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छत्तीसगढ़

सावन की बरसे बदरिया, चलो बाबा की नगरिया

खरसिया । प्राचीन ग्रंथो एवं पुराणों में बाबा बैद्यनाथ का विशेष महत्व है और सावन के महीने में जो पैदल यात्रा कर गंगा जल चढ़ाकार बाबा को रिझाता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। हर साल खरसिया एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों बोलबम भक्त अपने-अपने गु्रप के साथ बाबा का जलाभिषेक करने देवघर जाते है और जो एक बार बाबा की यह अलौकिक यात्रा कर लेता है वह हर वर्श बेसब्री से सावन का इंतजार करता है एवं सुल्तानगंज से देवघर की इस पैदल यात्रा में बाबा की मस्ती में झूमने लिए बेकरार रहता है। भक्तो सुल्तानगंज से बाबा बैद्यनाथ धाम की कांवड़ यात्रा विष्व की एक ऐसी अलौकिक कांवड़ यात्रा है जिसमें रोजाना लाखो लोग सावन के महीने में लगातार चलते है और बाबा को जल चढ़ाकर अपने मनोरत पूर्ण करते है। हिन्दुस्तान में शिव भोले की कांवड़ यात्रा तो अनेक तिर्थो से प्रारम्भ होती है तथा बाबा को जल चढ़ाया जाता है। किन्तु बाबा बैद्यनाथ जैसी कांवड़ यात्रा आपने न तो कही देखी होगी और न कही सुनी होगी। जीवन में एक बार अवश्य बाबा बैद्यनाथ की कांवड़ यात्रा में शामिल होवें।
औघड़दानी भी कर रहे अपने भक्तो का बेसब्री से इंतजार जैसे भक्त अपने प्रभु शिवशंकर, बाबा बैजु, नीलकंठ, भूतनाथ एवं जिनके अनंत नाम है उस देवादि देव महादेव के दीदार के लिए आतुर रहते है वैसे ही श्रावण मास आते ही बाबा भोले को भी अपने भक्तो के आने इंतजार रहता है और छत्तीसगढ़ के बम भाईयों के उपर तो बाबा की विशेष कृपा रहती है।
अषोक अग्रवाल (पत्रकार)- बाबा भोलेनाथ के आर्षीवाद एवं विषेश कृपा से लगातार 35वें वर्श भी बाबा बैद्यनाथ की कांवड़ यात्रा में परिवार सहित जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। बाबा बैद्यनाथ एवं बाबा बासुकीनाथ बोलबम कांवडिय़ा भक्तो के सभी मनोरथ पूर्ण करते है। बाबा की कृपा से ही मुझे सब कुछ प्राप्त हुआ है तथा वर्शो बाद मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति भी बाबा की असीम कृपा से हुई है। बाबा बैद्यनाथ धाम की पैदल यात्रा अलौकिक यात्रा है। बाबा बैद्यनाथ जैसा धाम पुरे संसार में कही भी नही है। वहां जाने से परम आनंद की प्राप्ति होती है। फैमिली कांवडिय़ा संघ खरसिया की ओर से इस वर्श भी 85 से अधिक बोल बम साथी 22 जुलाई को बाबा के दीदार के लिए रवाना होंगे।
सुनील बंसल- वैसे तो साल के 12 महीने भगवान भोले षंकर की पूजा अर्चना की जाती है किंतु श्रावण माह में भगवान षंकर की पूजा अर्चना को विषेश महत्व दिया गया है। मै सावन महिने में बाबा बैद्यनाथ धाम में जैसे ही कांवड़ चढ़ाता हूं मुझे पुन: सावन माह की प्रतिक्षा होने लगती है। बाबा की कृपा से इस वर्श 37वीं कावड़ चढ़ाने का सौभाग्य मिला है।
सुभाश पप्पू ठेकेदार- मुझे बाबा बैद्यनाथ की कांवड़ यात्रा का साल भर जुनुन रहता है। इस वर्श 37वीं कांवड़ चढ़ाने का सौभाग्य मिला है। बाबा बैद्यनाथ की विषेश कृपा से मुझे वह सब कुछ मिला है जो मुझे और मेरे परिवार को चाहिए। बाबा के आर्षीवाद से मै परिवार सहित प्रत्येक वर्श कांवड़ चढ़ाता हूं। बाबा से मेरी प्रार्थना है कि जीवन भर मुझे यह अवसर प्रदान करते रहें। आप सभी से मेरा आग्रह है कि एक बार बाबा की कांवड़ यात्रा का आनंद जरूर उठायें।
रतन अग्रवाल- नवयुवक कांवडिय़ा संघ विगत 36 वर्शो से बाबा की नगरी बैद्यनाथ धाम जाते है और 100 कि.मी. के लगभग पैदल कांवड़ लेकर यात्रा कर बाबा भोलेनाथ को अरदास लगाते है कि बाबा भोलेनाथ हमारे खरसिया नगर की खुषहाली के लिए अपना आर्षीवाद हमेषा बनाये रखना।
