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खेल – मनोरंजन

खेलों के सीधे प्रसारण की व्यवस्था क्यों नहीं ?

2023 में सम्पन्न हो रही एशियाई खेलों में भारतीयों ने की दमदार शुरुआत

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
1951 में एशियाई खेलों के आयोजन की शुरुआत भारत से हुई। अधिकारिक तौर पर चीन के हांगझाऊ में 23 सितम्बर से 8 अक्टूबर 2023 तक 19वीं एशियाई खेल हो रहे हैं। भारत ने अब तक हुए सभी एशियाई खेलों यथा 1951, 54, 58, 62, 66, 70, 74, 78, 82, 86, 90, 94, 98, 2002, 06, 10, 14, 18 में भाग लिया और अब 2022 के खेलों में भी शामिल है। कुछ तकनीकी कारणों से कुछ खेल व खिलाडिय़ों की संख्या में इन खेलों में अंतर आया है। भारत के 328 पुरुष तथा 325 महिला एथलीट 35 खेलों में मैदान में उतरेंगे। हमारे देश के खिलाडिय़ों ने अब तक 157 स्वर्ण, 204 रजत और 327 कांस्य सहित 688 पदक पर कब्जा जमाया है।
भारत ने सबसे अधिक 16 स्वर्ण, 23 रजत तथा 31 कांस्य को मिलाकर 70 पदक 2018 में इंडोनेशिया के एशियाई खेलों में जीता है। पदक तालिका में भारत 1951 में स्र्वश्रेष्ठ दूसरे जबकि 1990 के बीजिंग में सबसे खराब 11वें स्थान पर रहा है। भारत ने सबसे अधिक पदक 79 स्वर्ण, 88 रजत एवं 87 कांस्य सहित 254 पदक एथलेटिक्स में जीता है। भारत ने अब तक एशियाई खेलों में एथलेटिक्स, कुश्ती, निशानेबाजी, मुक्केबाजी, टेनिस, कबड्डी, क्यू स्पोर्ट्स, हाकी, घुड़सवारी, गोल्फ, बोर्ड गेम्स, नौकायन, डायविंग, फुटबाल, पाल नौकायन, तीरंदाजी, स्क्वाश, तैराकी, वाटरपोलो, भारोत्तोलन, बैडमिंटन, वुशु, सायकलिंग, व्हालीबाल, कुराश, जुडो, रोलर स्पोर्ट्स, टेबल टेनिस, केनोइंग, जिमनास्टिक, टाइक्वांडो, सेपकतकरा खेलों में पदक हासिल किया है।
कुछ प्रमुख खेल जिसमें भारत ने आज तक कोई पदक हासिल नहीं किया है उनमें व्हालीबाल, हैंडबाल, तलवारबाजी आदि प्रमुख है। खेलों के माध्यम से अपने महाद्वीप में खेलों के बादशाह बनने का अवसर मिलता है लेकिन भारत के खिलाड़ी अभी तक ऐसा प्रदर्शन दिखा नहीं पाये हैं। इसकी कई वजह हो सकती है लेकिन खिलाडिय़ों के सही चयन से लेकर प्रशिक्षण, अत्याधुनिक खेल सामग्री, खेल अधोसंरचना को विशेष महत्व दिया जाता है लेकिन इसके अलावा एशियाई खेलों को टेलीविजन या मोबाइल आदि के माध्यम से जीवंत प्रसारण की व्यवस्था का ना होना भी हमारे देश के खिलाडिय़ों का पदक हासिल ना करने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इन दिनों एशियाई खेल जारी है आम लोगों को संबंधित खेल के खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, अभिभावकों को यह नहीं पता है कि जिन खेलों में हमारे प्रतिभागी अपने प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला कर रहे हैं उनका सीधा प्रसारण किस चैनल में, कब आ रहा है या उन्हें मोबाइल वगैरह के माध्यम से कैसे देखा जा सकता है। वस्तुत: खेलों को लोकप्रिय बनाना है तो खेल प्रशासकों, खेल संघ के पदाधिकारियों, भारतीय ओलंपिक संघ को इस दिशा में ठोस व निर्णायक कदम उठाना होगा। आज जबकि भारत के विभिन्न राज्यों, शहरों, कस्बों में सीधे प्रसारण के द्वारा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी या शासन की नीतियों को दिखाया जा सकता है तो फिर एशियाई या ओलंपिक खेलों को टेलीविजन या मोबाइल आदि के माध्यम से क्यों नहीं सीधे महाविद्यालय, विद्यालय के विद्यार्थियों, क्लब से जुड़े खिलाडिय़ों को ग्राम पंचायत स्तर पर दिखाया जा सकता? खेलों को लोकप्रिय बनाने केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार,निजी प्रतिष्ठान, औद्योगिक प्रतिष्ठान सार्वजनिक उपक्रम प्रयासरत हैं तो, फिर मीडिया के द्वारा खेलों को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए कोशिश क्यों नहीं की जा सकती? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दृश्य मीडिया के द्वारा मैच के संघर्ष को देखने से कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी उभरकर निकल सकते हैं। अत: इस दृष्टिकोण को भी खेलनीति में सम्मिलित किया जाना जरूरी है।

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