गांव से बहिष्कृत मामले में एसडीएम रामटेके ने दिया सराहनीय निर्णय, मामला कोलिहापुरी पंचायत का
डोंगरगढ़ । पंचों के मुख से परमेश्वर बोलता हैं पंचों का निर्णय परमेश्वर का आदेश माना जाता हैं। जो निष्पक्ष होता और पूरे ग्राम वासियों को मान्य होता हैं। लेकिन वही इसके विपरीत आचरण करते हुए तब देखा गया। जब डोंगरगढ़ ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कोलिहापुरी में जहाँ पर छोटे से घटना को तोड़ मरोड़ कर बड़ा बना दिया गया। वही पीडि़त पक्ष और ग्रामीणों की माने तो मामला इस प्रकार हैं एक 70 वर्षीय बुजुर्ग दंपति गांव के ही युवा के द्वारा बाइक से दैनिक आवागमन और सकरी गली में चलते समय हल्की चोट लग गई जिसे तथाकथित कुछ गांव के लोगो द्वारा विवाद करते हुए पंचायत स्तर पर लेकर चले गए और युवक के परिवार वालो को 25 से 50 हजार अर्थ दण्ड लगा दिया गया और उन्हें गांव समाज से बहिष्कृत कर गांव में होने वाले समस्त गतिविधियों कार्यक्रमों में सम्मिलित होने पर मनाही कर दिया गया।
जिसे लेकर पीड़ीत पक्ष द्वारा पुलिस थाना और तहसीलदार अनुविभागीय अधिकारी से शिकायत की गई जिस पर नायब तहसीलदार साहू को पूरे मामले की जांच करने का आदेश अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा दिया गया। नायब तहसीलदार साहू ग्राम कोलिहापुरी पहुँचे और ग्राम वासियों की बैठक पंचायत भवन में ली गयी। और बारी बारी बयान तैयार कर पीडि़त पक्ष के ऊपर दबाव बनाते हुए नायब तहसील साहू द्वारा उल्टा ग्रामीणों को उकसाते सुना गया और यह कहा गया की आप गांव वाले लोग कोई उतना बड़ा अपराध नही किये हो कि आप लोगो को फाँसी चढ़ा देंगे और यदि ऐसे कुछ होता हैं तो बचाने के लिए परिहार जैसे वकील का सुझाव देते नजर आए। अब प्रश्न यह उठता हैं कि यदि सासन के अधिकारी कर्मचारी ही गलत सुझाव भ्रामक निर्णय करेंगे तो लोग किस पर विश्वास करे। नायब तहसीलदार साहू के जांच प्रक्रिया से कोई हल नही निकलने से पीडि़त पक्ष द्वारा उच्च स्तरीय जांच की कराने हेतु अनुविभागीय दंडाधिकारी गिरीश रामटेके के समक्ष आवेदन लगाकर गोहार लगाई गई।
जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए रूढि़वादी परम्परा का अनुसरण करने वाले तथाकथित ग्रामीणों को अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा बुलाया गया और दोनों पक्षो की सुनवाई करते हुए पीडि़त पक्ष को न्याय दिलाया गया और तथाकथित लोगो को फटकार लगाई गई और पीडि़त पक्ष से 10 लोगो को माफी मंगवाई गई और चेतावनी दी गई कि इस तरह से किसी भी प्रकार से ऐसी स्थिति दोबारा निर्मित नही करने की लिखित चेतावनी दी गई। वही पीडि़त पक्ष के द्वारा दंडाधिकारी से जनहित में निर्णय देने पर पीडि़त पक्ष ने खुशी जाहिर की गई। बहरहाल जो भी हो पीडि़त परिवार द्वारा इस किये गए पहल से ग्राम कोलिहापुरी के ग्रामीणों को रूढि़वादी परम्परा से मुक्ति दिलाने में पीडि़त परिवार की जितनी भी तारीफ की जाय कम है।