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छत्तीसगढ़

गोस्वामी समाज शंकराचार्य का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी: विजय

राजिम । भारतीय संस्कृति के विकास में आदि शंकराचार्य का विशेष योगदान रहा है।आदि गुरू शंकराचार्य ने सम्पूर्ण भारत में भ्रमण कर चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की। उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा। श्री शर्मा प्रांतीय सनातन दशनाम गोस्वामी समाज द्वारा राजधानी के पाल भवन में आयोजित शंकराचार्य प्रकाट्य समारोह के मुख्य अतिथि थे।श्री शर्मा ने सामाजिक बंधुओं की अपार उपस्थिति को संबोधित करते हुए आगे कहा कि उन मठों से दशनाम गोस्वामियों को संबद्ध कर सनातन धर्म के रक्षार्थ कार्य सौंपा। इस प्रकार दशनाम गोस्वामी समाज आदिगुरू शंकराचार्य के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी हैं। उन्होंने आगे कहा कि गोस्वामी समाज संपूर्ण समाज का पथ प्रदर्शक है, जिस प्रकार आदिगुरु शंकराचार्य जी ने तात्कालीन समय में समाज में प्रचलित जाति प्रथा, छुआछूत, पशु बलि जैसे कुरीतियों का प्रबल विरोध किया, उसी प्रकार गोस्वामी समाज संपूर्ण समाज को पथ प्रदर्शित करते हुए सनातन संस्कृति की ध्वजा फैलाने का कार्य कर रहा है।” कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थापक एवं नीति निर्धारण समिति के सदस्य रमन गिरि ने कहा “शंकराचार्य अद्वैत वेदम के प्रणेता माने जाते हैं। उनके विचारों प्रदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित है। जिनके अनुसार परमात्मा एक ही समय में शगुन और निर्गुण दोनों ही स्वरुप में विद्यमान रहता है।” विशिष्ट अतिथि की आसंदी से संस्थापक सदस्य ओंकार पुरी ने कहा कि बालक शंकर में अद्भुत गुण विद्यमान था, 3 वर्ष की आयु में हुए वेदों का ज्ञान प्राप्त करना प्रारंभ कर लिया, 8 वर्ष की आयु में चारों वेदों में निष्णात हो गए, 12 वर्ष की आयु में सभी शास्त्रों में पारंगत हो गए। और 16 वर्ष की आयु में 100 से भी अधिक ग्रंथों की रचना कर चुके थे। देश के चारों कोनों में चार पीठों की स्थापना कर धर्म, संस्कृति, समाज व राष्ट्र के उत्थान की दिशा में कार्य कर 32 वर्ष की अवस्था में केदारनाथ में समाधिष्ट हो गए। अल्पायु में ही उन्होंने संपूर्ण भारत वर्ष को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया।” विशिष्ट अतिथि नारायण दास त्यागी जी महाराज ने शंकराचार्य के जीवन दर्शन से संबंधित प्रेरक प्रसंग सुनाएं। संरक्षक उमेश भारती गोस्वामी ने शंकराचार्य दर्शन का सार प्रस्तुत करते हुये कहा कि “ब्रह्म और जीव मूलत: और तत्वत: एक है, जो अंतर हमें नजर आता है। उसका कारण अज्ञान है। जीव की मुक्ति के लिए ज्ञान आवश्यक है, और जीव की मुक्ति ब्रह्म में लीन हो जाने में है।” कार्यक्रम का प्रारंभ केशव गिरि के मार्गदर्शन व भगवद्गाचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार, स्वस्तिवाचन वाचन पूजा अर्चना के साथ हुआ। अतिथि स्वागत के प्रसाद प्रांताध्यक्ष अशोक गिरि गोस्वामी द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा तोषण गिरि महासमुन्द, संजय गोस्वामी जशपुर, पत्रकार कामेश्वर पुरी राजिम, सृष्टि गोस्वामी बिलासपुर, शिखा गोस्वामी चंदखुरी मुंगेली, नित्या गोस्वामी व पावस गिरि तोरला महासमुन्द, सहित समाज के 17 भगवद्गाचार्यों का स्मृति चिन्ह, श्रीफल व भगवा वस्त्र भेंट कर सम्मान किया गया। जिसमें मुख्य रूप से सुरेन्द्र कृष्ण गिरि, महाराज भाटापारा, मानस मर्मज्नश भारती पामगढ़ जांजगीर, टंकेश्वर गिरि जी इंदौरी बेमेतरा, रामेश्वर गिरि जी मठपुरैना रायपुर, श्रीमती नीलू-सुजीत गोस्वामी रायपुर, ् बेनू