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छत्तीसगढ़

प्रवासी पक्षियों के कलरव से गूंज रहा है पूरा गांव

राजिम (फिंगेस्वर)। ब्लॉक मुख्यालय के अंतिम छोर पर बसे ग्राम पंचायत लचकेरा में इन दिनों प्रवासी पक्षियों के कलरव से गांव गूंज रहा है, ओपन बिल स्ट्रोक विदेशी सबेरियन पक्षियों के हजारो का झुण्ड एक लम्बे अरसे से जिले के अंतिम सरहद के गांव लचकेरा में प्रतिवर्ष मानसून लगने के पूर्व यहा पहुच जाते है, ग्रामीण इन पक्षियों के पहुंचते ही मानसून के आने का दस्तक मानते हुए खुशी का इजहार करते और इसे देवदूत कहने से भी नहीं चुकते, इनके आते ही ग्रामीण शुभ मानते हुवे खेती किसानी के काम मे जुटने के साथ ही काफी खुश नजर आने लगते है। इतना ही नही बल्कि ग्रामीण सात समुन्दर पार कर पहुँचे इन प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा का बकायदा चाक चौबंद व्यवस्था भी करते है। पक्षियों के गांव में गली मोहल्ले चौक चौराहों व खलिहानों में लगे पेड़ो में बसेरा बनाते ही गांव में बैठक आहूत कर ग्रामीणों को इनकी सुरक्षा की हिदायत देने के साथ ही इनको मारने व इनके अन्डो को क्षति पहुचाये जाने पर दंड का प्रावधन रखते हुवे फरमान जारी करते है कि जो भी प्रवासी पक्षियों को मारेगा उसे 5000 रुपये ग्राम समिति में बतौर दंड देना होगा वही पक्षोंयो को प्रताडि़त व मारे जाने की सूचना देने वाले को 500 रुपये नगद बतौर इनाम प्रदाय किया जावेगा। इतना सब होने के बावजूद भी अगर ग्रामीण नही माने तो जरूरत पडऩे पर न्यायिक हिरासत में देने की फरमान भी जारी किये है।जानकारी के अनुसार हजारो किलोमीटर दुरी का फासला तय कर प्रतिवर्ष लचकेरा गांव पहुचकर प्रवासी पक्षी अपने घोसला बनाकर प्रजनन करने के साथ ही अंडे देकर नए मेहमान पैदा कर उनकी उचित देखभाल कर दीपावली के समय अक्टूबर माह में नए मेहमान शावको के पर लगते ही उनको लेकर उडऩे लगते है, सूखा नदी के किनारे तट बंध में एक घनी आबादी में बसे लचकेरा गाँव के समीप खेतो से किट पंतगो को अपना आहार बनाने के साथ ही पर्यारण प्रदुषण से मुक्त करने के साथ ही गंदगी से होने वाले गंभीर बिमारियों से भी ग्रामीणों को निजात मिलती है जिसके चलते ग्रामीण माह जून के शुरवात होते ही इन पक्षियो का बेसब्री से इंतजार करते है और किसान इसे अपना मित्र मानते है यह परम्परा कई सालों ग्राम लचकेरा में कायम है और आसपास के अंचल सहित पूरे ब्लॉक में इन पक्षियों के शुभागमन से इस गांव की अलग पहचान भी बना है।

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