जर्जर भवन में आदिवासी विकास विभाग कर रहा आश्रम का संचालन, बच्चे छोड़ रहे आश्रम
बीजापुर । जिले के सबसे बड़े ब्लाक भैरमगढ़ में आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित आश्रमों का हाल बेहाल हैं। यहां के आश्रमों की दुर्दशा को देख बच्चे आश्रम छोड़कर अपने घर जाने को मजबूर हो रहे हैं। भैरमगढ़ के मिरतुर में बेचापाल विस्थापित आश्रम का संचालन पिछले 18 सालों से एक जर्जर भवन में किया जा रहा हैं। भवन को देखकर खण्डर जैसा प्रतीत होता हैं। आश्रम भवन के अंदर गंदगी फैली हुई हैं। कई सालों से भवन की न तो मरम्मत हुई है और न ही रंग रोगन के काम हुए हैं। जबकि भवन मरम्मत व रंगाई पोताई के लिए बजट भी दिया जाता हैं। बावजूद यह राशि भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। ट्राइबल विभाग के जिम्मेदारों ने शायद ही इस ओर सुध लिया हो। लिया होता तो आदिवासी बच्चों के आवासीय आश्रम की यह हालत नहीं रहती। 100 सीटर विस्थापित बालक आश्रम बेचापाल की जर्जरता व गंदगी के चलते बच्चे आश्रम छोड़कर जा अपने घर जा रहे हैं। इसके चलते अब आश्रम में 50 बच्चे से भी कम रहे गए हैं। बेचापाल आश्रम के अधीक्षक रूपाराम कडती ने बताया कि ये आश्रम पूर्व में बेचापाल में चल रहा था। वर्ष 2005 -6 में इसे मिरतुर में शिफ्ट कर दिया गया। तब से इसका संचालन यही हो रहा हैं। उन्होंने बताया 2 साल पहले जर्जर भवन को लेकर मंडल संयोजक को लिखित रूप से जानकारी दिया था। लेकिन अब तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई हैं।
किचन शेड नहीं, बोर भी खराब
बालक आश्रम बेचापाल अधीक्षक रूपाराम कडती के मुताबिक आश्रम का बोर भी खराब हो गई हैं। बच्चे पानी बाहर से ला रहे हैं। अधीक्षक के मुताबिक आश्रम में किचन शेड भी नहीं हैं। वैकल्पिक व्यवस्था कर बच्चों के लिए खाना बनाया जा रहा हैं।
कागजों में बन गई बाउंड्रीवॉल
अधीक्षक रूपाराम कडती ने बताया कि आश्रम के लिए 200 मीटर बाउंड्रीवॉल सेंसन हुआ था। बाउंड्रीवॉल का नीव ही खोदा गया। उसके बाद इसका कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि उनको पता चला है कि बाउंड्री वॉल कागजों में बनाकर ठेकेदार द्वारा पैसे का आहरण कर लिया गया हैं।
क्या कहते है जिम्मेदार
इस बारे में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त एके मशराम ने कहा कि उनके पास फिलहाल बजट नहीं हैं। जिला खनिज न्यास निधि से सेंसन करवाकर भवन को जल्द से जल्द ठीक करवाता हूँ। मंडल संयोजक को दौरा करने के लिए कहा गया है। वे क्यों नहीं रहे, मैं देखता हूँ।