बन्टी सोनी- विगत 34 वर्शो से प्रतिवर्श बाबा की कांवड़ उठाकर जलाभिशेक करते आ रहे है। बाबा बैद्यनाथ से यही प्रार्थना करते है बाबा नगर में सुख समृद्धि बनाये रखे एवं हमारी सभी मनोकामना पूर्ण करें।
राजेष घन्सु- सावन आते ही मेरे मन में सेवा की भावना उत्पन्न हो जाती है और कांवड़ यात्रियों की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। मै सावन महिना का बेसब्रीं से इंतजार करता हूं और बाबा का दर्षन करने हर वर्ष हम पूरी टोली के साथ बैद्यनाथ धाम जाते है।
सौरभ मोन्टी- भोलेनाथ के आर्षीवाद से 16 वें वर्श बाबा की कांवड़ चढ़ाने का सौभाग्य मुझे मिला है एवं इस वर्श भी बैजु कांवडिय़ा संघ खरसिया के 90 कांवडिय़ों के साथ बाबा के दरबार पहुंचकर बाबा का जलाभिशेक करेंगे। बाबा से प्रार्थना है कि सभी कांवडिय़ा बंधुओ की मनोकामना पूर्ण करें।
प्रदीप बाराद्वार- बाबा बैद्यनाथ के विषेश आर्षीवाद से इस वर्श बाबा की 28वीं कांवड़ चढाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। बाबा की इस कांवड़ यात्रा में 100 कि.मी. पैदल चलने के बाद जब बाबा को गंगा जल चढ़ाता हूं तो जो मन में अनूभूति प्राप्त होती है उसे षब्दो में बताया नही जा सकता। मैं बाबा से प्रार्थना करता हूं की हमारी बाराद्वार नगरी से जाने वाले एवं अन्य बोल बम कांवडिय़ा साथियों के सभी मनोरथ पूर्ण करें।
बसंत अग्रवाल (कांसाबेल) बिलासपुर- बाबा बैजु के आर्षीवाद से इस वर्श बाबा को 26वीं कांवड़ चढ़ाने जा रहा हूं, और आपको यह बताना चाहता हूं की सभी के लिए सन्यासी या साधु बनना संभव नही है लेकिन 5 दिन की इस कांवड़ यात्रा में साबुन, तेल, कंघी, षीषा, गद्दा एवं अन्य सांसारिक वस्तुओं का पूर्णत: त्याग करते है और निस्वार्थ भाव से बाबा की कांवड़ चढ़ाते है और साल में यही 5 दिन हम सन्यासी वाली जिंदगी जीते है। मेरा यह मानना है की वर्श में एक बार इस 100 कि.मी. की अकाल्पनिक पैदल यात्रा से षरीर भी स्वस्थ रहता है और मन की भी सारी दुविधाएं दुर हो जाती है।
विधी आषीश बंसल कोरबा- मेरे ऊपर तो बाबा की हमेषा ऐसी कृपा रही की मैने जब से जन्म लिया बाबा के दरबार में जाती रही। मेरे विवाह से पूर्व मैने 12 कांवड बाबा को अर्पण की, यह उसी का प्रताप है कि मैने जैसा वर मांगा वह पाया तथा बाबा ने हमेषा मेरी झोली भरी। लेकिन अब कई वर्शो से बाबा का बुलावा नही आरहा था पर इस वर्ष बाबा ने फिर से कृपा करी और मुझे अपने दर पर बुलाया है। 22 जुलाई को मै बाबा की कांवड़ चढाने बाबाधाम जा रही हूं।
निधी अभिशेक बोंदिया कोरबा- सावन आते ही बाबा बैद्यनाथ की याद आने लगती है, मैने बचपन से ही मेरे मम्मी-पापा, चाचा-चाची एवं खरसिया के बाबा भक्तो के साथ 15 कांवड चढ़ाई है, इस साल मै बाबा बैद्यनाथ की 16वीं कांवड़ चढ़ाने अपने परिवार के साथ जा रही हूं, मैने आज तक बाबा से जो मांगा वो पाया है, बाबा से प्रार्थना है की मेरी कांवड़ यात्रा को सफल करे।
राखी आनंद नहाडिया रायगढ़- सावन महीना षिव जी के साथ ही षिव भक्तो के लिए भी खास होता है। इस माह में कांवड़ यात्रा का विषेश महत्व रहता है। इस कांवड यात्रा की विषेश बात यह है कि यहां भक्त ऊंच-नीच, जात-पात, अमीर-गरीब के भेदभाव से परे एक परिवार की तरह मस्ती में नाचते-गाते कब देवघर पहुंच जाते है पता ही नही चलता यह सब बाबा की कृपा और फैमिली कांवडिया संघ खरसिया का प्यार एवं सुपर मैनेजमेंट और सभी कांवडिया भाईयो का आपसी सहयोग और सामंजस्य ही होता है। फैमिली कांवडिया संघ खरसिया जैसे सुपर ग्रुप के साथ हमे 10 साल बाबा की कांवड चढ़ाने का सौभाग्य मिला। ये बाबा की विषेश कृपा है।

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