मार्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने किया राजा का गुण स्थापित – सुनील माहेश्वरी
भाटापारा। नगर भवन भाटापारा में विकासखंड स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता के समापन में प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधि सुनील माहेश्वरी अतिथि के रूप में पहुंचे। उन्होंने प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किए मानस मंडलियों की घोषणा की। यहां उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने राजा को कैसा होना चाहिए उसका गुण कैसा होना चाहिए यह स्थापित किया। साथ ही उन्होंने एक पुत्र के रूप में पिता की आज्ञा का पालन करना और उसे स्थापित करने की शिक्षा दी है।
माहेश्वरी ने आगे कहा कि प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने चंदखुरी में माता कौशल्या का मंदिर बनवाई है। भगवान राम वनवास के समय जिस राह से छत्तीसगढ़ को पार किए उसे राम वनगमन पथ के रूप में बनाने का काम की है। माता कौशल्या का मायका छत्तीसगढ़ में होने के कारण भगवान राम यहां के भांचा हैं, इसलिए उनसे हर छत्तीसगढिय़ा का अलग तरह का लगाव है। वह भगवान के साथ साथ दुलारे भांचा के रूप में भी यहां पूजे जाते हैं। रामायण की बात को जन जन तक पहुंचाने और भगवान राम के द्वारा स्थापित व्यवस्था को हर घर तक फैलाने का काम छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार कर रही है।
माहेश्वरी ने कहा कि कांग्रेस सरकार चिन्हारी पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के तमाम मानस मंडली को पंजीकृत करवा रही है। उन्हें राज्य शासन के सांस्कृति विभाग से 5-5 हजार रुपए देकर प्रोत्साहित कर रही है जिससे मंडली हमारी अगली पीढ़ी तक मानस गायन की परंपरा को आगे बढ़ाए। साथ ही प्रतियोगिता कराकर पंचायत से राज्य स्तर तक प्रथम आने वाले मंडली को पुरस्कृत कर रही है। इस आयोजन को कराए जाने का एक मात्र उद्देश्य मार्यादा पुरुषोत्तम राम के बारे में नई पीढ़ी का आकर्षण बढ़ाना और अपनी संस्कृति की पहचान उन्हें कराना है। आने वाले समय में यह गांव स्तर पर प्रतियोगिता होगी, जिससे मानस मंडली और ज्यादा हिस्सा लेंगी।
माहेश्वरी ने प्रतियोगिता के समापन अवसर पर विजेता मंडली के परिणाम की घोषणा की। इसमें प्रथम स्थान सत्संग मानस परिवार लेवई, द्वितीय मोर संगवारी मानस मंडली टिकुलिया और तृतीय स्थान श्रद्धा सूमन मानस परिवार सिंगारपुर रही। कार्यक्रम में 14 मंडलियों ने भाग लिया।
इस दौरान निर्णायक के रूप में ललित ठाकुर, श्यामरतन निषाद, बीआर वर्मा, सुकृत साहू, हेमलाल वर्मा , थे। वहीं कार्यक्रम में संतोष शर्मा, जेठू राम ध्रुव, आचार्य पं. पवन द्विवेदी आदि मौजूद रहे।