन्होंने सुझाव दिया कि जैसे अन्य बड़े शहरों में ‘बारÓ की सुविधा उपलब्ध होती है, उसी तरह दंतेवाड़ा जिले के औद्योगिक नगरों — किरंदुल और बचेली — में भी नियंत्रित और सुरक्षित बार की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे न केवल उपभोक्ताओं को सम्मानजनक वातावरण मिलेगा, बल्कि सार्वजनिक स्थलों पर पीने की घटनाओं में भी कमी आएगी।मांझी ने समाचार पत्र के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार से आग्रह किया है कि वह इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करे और प्रदेश में शराब सेवन के लिए उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करे।
साथ ही यह निष्कर्ष पर भी गौर करें
छत्तीसगढ़ में शराब नीति ने सरकार को आर्थिक मजबूती दी है, लेकिन इसके सामाजिक प्रभावों की अनदेखी नहीं की जा सकती। अब देखने वाली बात यह होगी कि राज्य सरकार आने वाले वर्षों में संतुलन कैसे बनाए रखती है। राजस्व और जनस्वास्थ्य के बीच।

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