बलौदाबाजार जिला के कसडोल नगर से कुछ ही दूरी पर है अनोखा मंदिर
कसडोल । छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिला के कसडोल नगर से 12 किलोमीटर की दूरी पर नारायणपुर है। रक्षाबंधन के इस मौके पर लोग कुछ खास जगह पर जा सकते हैं लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां भाई-बहन को एक साथ कभी नहीं जाना चाहिए। इस मंदिर में भाई बहन के साथ दर्शन और पूजा करने पर प्रतिबंध है। मंदिर से जुड़ी कुछ धार्मिक मान्यताएं और कथाएं हैं। अगर आप भी इस रक्षाबंधन के मौके पर कहीं सफर की योजना बना रहे हैं या आम दिनों में भी भाई-बहन साथ कहीं घूमने जा रहे हैं तो इस मंदिर में एक साथ प्रवेश न करें।
छत्तीसगढ़ में है अनोखा मंदिर: आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में एक अनोखा मंदिर है जहां भाई-बहन का एक साथ प्रवेश करना वर्जित है। राज्य के बलौदाबाजार जिला के कसडोल नगर के पास नारायणपुर गांव में स्थित मंदिर, शिव मंदिर के नाम पर मशहूर है। इस मंदिर में भाई-बहन को साथ दर्शन के लिए नहीं जाना चाहिए।
मंदिर का इतिहास और नक्काशी : इस मंदिर का निर्माण सातवीं और आठवीं शताब्दी के बीच कलचुरी शासकों ने कराया था। मंदिर लाल -काले बलुवा पत्थरों से बनाया गया है। मंदिर के स्तंभों पर कई सुंदर आकृतियां बनी हुई है! मंदिर 16 स्तंभों पर टिका हुआ है। हर स्तंभ पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। मंदिर में छोटा सा संग्रहालय है जहां खुदाई में मिली मूर्तियों को रखा गया है।
भाई -बहन क्यों मंदिर में साथ नहीं जा सकते: यह एकमात्र मंदिर है जहां भाई बहन के एक साथ जाने पर पाबंदी है। इसके पीछे कहानी है। मंदिर का निर्माण रात के समय हुआ करता था, मंदिर 6 महीने में तैयार किया गया था। मंदिर जनजाति समुदाय से जुड़ा है। शिल्पी नारायण रात के वक्त निर्वस्त्र होकर मंदिर का निर्माण करते थे। मंदिर निर्माण करने वाले शिल्पी नारायण की पत्नी उन्हें खाना देने आती थी लेकिन एक शाम, नारायण की पत्नी की जगह, बहन खाना लेकर निर्माण स्थल पर आ गई। क्योंकि शिल्पी नारायण नग्न हो कर मंदिर निर्माण करते थे बहन को देखकर उन्हें शर्मिंदगी महसूस हुई और उन्होंने मंदिर के शिखर से कूद कर अपनी जान दे दी। इस कारण भाई-बहन मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। इसके अलावा मंदिर अपने स्थापत्य कला के लिए मशहूर है। यहां की मुख्य दीवारों पर उकेरी गई हस्तमैथुन की मूर्तियों के कारण भी भाई-बहन यहां साथ आने में असहज महसूस करते हैं।