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खेल – मनोरंजन

सुविधाओं का लाभ प्रतिभाओं तक पहुंचना जरूरी

खेलो इंडिया कार्यक्रम- अब जनजाति खेल महोत्सव का सफल आयोजन

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय खिलाडिय़ों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद हमारे देश के राजनेताओं, खेल प्रशासकों, खेल प्रबंधकों, खेल प्रशिक्षकों, भूतपूर्व खिलाडिय़ों के पास कहने के लिए गिने-चुने शब्द हुआ करते थे। कोई तैयारी को, कोई चयन को तो कोई सुविधाओं की कमी पर बोला करते थे। मई 2014 के पूर्व तत्कालीन केंद्र की सरकार ने इस दिशा में कुछ प्रयास किए जिसके कुछ अच्छे परिणाम हमारे प्रतिभागियों ने गिने-चुने कुछ ओलंपिक खेलों में दिये लेकिन समस्या की जड़ तक नहीं पहुंच सके। हमारे खिलाडिय़ों की विश्व स्तर पर प्रदर्शन के लिए जमीनी स्तर के अत्यंत प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों का चयन करना फिर उन्हें प्रशिक्षित करना सबसे महत्वपूर्ण है। इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने प्रथम कार्यकाल में सटीक कदम उठाया और खेलो इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके साथ ही साथ टेलेंट सर्च, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टाप्स) आदि दूरगामी परिणाम देने वाली योजनाओं को भी आरंभ करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
छुपी हुई प्रतिभा को सामने लाने के लिए केंद्र की युवा कल्याण व खेलकूद विभाग तथा भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के प्रत्येक सदस्यों ने प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करने के लिए अपने अनुभव के अनुसार कार्य-योजना बनाई। इसमें खेलो इंडिया नामक सबसे प्रभावशाली कार्यक्रम को शुरू किया गया। खेलो इंडिया के अंतर्गत 2022-23 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स तथा खेलो इंडिया नेशनल यूनिवर्सिटी गेम्स आदि का सफल आयोजन हुआ। 36वें राष्ट्रीय खेल गुजरात में 2022 में सम्पन्न हुए इसमें भी केंद्र सरकार भारतीय ओलंपिक संघ के साथ खेलो इंडिया भी सक्रिय रहा। इस तरह के आयोजन से नई प्रतिभाएं चुनकर आई है जिनके भविष्य का निर्धारण होने जा रहा है। भारत में शहरी क्षेत्रों के साथ ही अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में निवासरत खिलाडिय़ों को चुनने की कल्पना के साथ भारत में पहली बार खेलो इंडिया जनजातीय खेलकूद स्पर्धा का आयोजन भुवनेश्वर (उड़ीसा) में गत 9 से 12 जून तक हुआ। इसका उद्देश्य खेलकूद के माध्यम से अनजान खेल प्रतिभाओं द्वारा भारत का विश्व मंच में नाम ऊंचा करना है। अक्सर देखने में आता है कि पहाडिय़ों, ऊंची-नीची धरती, पगडंडी, नदी नालों को प्रतिदिन लांघने वाले खिलाडिय़ों की कोई सुध नहीं लेता है अत: खेलो इंडिया कार्यक्रम जनजातीय खिलाडिय़ों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें 26 राज्यों के लगभग 5000 एथलीट व 1000 अधिकारियों ने भाग लिया। 2023 जून में सम्पन्न पहले खेलो इंडिया जनजातीय खेलकूद प्रतियोगिता में 10 खेलों यथा एथलेटिक्स, तैराकी, तीरंदाजी, हाकी, व्हालीबाल, कबड्ड़ी, रग्बी, खो-खो, फुटबाल, योगासन में जनजातीय खेल सितारों का समागम हुआ। इसमें कर्नाटक ने प्रथम, झारखंड ने द्वितीय, उड़ीसा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों ने 15 पदक 1 स्वर्ण, 6 रजत, 8 कांस्य हासिल किए जिसमें सबसे बड़ी उपलब्धि महिला फुटबाल टीम की रही। फायनल में छत्तीसगढ़ ने झारखंड की टीम को परास्त कर स्वर्ण पदक जीता जबकि तीरंदाजी में हमारे प्रदेश के तीरंदाजों ने 11 पदक हासिल किए जिसमें तैराकी, खो-खो, एथलेटिक्स, फुटबाल, तीरंदाजी खेल शामिल थे।
छत्तीसगढ़ के लिए फुटबाल खिलाड़ी किरण पिस्दा बड़ा चेहर बनकर उभरी है। वे भारतीय महिला सीनियर टीम की सदस्या हैं तथा अपने खेल को लगातार निखार रही है। इस प्रकार खेलो इंडिया योजना का लाभ भारत के उन खिलाडिय़ों को मिल रहा है जो बिलकुल अनजान थे। खेलो इंडिया इस तरह अपने उद्देश्य में सफल होती नजर आ रही है। स्वतंत्रता के पश्चात सत्ताधारी राजनेताओं के सामने भले ही कई तरह की समस्याएं रही होंगी लेकिन खेलकूद को कभी भी इतना महत्व नहीं दिया गया जितना कि 2014 के पश्चात इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र सरकार खेलो इंडिया के लिए आवश्यक बजट आबंटित कर रही है अब आवश्यकता इस बात की है कि धन का उपयोग सिर्फ खेल के संबंध में हो तभी खेलो इंडिया की सफलता साबित होगी।

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