अबूझमाड़ के दूरस्थ इलाकों में एसडीएम के दौरे से ग्रामीणों में खुशी
नारायणपुर – नारायणपुर जिले का अबूझमाड़ आज भी विकास से कोसों दूर है ऐसा नहीं है कि अबूझमाड़ के विकास के लिए शासन प्रशासन ने कोशिश नही की हो , कोशिश की लेकिन उन कोशिशों पर भ्रष्टचार ने पानी फेर दिया । शासन प्रशासन के नुमाइंदे के द्वारा निर्माण कार्य से लेकर वृद्धपेंशन तक की राशियों में भ्रष्टचार करने की वजह से आज भी अबूझमाड़ विकास से कोसों दूर है । इस भ्रष्टचार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से तत्कालीन कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर प्रदीप वैध को एसडीएम ओरछा के पद पर नियुक्त कर अबूझमाड़ को विकास की राह पर लाने की जिम्मेदारी दी । जिसके लिए अबूझमाड़ के दूरस्थ और पहुंच विहीन इलाको में दौरे करके ही वहा वस्तु स्थिति स्पष्ट होती । ऐसे में अबूझमाड़ का इलाका नया , नए लोग उनके साथ सामंजस्य बिठाकर कर काम करने की चुनौती सामने थी । जिसे प्रदीप वैध ने स्वीकारा और अबूझमाड़ के दूरस्थ इलाकों का दौरा शुरू किया ताकि इन इलाको में क्या क्या कार्य हुए उनका क्रियावयन किस तरह से किया जा रहा है उसके बारे में ग्रामीणों से मिलकर जानकारी ली । कई सालो बाद गांव में अधिकारी को देख ग्रामीणों में काफी खुशी नजर आई क्योंकि अब उनकी बाते उनके गांव आकार अधिकारी सुन रहे , नही तो अपनी बातो को बताने के लिए मिलो का सफर तय कर मुख्यालय जाना पड़ता था । एसडीएम प्रदीप वैध ने अबूझमाड़ के गारपा, कुडमेल , कोंगे, थुलथुली , टाहकवाड़ा, जाटलूर, मेटानार, मसपुर , पांगुड़, मंडाली , आदेर, ढोंडरबेड़ा, काहकवाड़ा, पोचावाड़ा, जुवाडा और कुतुल जैसे दूरस्थ और पहुंचविहीन गांव तक पहुंचे । इस दौरान ग्रामीणों ने जो बताया वो काफी चौकाने वाली बाते थी उनका कहना था कि कोई भी काम हो तो हमे ओरछा या फिर नारायणपुर जाना पड़ता है क्योंकि जि़म्मेदार गांव आते ही नही है । वृद्धजनों को पेंशन की राशि के लिए भी मिलो का सफर तय करके ओरछा , नारायणपुर जाना पड़ता है वो भी साफ्ताहीक बाजार के दिन । गांव में स्कूल भवन , सड़क की हालत काफी दयनीय मिली जिसके बाद ग्रामीणों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं से रूबरू होकर समस्याओं का निदान के बारे में उनसे चर्चा कर कार्य शुरू किया । कार्य शुरू होने से भ्रष्टाचार में संलिप्त कर्मचारियों में हड़कंप मच गया और अपने किए गए कार्यों की लीपापोती में लग गए । एसडीएम ओरछा प्रदीप ने बताया कि ओरछा ब्लाक के एसडीएम बनाए जाने के बाद नई जिम्मेदारी दी गई जिसे पूरा करने के लिए सभी कर्मचारियों और ग्रामीणों के साथ आपसी सामंजस्य स्थापित कर अबूझमाड़ को विकास की राह पर लाना पहली प्राथमिकता थी। जिसके लिए अबूझमाड़ के दूरस्थ गांवों का दौरा करना और वहां के ग्रामीणों से मिलकर उनकी समस्याओं और उनकी मांगो के बारे में जानकारी लेना था । जिसके लिए अबूझमाड़ के गांवों का दौरा शुरू किया गांव में पहुंच ग्रामीणों से मिल उनसे जानकारी ली । ग्रामीणों , स्कूल और आश्रम शालाओं के बच्चो ने अपनी अपनी समस्याओं और मांगो से अवगत कराया जिससे कलेक्टर महोदय को अवगत कर उनके निराकरण की शुरुवात की गई । जिन गांवों में बच्चो की शिक्षा के लिए भवन नहीं थे उन गांवों में भवन बनाने का निर्माण कार्य शुरू किया गया , बच्चो को अच्छी शिक्षा मिले उसे प्राथमिकता दी गई । बुजुर्ग ग्रामीणों को समय पर पेंशन की राशि मिले , निर्माण कार्य में तेजी आए , सचिव अपने मुख्यालय में जाए उसके लिए समय समय पर सचिवों की बैठक लेकर दिशा निर्देश दिए और उनके साथ उनके पंचायतों के दौरे किए । जिसके चलते इन दूरस्थ इलाकों में स्कूल भवनों , स्वास्थ भवन के निर्माण से लेकर मरम्मत के कार्य तेजी से किए जा रहे है जिससे शिक्षा और स्वास्थ का लाभ अबूझमाड़ के ग्रामीणों को मिलेगा ।