पढ़ाई में कमजोर था इसलिए बहुत मार खाया हूं: सुनील सोनी
राजिम। माघी पुन्नी मेला में लोक मंच की प्रस्तुति देने पहुंचे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध गायक सुनील सोनी मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि 100 से भी अधिक छालीवुड की फिल्मों में संगीत दिया हूं, छत्तीसगढ़ी के अलावा भोजपुरी गीत गाया हूं। ओडिय़ा भजन के साथ माउंट आबू में गीत की रिकॉर्डिंग हुई जिसे सुनकर लाखों लोग योगा करते हैं। अच्छे कर्मों का फल अच्छा ही मिलता है। जीवन में आपाधापी लगा रहता है। किसी भी विधा से जुड़े रहो तो आसपास के लोग आगे ले जाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। श्री सोनी ने अपनी कला यात्रा को बताते हुए कहा कि मैं बचपन से ही खूब गीत गाया करता था। कहीं भी चलते चलते, बैठे हुए, बेडरूम, शौचालय हर जगह गुनगुनाता था। उस समय हिंदी गीत मेरे रग-रग में बसा हुआ था। बाल मंदिर में पहली बार लोगों ने मेरे द्वारा गाए हुए गीत को सुना तो सब लोग बहुत प्रभावित हुए और मुझे मास्टर सुनील सोनी कहने लगे। पिताजी अभिनय कराने के लिए ले गए। बिलासपुर के कोलकाता स्टूडियो उस बहुत महंगा था वहां गीत गया और आगे बढऩे का क्रम शुरू हो गया। उन्होंने आगे बताया कि मैं सरकारी स्कूल में पढ़ा हूं पढ़ाई में कमजोर था इसलिए बहुत मार खाया हूं। मेरे घर के बाजू में प्रभात टॉकीज था इंटरवेल के समय अक्सर फिल्म देखने के लिए घुस जाते थे इस तरह से एक- एक फिल्म को पचास-पचास बार देखा हूं जिनमें से नदिया के पार, प्यार झुकता नहीं, जस्टिस चौधरी, मवाली, शोले सहित बिग बी अमिताभ बच्चन के अनगिनत फिल्म देखा हूं। इसी वजह से संगीत मुझमें समा गया है। बचपन में पाऊंड्स पाउडर का खाली डब्बा को पोंगा बनाकर गाना गाते थे। माइक नहीं थे इसलिए इन्हीं का उपयोग करते थे। अभाव का प्रभाव है कि प्रतिदिन अब मुझे माइक हाथ में लेने का अवसर मिल रहा है।
बच्चन के गीतों को कंपोजिंग किया-उन्होंने आगे बताया कि साहित्यकारों के बीच में रहने का सौभाग्य मिला है प्रसिद्ध शायर मुकुंद कौशल, अशोक सिंघई, दानेश्वर शर्मा, विनोद साव, निरंजन लाल गुप्ता के साथ साहित्यिक गोष्ठी में सम्मिलित होते थे। खासकर महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, जयशंकर प्रसाद के गीतों को कंपोजिंग करते थे इस तरह से बचपन से ही मेरे अंदर म्यूजिक रहा है।
मुंबई के भारतखंडे यूनिवर्सिटी में संगीत की शिक्षा ली -सुनील सोनी ने आगे बताया कि जागेश्वर प्रसाद उस समय मुंबई से आए हुए थे उनकी उम्र तकरीबन 88 वर्ष रही होगी। उनसे मुझे विधिवत शिक्षा मिली। मुंबई के भारतखंडे विश्वविद्यालय में संगीत की शिक्षा ली उसके बाद खैरागढ़ यूनिवर्सिटी से जुड़ा। संगीत के क्षेत्र में मेरे गुरु मेरे पिताजी तथा जागेश्वर प्रसाद देवांगन है इनके अलावा मुझे जहां से ज्ञान मिला मैं लेते गया और उन्हें गुरु के रूप में स्वीकार किया।
पिताजी फुटपाथ में दुकान लगाया करते थे -शुरुआती दौर में हमारी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। पिताजी फुटपाथ में दुकान लगाते थे। इसी तरह से मेले में भी जाते थे और वहां से जो इनकम होती थी उससे परिवार चलता था। मेरे दो भाई दो बहन मैं सबसे छोटा हूं आज जो कुछ किया हूं वह पिताजी एवं गुरु की कृपा है।
लोक संगीत के लिए क्या नया कर सकता हूं सोचता हूं -एक प्रश्न के जवाब में सुनील सोनी ने बताया कि छत्तीसगढ़ी लोक संगीत मेरे अंदर समाया हुआ है इसमें और क्या नया कर सकता हूं हमेशा सोचता रहता हूं प्रयोगवादी हूं। लोक संगीत को मैं आधुनिक तरीके से भी देखना चाहता हूं जो चीजें मर्यादा के अनुरूप हो जिससे मनोरंजन भी हो और उसे परिवार सहित लोग एक साथ बैठकर देख सुन सके ऐसी चीजों को मैं जनता के बीच में लाना चाहता हूं।
छत्तीसगढ़ के संस्कार लोगों को जोड़ कर रखते हैं -उन्होंने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ के संस्कार लोगों को जोड़ कर रखते हैं। मोहल्ले में घुसने के बाद यदि किसी का पता पूछे तो यहां लोग सिर्फ बताते ही नहीं है बल्कि उनके घर में छोड़ आते हैं। जबकि मुंबई में ऐसा कुछ नहीं है वहां तो लोग पड़ोसी का नाम भी नहीं जानते हैं तो फिर सहयोग की बात ही दूर है।
धर्म नगरी राजिम में गीत गाने की दिली इच्छा
उन्होंने कहा कि धर्म नगरी राजिम में भगवान राजीवलोचन, कुलेश्वरनाथ महादेव और त्रिवेणी संगम पर गीत गाने कि मेरी दिली इच्छा है यदि कोई मुझे इसके लिए गीत उपलब्ध कराएं तो नि:शुल्क उसे गाऊंगा। खास करके जो राजिम नगरी के संबंध में अच्छी तरह से जानते हैं वह मुझे गीत लिखकर व्हाट्सएप करें या फिर और कोई अन्य माध्यम से मुझ तक पहुंचा है मैं जरूर दूंगा उनका कोई फीस नहीं लूंगा।
आज की युवा पीढ़ी बहुत अच्छा काम कर रही-वर्तमान समय में लोक कला मंच मैं आज के युवा पीढ़ी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। मेहनत करें आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता है। मैं सन 2003 में झन भूलो मां बाप ला फिल्म सतीश जैन के साथ किया उसके बाद से 2023 आ गया और उन्हीं के साथ काम कर रहा हूं काने मा बाली गोरा गोरा गाल… गीत मुझे बहुत अच्छा लगता है तथा प्रसिद्धि मिली। बताना जरूरी है कि संगीतकार एवं गायक सुनील सोनी माघी पुन्नी मेला के महोत्सव मंच पर प्रस्तुति दे रहे थे जिसे 5500 लोगों ने ऑनलाइन देखा और 300000 से भी ज्यादा लोग इनका सीधा प्रसारण देखें।