अतिक्रमण बताकर तहसीलदार ने गिराई निर्माणाधीन मकान की दीवार
कटेकल्याण । दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण ब्लाक में एक निर्माणाधीन मकान की दीवार तहसीलदार द्वारा तोड़े जाने का मामला प्रकाश में आया है। बीते मानसुन में बारिश के चलते मकान गिर गया था पीडि़त परिवार किराये के मकान में रह रहा था। रूपयों का जुगाड़ होने के बाद पुन: उसी स्थल पर मकान निर्माण का शुरू किया था कि तभी राजस्व विभाग का अमला मौके पर पहुंचा और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की बात कहकर ईट से निर्मित दीवार को गिरवा दिया। पीडि़त परिवार का कहना है कि वे लोग बीते 15 वर्षो से मकान बनाकर उस जगह पर रह रहे थे। ऐसे में उन पर वहां से बेदखली की कार्यवाही गलत है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अतिक्रमण कर मकान बनाये हुए हैं ऐसे में एक परिवार को टारगेट करना कहां तक सही है। निर्माणाधीन मकान की दीवार गिराने का मामला कटेकल्याण बस स्टेंड के पास स्थित एक भूमि का है। पीडि़त परिवार अख्तर अली ने बताया कि बीते 15 वर्षो से उक्त भूमि पर हम मकान बनाकर रह रहे थे इसी दौरान पिछले वर्ष भारी बारिश के चलते हमारा मकान क्षतिग्रस्त होकर गिर गया था। जिसके बाद हम लोग मकान किराए पर लेकर दूसरे जगह रहने चले गए थे। प्रशासन ने भी मौका मुआएना किया था और बाद में हमें क्षतिग्रस्त मकान का मुआवजा भी प्रशासन ने दिया था। अब कुछ रूपये हाथ में आने के बाद शुक्रवार को जब हम अपने उसी जमीन पर मकान बना रहे थे दीवार उठाने का काम चल ही रहा था कि अचानक राजस्व अमला की टीम आ पहुंची और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हो कहते हुए बगैर नोटिस सूचना के दीवार को ढहा दिया और हमें उस जगह से बेदखल कर दिया। अख्तर ने बताया कि हम मानते हैं कि उस जगह का मालिकाना हक हमारे पास नहीं है। हमें अभी पटटा नहीं मिला है लेकिन हमने शासन को पत्र लिखकर उक्त भूमि को सरकारी दर चुका कर खरीदने हेतु आवेदन कलेक्टर के पास लगाया है। बावजूद प्रशासन हमें भूमि आबंटन नहीं कर रही है। पीडित ने कहा कि कुछ स्थानीय लोगों की शिकायत पर हमारे निर्माणाधीन मकान को गिराया गया है। हम गरीब है हमारे पास मकान नहीं है छोटा मोटा धन्धा व्यापार कर परिवार का भरण पोषण कर जीवन यापन करने वाले साधारण लोग हैं। मकान नहीं होगा तो हम कहां रहेंगे। अगर हम गलत थे तो प्रशासन ने हमें उस जगह का मुआवजा क्यों जारी किया? पीडित ने कहा कि घर टूटने से परिवार की महिलाएं बेहद आहत एवं दुखी है वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने की कोशिश कर चुकी हंै अगर उन्हें कुछ हो जाता है तो इसकी पूरी जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी। सरकारी भूमि पर तो आधा ब्लाक बसा हुआ है नियम किसी एक परिवार पर क्यों लादा जा रहा है? कारवाई ही करनी है तो सब पर हो किसी एक पर क्यों?