छत्तीसगढ़

भागवत कथा ज्ञान सप्ताह में मनाया गया गोवर्धन उत्सव

पत्थलगांव । अधिक श्रावण मास के उपलक्ष्य मे अग्रवाल महिला मंडल द्वारा करायी जा रही भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन ब्यासपीठ पर बैठे आचार्य बैंकटेश शरण ने श्रीकृष्ण की बाल लीला के साथ उनके माखनचोरी एवं गिरिराज पर्वत की महत्ता बतायी। आचार्य बैंकटेश ने कृष्ण की वंदना के साथ कथा की शुरूवात करी। पांचवे दिन कथा स्थल पर श्रोताओ की संख्या काफी अधिक थी,इससे पूर्व यहा दिन सोमवार को समुद्र मंथन,वामन अवतार एवं कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया था। कथा की शुरूवात करते हुये आचार्य कहते है कि मनुष्य सब कुछ जानते हुये भी अज्ञानी बना हुआ है,आत्मा परमात्मा की तरह ही जन्म मृत्यु भी अटुट सत्य है,इसलिए मनुष्य को अपने जीवन काल मे मृत्यु लोक को ही स्वर्ग मानकर सदकर्मो की ओर आगे बढते जाना चाहिये। उनका कहना था कि मृत्यु के बाद की समस्त बातें एक परिकल्पना के समान है,मरने के बाद किसी ने सत्य नही जाना,इसलिए मनुष्य को अपने जीवन परांत ही क्रोध,लोभ एवं अज्ञानता का परित्याग कर मृत्यु लोक के बाद का समय को सुधार करने की दिशा मे निरंतर पहल करनी चाहिये। उन्होने आज पांचवे दिन के भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह मे कृष्ण की लीलाओ पर प्रकाश डालते हुये कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को बाल्याकाल से ही माखन अत्यधिक प्रिय था,वे माता यशोदा के घर मे रखे माखन के अलावा अन्य गोपियों के घर मे रखे माखन को भी चुराकर अपने शखाओ के साथ चट कर जाते थे,जिसके कारण मां यशोदा को हर समय गोकुलवासियों की बातें सुननी पडती थी।।
गिरिराज को उठाया एक उंगली पर-आचार्य बैंकटेश शरण ने आज की कथा के बीच भक्त एवं भक्ति का भी परिचय कराया। ब्यासपीठ पर बैठे आचार्य बताते है कि श्रीकृष्ण गोकुल वासियों को अपने पुत्र की तरह स्नेह करते थे,वहा आने वाली अनेक विपदाओ को बगैर किसी को आभास कराये ही दूर भगा दिया करते थे,जब एक बार गोकुल वासियों से नाराज होकर इंद्र देव ने वहा भयंकर बारिश का प्रहार किया तो चारो ओर त्राही-त्राही मच गयी,इस बीच श्री कृष्ण ने गिरिराज गोर्वधन पर्वत को अपने हाथ की एक उंगली मे उठाकर उसके नीचे समस्त गोकुल वासियों को आश्रय दिया।।
गायो का वाश के बिना कृष्ण की परिकल्पना बेकार-आचार्य बैंकटेश शरण ने कहा कि कृष्ण को गायो से अत्यधिक प्रेम था,इसलिए जिस शहर या गांव मे गौ माता का निवास नही है वहा हम श्री कृष्ण के निवास की परिकल्पना नही कर सकते,उन्होने बताया कि गौ माता स्वयं भगवान के मुख से अवतरित पशु है,इसलिए यह पशुओ मे प्रथम पुज्य एवं कृष्ण की हमेंशा दुलारी मानी जाती है। अग्रसेन भवन मे आयोजित भागवत मे कृष्ण लीला व गोवर्धन उत्सव के दौरान छप्पन भोग का भी प्रसाद लगाया गया।।

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