नदी मंच में बिखरी लोक संस्कृति की छटा
राजिम । राजिम माघी पुन्नी मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत नदी मंच में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की छटा लोकधुन, लोकनृत्य एवं लोकगीत के माध्यम से बिखरती रहीं। दर्शक ताली बजाकर लुफ्त उठाते रहें। चौबेबांधा के लक्ष्मीनारायण मानस मंडली की शानदार प्रस्तुति ने घंटो बांधे रखा। गायक दीपक श्रीवास ने धार्मिक भजनों से महौल बनाया तो व्याख्याकार संतोष कुमार सोनकर ने सुंदरकांड प्रसंग पर कहा कि हनुमान की तरह शक्ति सभी में मौजूद है बशर्ते उसे बाहर निकालने की आवश्यकता है। जामवंत के द्वारा कहने पर हनुमान को यकीन नहीं हुआ इसलिए समुद्र के किनारें एक सुंदर पहाड़ पर चढ़कर अपने शक्ति का परीक्षण किया। हर बार रामचन्द्र उन्हें संभालते रहें। ईश्वर हर क्षण हमारी सुरक्षा करते हैं। लेकिन हम समझ नहीं पाते। राम कृपा हमारें जीवन में मार्ग प्रशस्त करते हैं। श्री सोनकर ने कहा आगे कहा कि रामचन्द्र जी वनवास काल में छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा समय व्यतीत किया। माता कौशिल्या की भूमि भांजा राम की कृपा रचे बसे है। बकली के मंशाराम द्वारा जय सतनाम चौका भजन प्रस्तुत किया गया। गरियाबंद के प्रेम यादव ने आदिवासी नृत्य की छटा बिखेरी। एक ही वेशभूषा में नृत्य का जलवा देखने को मिला। खट्टी पांडुका के पुना बाई बंसोड़ ने कपालिक शैली पर महाभारत के प्रसंग को शानदार प्रस्तुत किया। बेलसोढ़ा महासमुन्द के पुरानिक साहू ने लोक नाचा के माध्यम से दर्शकों के दिलों में जगह बना ली। कार्यक्रम का संचालन महेन्द्र पंत एवं दुर्गेश तिवारी ने किया। सांस्कृतिक प्रभारी पुरूषोत्तम चंद्राकर, किशोर निर्मलकर, देवेन्द्र, सुखेन साहू आदि व्यवस्था में लगे हुए है।