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छत्तीसगढ़

कोई भी कार्य छोटा नहीं होता : आचार्य विद्यासागर

डोंगरगढ़ । संत शिरोमणि 108 आचार्य विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है। आज के प्रवचन में आचार्य ने बताया कि कुछ भवन ऐसे होते हैं जिनमे दीवारें तो चारों ओर होती है परन्तु ऊपर छत नहीं होती है और वहाँ शेड आदि लगाया जाता है और जब उसमे से सूर्य का प्रकाश भवन के अन्दर आता है तो सूर्य कि किरणों के साथ – साथ धूल के कुछ कण भी दिखाई देते है जिससे यह ज्ञात होता है कि पूरी पृथ्वी में यह कण ठसा ठस भरे हुए हैं। इसी प्रकार हम और आप भी इस पृथ्वी में भरे हुए हैं और यहाँ हम एक दूसरे को नहीं जानते हैं परन्तु जब सूर्य के प्रकाश से वह धूल का कण आलोकित होता है तो वह सभी कि दृष्टी में आ जाता है। बहुत सारे केवली और सिद्ध भी इसी प्रकार ठसा ठस भरे हुए होते हैं परन्तु हमें दिखाई नहीं देते हैं। चंद्रगिरी में एक मनोहारी पाषाण कि प्रतिमा विदिशा से लाई गयी है जो कि बहुत प्राचीन है और भूगर्भ से प्राप्त हुई है जिसका कल यहाँ लघु पंच कल्याणक एक ही दिन में किया गया जो कि कम समय में बहुत बड़ा कार्य संपन्न हुआ है जो कि इस कार्य को करने वालों कि कार्य दक्षता को दर्शाता है। जब कोई काम कम समय में अच्छा हो तो वहाँ अर्थ के बारे में कम सोचना चाहिये और समय पर कार्य हो जाये तो उसका महत्व ज्यादा होता है। यह प्रतिमा रामटेक स्थित प्रतिभास्थली में विराजमान होना है जिससे वहाँ पढने वाली छात्राओं और पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं को इसका लाभ प्राप्त होगा। आज आचार्य को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य चंद्रगिरी के ट्रस्टी पूनम चन्द संजय कुमार जैन राजनंदगांव निवासी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन, सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, निखिल जैन (ट्रस्टी), निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष प्रकाश जैन (पप्पू भैया), सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी। दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचर्य के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है। कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके। आगामी 24 मई 2023 को श्रुत पंचमी पर्व मनाया जायेगा जिसमे प्रात: भगवान का अभिषेक, शांति धारा, पूजन, प्रवचन आदि कार्य होंगे। उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी निशांत जैन (निशु) ने दी है।

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