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छत्तीसगढ़

जंगल छोड़ मैदानी इलाके में पहुंचा भालू, देखने उमड़ी लोगों की भीड़

राजिम । गरियाबंद वन मंडल के विभिन्न वन परिक्षेत्रों में लगातार पेड़ो की कटाई और जंगली जानवरों के शिकार से सब वाकिफ है ।और इनके लिए जंगलों में पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण जंगली जानवर अब ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़कर मैदानी रिहायशी इलाकों में नजर आने लगे हैं। हाला की जिले के वन विभाग के बड़े अधिकारी हमेशा स्मार्ट बनो स्मार्ट रहो बोलते नजर आते हैं पर यह स्मार्ट अगर वह अपने विभाग के कर्मचारी और अधिकारी को सिखाते तो शायद जंगल बच जाता और जंगली जानवर सुरक्षित रहते हैं पर नहीं बड़बोले अधिकारी को तो दूसरों को सलाह देने आता है और खुद की नाकामी नजर नही आ रहा ,, तो इनके लिए दिया तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ होता दिख रहा है ।ऐसा इन दिनों वन मंडल गरियाबंद के विभिन्न परिक्षेत्र कार्यालय में देखने को मिल रहा है इस बार जंगल से उतरकर भालू नेशनल हाईवे पार कर राजीम किनारे चौबे बांधा , बेलटूकरी होते हुए रोहिना ,टेका देवरी , लोहरसि आदि ग्राम होते हुए मुरमुरा जंगल की ओर चले गए साथ वन विभाग की टीम भी नजर बनाए हुए थे ।पर यह पहली बार ग्रामीणों ने विभिन्न गांव में खुले विचरण करते जंगली जानवर देखा हैं यह पहला मौका है कि मैदानी इलाकों में जंगली जानवर घूमने लगे हैं हाला की जंगल से लगे आस-पास के गांव में घूमना तो आम बात है बता दे की यह जंगली भालू वन परिक्षेत्र पांडुका के मुरमुरा जंगल से होते हुए मैदानी इलाकों में पहुंच गया था ये वही मुरमुरा बिट है जहा भारी संख्या में सागौन पेड़ो की कटाई हुई थी और खाना पूर्ति के लिए विभाग ने कुछ माह पहले जांच के लिए एक टीम भी भेजा था ।पर कार्यवाही हमेशा की तरह जीरो है।और दूसरी बात कल भालू के पीछे-पीछे जंगली सूअरों का आधा दर्जन की संख्या में एक झुंड भालू के पीछे पीछे चल रहा था इन दोनों की इस तरह खेतो में घूमते हुए देख उत्सुकता वश देखने को हुजूम उमड़ पड़ा क्योंकि यह पहला मौका है जब जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में स्वतंत्र घूम रहे इसका मुख्य कारण है कि जंगल में पेड़ों की अवैध कटाई की वजह से जंगली जानवरों के खाने लायक फलदार वृक्ष भी नहीं बचा है साथ ही जंगल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है इस वजह से पानी की तलाश में भटक रहे हैं और जायेंगे कहा। साथ ही केंद सरकार और राज्य सरकार की गलत नीति की वजह से इंसानों के लिए तो जगह जगह रोजगार गारंटी के तहत हर साल उसी उसी तालाब गहरीकरण के नाम से मशीनी में खोदाई कर पैसे का बंदरबांट हो रहा है पर जंगल में जंगली जानवरों के लिए पीने योग्य पानी की व्यवस्था के लिए तालाब खुदाई नहीं हो रहा है और अगर इत्तेफाक से वन विभाग के द्वारा तालाब खुदाई हो भी जाता है तो वे भी भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ जाता हैं जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारी ए सी कमरा में बैठकर केवल सबको स्मार्ट बनने का सलाह दे रहा है पर हकीकत के धरातल में कमरे से बाहर नहीं आ रहे जंगल में आकर देखे की जंगल की दुर्दशा क्या है तो उन्हें पता चलेगा कि जंगल और जंगली जानवरों का क्या हाल है। पर चार किताब पढ़कर अधिकारी बने यह लोग धरातल की हकीकत से कोसों दूर है और बस आम जनता को नियम कानून बताने में लगे रहते । और अगर मीडिया सच्चाई लिखे तो उनके ऊपर अपनी गर्मी निकालने आता हैं ।यही व्वस्था रहा तो जंगलों को बरबाद होने कोई नही रोक पायेगा ।

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