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छत्तीसगढ़

राशनकार्ड बनने के बाद भी नहीं मिल रहा चावल, आठ महीने से दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर है पीडि़त

देवभोग । जिले के देवभोग ब्लॉक के अमाड़ पंचायत के आश्रित ग्राम जामगुरिया पारा में एक अजीब मामला देखने को मिला है.. गॉव की रहने वाली सवेत्री नागेश के पास राशन कार्ड होने के बाद भी उसे सरकारी राशन दुकान से चावल नहीं मिल रहा है.. चावल के लिए राशन दुकान जाने पर विक्रेता द्वारा ई पोष में आधार लिंक नहीं होने की बात कहकर राशन नहीं दिया जा रहा है, जबकि महिला का राशन कार्ड आठ महीने पहले बना है लेकिन आज आठ महीने बीत गए वह राशन पाने को तरस रही है.. और वह अपने पति के साथ दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हो गई है…
किस काम का मेरा राशन कार्ड- इसे अधिकारी की लापरवाही कहे या फिर किसी और की.. लेकिन राशन कार्ड बनने के बाद भी अपने हक का राशन पाने के लिए महिला दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक चुकी है.. महिला के पति खीतेराम नागेश के मुताबिक वह कार्ड के सम्बन्ध में जानकारी लेने हर महीने तीन से चार बार देवभोग में खाद्य शाखा के दफ्तर में पहुंचते है लेकिन हर बार उन्हें गोलमोल जवाब देकर वापस भेज दिया जाता है.. यहां बताना लाजमी होगा कि खीतेराम आज भी खाद्य शाखा के दफ्तर पहुँचे थे.. उन्हें आज जानकारी दिया गया कि आपका आधार ई-पोष में दिख रहा है.. ऐसे में अब आपको राशन मिलना शुरू हो जायेगा.. वहीं जवाब मिलने के बाद खीतेराम किसी को बिना कुछ कहे वापस लौट गया.. उसने तरुण छत्तीसगढ़ प्रतिनिधि को बताया कि वह कार्ड के सम्बन्ध में जानकारी लेते-लेते थक चुका है.. खीतेराम के मुताबिक ज़ब राशन देना ही नहीं था, तो कार्ड क्यों बनाया।
जिले के कलक्टर से उम्मीद:- यहां बताना लाजमी होगा कि कुछ महीने पहले लाटापारा की रहने वाली पीरो बाई सोनी का राशनकार्ड जिम्मेदार नहीं बना रहे थे.. वह कार्ड बनाने के लिए जिम्मेदारों के चक्कर काटने को मजबूर थी.. मामला ज़ब तरुण छत्तीसगढ़ ने उजागर किया था.. इस दौरान जिले के संवेदनशील कलक्टर प्रभात मलिक ने मामले को बहुत ज्यादा गंभीरता से लिया था.. कलक्टर के निर्देश पर तीन घंटे में महिला का कार्ड बना था.. ऐसे में अब सवेत्री और उसके पति ने भी जिला के मुखिया से गुहार लगाया है कि उनकी इस समस्या को कलक्टर दूर करेंगे… हालांकि इस मामले को लेकर सवेत्री और उसके पति कलक्टर से मिलने जिला मुख्यालय जाने वाले है.. खीतेराम के मुताबिक यदि उन्हें इस माह राशन कार्ड में चावल नहीं मिलता है तो वे राशन कार्ड को जनपद पंचायत में जमा कर देंगे… खीतेराम के मुताबिक उन्हें प्राथमिकता कार्ड मिला है, उस कार्ड में उन्हें हर महीने 35 किलो का राशन तीन सदस्य के लिए मिलना था लेकिन आठ महीने बीतने के बाद भी उन्हें राशन दुकान से चावल नहीं मिल पाया है।
मामले में एएफओ रवि कोमर्रा ने बताया कि मामले की जानकारी लेता हूँ, इसके बाद ही कुछ बता पाउँगा…
वहीं राशन दुकान के विक्रेता तुलसी कश्यप ने कहा कि अंगूठा लगाने पर वेरीफाई नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते चावल नहीं मिल पा रहा है..

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