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छत्तीसगढ़

बाल्याकाल से ही घासीदास के हृदय में वैराग्य का भाव अंकुरित हो चुका था: महिलांग

महासमुंद। ग्राम तेंदुवाही में सतनाम पंथ के गुरु घासीदास बाबा की जयंती समारोह बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गई। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि अमर चंद्राकर रहे। अध्यक्षता नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष त्रिभुवन महिलांग ने की। विशेष अतिथि के रूप में पार्षद मंगेश टांकसाले, हफीज कुरैशी, सरपंच जीवन लाल साहू, डेरहु साहू, सुखचंद कोसले, खोरबहरा सतनामी, सुशील बघेल, क्रांति भाई, वेदराम बांधे,आकाश बांधे मौजूद रहे।
ग्राम तेंदुवाही में शनिवार को संत सिरोमणी गुरु घासीदास बाबा की जयंती बडे ही धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर अतिथियों बाबा के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर जैतखाम में पालो चढ़ाया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमर चंद्राकर ने कहा बाबा ने अपना जीवन समाज के उद्धार के कार्य के लिए लगा दिया। तब कही जाकर सतनाम पंथ की स्थापना हुई है। उनके त्याग को कभी भुलाया नही जा सकता है। उन्होंने सभी मनुष्य को एक धागे में पिरोने का काम किया है। इस लिए बाबा मनखे मनखे एक समान सभी मानव को रूप में देखते थे। अध्यक्षता करते हुए नपा उपाध्यक्ष त्रिभुवन महिलांग ने कहा गुरु घासीदास बाबा छत्तीसगढ़ राज्य की संत परंपरा में सर्वोपरि हैं। बाल्याकाल से ही घासीदास के हृदय में वैराग्य का भाव प्रस्फुटित हो चुका था। समाज में व्याप्त पशुबलि तथा अन्य कुप्रथाओं का ये बचपन से ही विरोध करते रहे। समाज को नई दिशा प्रदान करने में इन्होंने अतुलनीय योगदान दिया था। सत्य से साक्षात्कार करना ही गुरु घासीदास के जीवन का परम लक्ष्य था। सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है।

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