गिरि जी नया रायपुर, संतोष पुरी जी साराडीह महासमुन्द, बाल विदुषी कीर्ति किशोरी जी नगर पंचायत पलारी बलौदाबजार, बाल विदुषी रेणुका गोस्वामी जी लेवई भाटापारा, श्रीमती मोंगरा गोस्वामी सोनडबरी रायपुर, तरुण पुरी गोस्वामी जी अरंड महासमुन्द, बाल विदुषी सुश्री गीता गोस्वामी जी पथर्रा राजिम, रामकिशोर गिरि जी मचांदुर दुर्ग, बाल विदुषी किशोरी आंचल गोस्वामी शक्ति, राजेन्द्र गिरि गोस्वामी जी कोसरंगी, ज्योतिषाचार्य आशुतोष गोस्वामी रायपुर, भरत गिरि खम्हारी पारा गरियाबंद शामिल हैं। संपूर्ण कार्यक्रम विष्णु गिरि के संयोजन, घनश्याम गिरि व बद्री पुरी के सह संयोजन पोखराज बन के समन्वय तथा प्रांतीय अध्यक्ष डॉ अशोक गिरि व भूपेन्द्र पुरी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन ट्यूशन गिरी एवं ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण पुरी और आभार विष्णु गिरी ने किया। इस अवसर पर जिले के अध्यक्ष दुर्ग जिलाध्यक्ष धनराज पुरी, गरियाबंद जिला अध्यक्ष काशीपुरी कुंदन, कोरबा जिलाध्यक्ष घांसी गिरि, रायगढ़ जिला सचिव भुनेश्वर बन, महासमुन्द जिलाध्यक्ष तोषण गिरि, बालोद जिलाध्यक्ष दुष्यंत गिरि, शक्ति जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र गिरि, अंबिकापुर संयोजक अजय गिरि, बेमेतरा संयोजक, अश्वनी बन, धमतरी जिला संयोजक गुलाब भारती, बिलासपुर संयोजक, मुकेश गिरि, मुंगेली जिला संयोजक्, पंकज गिरि, बलौदाबाजार जिला संयोजक श्री सुरेन्द्र गिरि, सारंगढ़ जिला संयोजक, दिलीप गोस्वामी, जांजगीर जिला संयोजक, सूरज गिरि के नेतृत्व में प्रदेश भर के सामाजिक जन्म बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। कार्यक्रम का सफल संचालन ट्यूशन गिरी एवं ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण पुरी ने संयुक्त रूप से किया। रामकुमार पुरी, प्रहलाद गिरि, केशव गिरि, धर्मेन्द्र प्रकाश गिरि , गुमान पुरी, घनश्याम गिरि, सह सचिव मनीष बन, हरीश गिरि, प्रचार सचिव कामेश्वर पुरी, सुशील पुरी, संगठन सचिव उमेश गिरि,
जागेश्वर बन, मदन गिरि, गिरीश पुरी, सदस्य देवेन्द्र गिरि, चंदू गिरि, रामपुरी, पंकज गिरि, डोमन पुरी, अजय गिरि, कमलेश भारती, आकाश गिरि, अविनाश गिरि, मातृशक्ति प्रकोष्ठ के उषाकिरण गोस्वामी, मोहनी गोस्वामी हीना गोस्वामी, मनीष गोस्वामी, संगीता गोस्वामी, सुधा गोस्वामी, पप्पू जनार्दन, प्राणेश्वर दाऊ, अशोक गिरि, शैलेश गिरि, राकेश पुरी, देवेन्द्र गिरि, सुशील पुरी, जयन्त प्रकाश गिरि, विक्की गोस्वामी, किशन गिरि, सुरेश गिरि, के बी गोस्वामी, लखनपुरी, हेमंत पुरी, हरीश पुरी, राजेश पुरी, दीपक गिरि, नारायण पुरी, दिनेश गिरि, टकेश्वर पुरी, भूपेन्द्र गिरि, भीष्म गोस्वामी, डॉ लालपुरी, आशुतोष पुरी, सोनू पुरी, संजू पुरी, विशाल पुरी, संजू गिरि, आनंदपुरी, भगवंत गिरि, सोनगिरि, अविनाश गिरि, देवपुरी, प्रहलाद पुरी, सोनू गोस्वामी, कैलाश गोस्वामी, विकास गिरि, सुशील गोस्वामी, गोविंद गिरि, शेखर पुरी, नरेन्द्र गिरि, धनंजय गोस्वामी, गुमान गिरि, मोनू गोस्वामी, कोमल पुरी, दानी गोस्वामी, भोजेन्द्र गोस्वामी, बोधन गोस्वामी, सुरेन्द्र गिरि, दीपक पुरी, शांता भारती, बुद्धगिरि, धीरेन्द्र गिरि, राकेश गिरि, गोकुल गिरि, जितेन्द्र गिरि, लल्ला पुरी, बल्लू गिरि, किशोर पुरी, गजेन्द्र गोस्वामी, शंकर गिरि, संतोष पुरी, योगेन्द्र पुरी सरदा, नीरज गोस्वामी, मातृशक्ति शारदा गोस्वामी, ममता गोस्वामी, शीला गोस्वामी, मधु गोस्वामी, विमला गोस्वामी, शकुन गोस्वामी, गायत्री गोस्वामी, नमिता गोस्वामी, प्रियंका गोस्वामी, हेमचंदरानी गोस्वामी, लक्ष्मी गिरि, उर्वशी गोस्वामी मौजूद थे।

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