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छत्तीसगढ़

भूपेश सरकार सड़क बनाने की योजना में फेल

राजिम । जब शासन प्रशासन एवं जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने आम जनता की बात नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने स्वयं राशि जुटाए और पक्की सड़क मार्ग बनाने में जुट गए। विकास के इस दौर में भी ग्रामीणों की बात नहीं सुनी जा रही जिसके चलते मजबूरन ग्रामीणों ने स्वयं की राशि से सड़क मार्ग बनाने जैसे साहसिक निर्णय लिए हैं। विकसित क्षेत्र में जब ऐसे हालात निर्मित है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि गरियाबंद जिले के बीहड़ इलाकों का हाल कैसा होगा। हम बात कर रहे हैं फिंगेश्वर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत तर्रा की। इस गांव के हजारों ग्रामीणों ने पक्की सड़क मार्ग बनाने की मांग को लेकर शासन प्रशासन के विरोध में नेशनल हाइवे १३० सी पर चक्का जाम भी कर चुके हैं।
प्रशासन ने तीन महीने के अवधि में पक्की सड़क मार्ग बनाने का आश्वासन ग्रामीणों को दिए थे। तय अवधि में भी जब सड़क मार्ग नहीं बने तो ग्रामीणों ने एकता दिखाते हुए पक्की सड़क बनाने स्वयं अपनी मेहनत की कमाई के राशि जुटाने एकमत हुए और तर्रा गांव से मुख्य सड़क मार्ग तक लगभग दो किलोमीटर की पक्की सड़क मार्ग बनाने काम शुरू कर दिए हैं। ग्रामीण पहले किस्त में अब तक ६ लाख रुपए खर्च कर चुके हैं।तर्रा गांव के किसानों ने सड़क मार्ग बनाने के लिए अपनी स्वयं खेती जमीन को दान में दिए हैं। ग्रामीणों के द्वारा उठाए गए इस साहसिक निर्णय ने हर किसी के सोच को बदलने पर विवश कर दिये हैं। इस गांव के एकता और अखंडता के लोग मिसाल देने लगे हैं। उल्लेखनीय है की ३० मई २०२३ को ग्राम तर्रा के हजारों ग्रामीण ने २० साल पुरानी मांग तर्रा से मुख्य सड़क मार्ग तक पक्की सड़क बनाने की मांग मनाने नेशनल हाईवे १३० सी पर तीन घंटा तक शासन प्रशासन के विरोध में चक्का जाम किया। मौके पर मान मनौव्वल करने पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी अपर कलेक्टर एवं एसडीएम ने तीन माह में पक्की सड़क मार्ग बनाने का आश्वासन दिया था जिसके बाद ग्रामीण सड़क मार्ग में चल रहे आंदोलन समाप्त कर दिया। सबसे बड़ी प्रश्न खड़ी हो रही है कि राजिम विधानसभा के तर्रा गांव इस सड़क पिछले २० सालों से क्यों नहीं बनाया गया जबकि छत्तीसगढ़ राज्य बनते ही इस विधानसभा क्षेत्र को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री मिला बावजूद इसके अपनी बुनियादी समस्याओं से ग्रामीण अभी भी ग्रसित है। जनप्रतिनिधि ऐसे मामले पर फोकस क्यों नहीं करते यह बहुत बड़ा प्रश्न उभर कर सामने आ रहा है।
इधर ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष बिसहत पटेल, कोषाध्यक्ष टोमन साहू, सचिव पवन साहू, लोमस साहू, राकेश कुमार ने बताया कि स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में बड़ी तकलीफ हो रही थी। किसानों को भी किसानी के सामग्री लाने ले जाने तथा किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उन्हें शहर ले जाने में इन दो किलोमीटर में परेशानी को बयां नहीं किया जा सकता इतनी तकलीफ हो रही थी। हम लोगों को प्रशासन ने जो कहा वह किया परंतु सड़क नहीं बन पाई जिसे देखते हुए चंदे से पैसा इक_ा हुआ गया और चलने के लायक बना दिए हैं। मुरूम और बजरी गिट्टी यदि नहीं डलवाते तो पैदल चलना मुश्किल हो गया था। अब कम से कम ग्रामीणों को कुछ रिलैक्स से मिली है।
इस संबंध में जनपद पंचायत फिंगेश्वर के सभापति संतोष सेन ने बताया कि विधायक अमितेश शुक्ला ने सड़क बनाने की घोषणा की थी परंतु सड़क नहीं बनी तब ग्रामीणों ने चक्का जाम किया था। अधिकारियों ने तीन माह में बनाने का आश्वासन दिया। ३ माह भी बीत गए, कोई कार्यवाही होता ना देख ग्रामीण खुद से होकर आगे आए और देखते ही देखते अपने स्तर पर सड़क बना लिए।
आखिर भूपेश सरकार इस सड़क को बनाएगी या फिर इसी से गुजारा करना पड़ेगा
जो कोई भी इस सड़क मार्ग से गुजर रहे हैं वह चर्चा ही कर रहे हैं। गांव की सड़क को नहीं बनाने से प्रशासनिक व्यवस्था की किरकिरी हो रही है। सड़क निर्माण के लिए करोड़ों रुपया प्रदेश सरकार स्वीकृति दे रहे हैं लेकिन महज राजिम विधानसभा मुख्यालय से ८ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव इस सड़क पर किसी ने चिंता क्यों नहीं की यह बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है तथा सरकार के कामकाज पर सवालिया निशान लग गया है।
सड़क निर्माण अब विधायक ने ६ लाख रुपए की स्वीकृति के लिए की अनुशंसा
इसकी जानकारी विधायक को हुई तो उन्होंने ने आनन-फानन में जिला प्रशासन को उक्त सड़क निर्माण के लिए ६ लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान करने अनुशंसा पत्र जारी किया है

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