बोर में पानी नहीं, खेत में लगी फसल पानी के बिना सूख रही
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राजिम / फिंगेश्वर । छत्तीसगढ़ की मुख्य फसल धान का है, लेकिन बीते 10 से 15 सालों में किसानों द्वारा रबी सीजन में दलहन तिलहन की फसल छोड़कर धान की फसल अपनाने के कारण बोरवेल के माध्यम से लगातार भूजल का दोहन हो रहा हैं। नतीजतन 40 फिट में मिलने वाले पानी के स्रोत आज वर्तमान समय में लगभग 100 फिट में पानी का स्रोत मिल रहा है। लिहाजा रबी सीजन में धान की सिंचाई के लिए खेतों में खोदे गए बोरवेल में पानी की धार पतली होने के साथ साथ ब्लॉक के विभिन्न क्षेत्रों के गांवो में बोरवेल पूरी तरह सूख गया है। जहां से सिंचाई के लिए पानी निकलना पूरी तरह बंद हो गया है। जहां धान की फसल पानी सिंचाई के अभाव में झुलस कर दम तोड़ रही हैं।
ऐसे ही ब्लॉक के ग्राम सरकड़ा, बोरिद, जामगांव, सरगोड़-भेंडऱी, पतोरी, पतोरा, सिर्रीखुर्द, परतेवा, कोमा, बेलटुकरी, आदि गांवो के लगभग आधे से ज्यादा कृषि भूमि क्षेत्रों में भूजल स्तर पूरी तरह सूख गया है। वही जिन क्षेत्रों में बोरवेल चल रहा है, उन बोरवेल से भी धार पतली हो गई हैं। जो पूरी तरह धान की फसल को पकाने में सक्षम नहीं दिख रहे हैं।
१0 से 15 वर्षो में रबी फसल पर बोरवेल से सिंचित धान फसल का रकबा काफी बढ़ा
रबी में धान की फसल का रकबा बढऩे से गिर रहा वॉटर लेबल- पिछले 10 से 15 वर्षो में रबी फसल पर बोरवेल से सिंचित धान फसल का रकबा काफी बढ़ा है। 10 से 15 वर्ष पहले क्षेत्र में 40 से 50 फिट में पर्याप्त पानी का स्रोत था। जो आज गिर कर 90 से 100 फिट की गहराई में पानी का स्रोत मिल रहा है। अनेक जगह तो ऐसे भी है कि 150 फिट गहराई में पानी का स्रोत हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले 10 वर्षो में क्या स्थिति निर्मित हो सकती हैं। वही कुछ बड़े किसान अपनी खेतो में बोर करा कर छोटे किसानों को पानी बेच रहा है। कुछ लोग ऐसे भी है, जो कृषि कार्य नही करते है। वे सिंचाई के लिए पानी से पैसे कमाने के उद्देश्य से बोर कराकर दूसरे किसानों को पानी बेच रहे हैं। शासन प्रशासन जल्द ही इस पर कोई ठोस पहल नही किया तो आने वाले दिनों में समस्या और भी विकराल हो सकता है।