छत्तीसगढ़

शनि जन्मोत्सव पर तुलादान,छायादान का मिलेगा लाभ

पत्थलगांव। शनि जन्म उत्सव पर उनका वाश कुंभ राशि मे रहने के कारण यह दिन अनेक मनोकामनाओ को पूरा करने वाला रहेगा,भक्त सुबह उठकर शनि उपासना के साथ उपवास एवं तेल व छाया का दान कर अपनी सभी मनोकामनायें पूरी कर सकते है। बताया जाता है कि कुंभ राशि मे शनि के रहने के कारण अति फलदायी ऐसा संयोग 30 सालो के लंबे अंतराल के बाद बनने जा रहा है। प्रमुख ज्योतिषाचार्य आनंद शर्मा ने बताया कि इस वर्ष शनि जयंती 19 मई दिन शुक्रवार को मनायी जा रही है,18 मई को रात्रि 9 बजकर 42 मिनट से अमावस्या तिथी शुरू होकर 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। उन्होने बताया कि इस समय मे कर्मो का फल प्रदान करने वाले देवता शनि महाराज की पूजा अर्चना व्रत उपवास के साथ उन्हे तेल,फूल,छाया का दान कर सर्वार्थ सिद्धी योग में बनने वाले विशेष समय का भरपूर लाभ उठाया जा सकता है।
यहा के मंडी प्रांगण स्थित शनि मंदिर मे भी शनि जन्म उत्सव की तैयारियां पिछले एक सप्ताह से चल रही है। मंदिर परिसर को बेहद आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है,यहा के पूजारी कैलाश शर्मा ने बताया कि 19 मई दिन शुक्रवार को सुबह से ही शनि मंदिर मे धार्मिक आयोजन शुरू कर दिये जायेंगे। उन्होने बताया कि 17 मई दिन बुधवार को नवग्रह शांति एवं जाप के लिए संकल्प लेने का कार्यक्रम पूर्ण कराया गया है,18 मई दिन गुरूवार को शनि देव का श्रृंगार एवं पोशाक भेंट की जायेगी। शनि जन्मउत्सव के रोज 19 मई दिन शुक्रवार को मंदिर परिसर मे तेलाभिषेक, तुलादान, छायादान का कार्यक्रम आयोजित होगा। साथ ही सुबह 10 बजे हवन पूजन के अलावा दोपहर 12 बजे पश्चात प्रसाद एवं भंडारा वितरण किया जायेगा।।
वट सावित्री का हिंदू धर्म मे महत्व-:वट सावित्री अमावस्या के दिन ही शनि जन्म उत्सव मनाने की परंपरा वर्षो पुरानी है,वट सावित्री अमावस्या का हिंदु धर्म मे विशेष महत्व है। पंडित आनंद शर्मा बताते है कि वट सावित्री व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है,इस वर्ष वट सावित्री पर शुक्र अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है,इसलिए यह व्रतियों के लिए और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है,यह अमावस्या स्नान-दान और श्राद्ध की भी अमावस्या है,इसलिए यह तिथि न सिर्फ महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों के लिए भी विशेष महत्व रखती है।।

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