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छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय ख्यातिनाम साहित्यकारों का सम्मान करना गौरव की बात:देशमुख

महासमुंद । छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति महासमुंद इकाई द्वारा 4 दिसम्बर को जय माँ खल्लारी मंदिर परिसर में छत्तीसगढ़ के ख्यातिनाम साहित्यकार द्वय रामेश्वर वैष्णव एवं डा. जीवन यदु राही का सम्मान समारोह व कविता पाठ का आयोजन किया गया।अतिथियों ने मां सरस्वती की पूजा अर्चना, मां खल्लारी की जयकारा व छत्तीसगढ़ राजगीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. डीपी देशमुख संपादक व प्रदेश अध्यक्ष कला परंपरा-कला बिरादरी भिलाई ने कहा कि राष्ट्रीय ख्याति नाम साहित्यकारों का सम्मान करना हम सब के लिए बड़े गौरव की बात है। छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति महासमुन्द इकाई का यह आयोजन निश्चित ही इन मूर्धन्य साहित्यकारों के प्रति सम्मान के भाव को अभिव्यक्त करता है, जो काफी सराहनीय है। अध्यक्षता कर रहे समिति के संरक्षक दाऊलाल चंद्राकर ने कहा, स्वतंत्रता आंदोलन में जो भूमिका देश के कवि व साहित्यकारों की रही, वही भूमिका छ्त्तीसगढ़ राज्य आंदोलन में छ्त्तीसगढ़ के कवियों की रही। पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी, दानेश्वर शर्मा, संत कवि पवन दीवान, लक्ष्मण मस्तुरिहा के साथ ही पंडित सुन्दरलाल शर्मा अलंकरण से सम्मानित रामेश्वर वैष्णव एवं लाला जगदलपुरी अलंकरण से सम्मानित डा. जीवन यदु राही की कविताओं में स्पष्ट महसूस किया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ने कहा कि रामेश्वर वैष्णव व जीवन यदु दीर्घकालिक कवि हैं। कविद्वय ने साहित्य-सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। सन् 1970 से निरंतर हिन्दी व छत्तीसगढ़ी में लिख रहे हैं। समिति के संरक्षक दाऊलाल चन्द्राकर के मार्गदर्शन एवं जिला अध्यक्ष बन्धु राजेश्वर खरे का सद्प्रयास व सदिच्छा में ऐसे साहित्य मनीषियों का सम्मान किया जाना काबिले तारीफ है। कहां पाबोन अपन रामराज, इहॉं झपटे परेवा ला बाज, दाई-ददा के सुध बिसरायेन,भाई भाई ला नई चिन्हय देखो, बिलई सही मुसवा देखो पंक्ति के साथ अपनी बात रखी। विशेष अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी एस चंद्रसेन ने मातत हे मऊहा, बाजत हे मोहरी, अंगना मं ठाढ़े हे रूखवा, मोर मन ला भरमाथे पंक्ति प्रस्तुत की। युवा कवि संजय शर्मा कबीर ने कहा कि साहित्य को समझना बोलना बहुत कठिन है, लेकिन साहित्यकारों की बदौलत मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं। सम्मान में उनकी पंक्ति पर गौर करें-आए तो बैठें कुछ पल, फिर जाना और कहीं। यह सराय बहुत बड़ा है। दो चरणों में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रथम चरण में प्रदेश के कवि रामेश्वर वैष्णव रायपुर व जीवन यदु राही खैरागढ़ के साथ मंचस्थ सभी अतिथियों को उपरना, श्रीफल, स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। समिति के अध्यक्ष बंधु राजेश्वर खरे ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हए उपस्थित कवियों का पुष्पहार से स्वागत किया। द्वितीय चरण में कविता पाठ की शुरुआत।प्रसिद्ध व्यंग्यकार, गीतकार रामेश्वर ने अपने चिर-परिचित अंदाज में प्रसिद्ध गीत कोन जनी काये पाप करे रेहेन प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। गीतकार डॉ.जीवन यदु राही के गीतों ने काव्य-गोष्ठी को गरिमा प्रदान किया।उनकी पंक्तियां काबिले तारीफ रही- गंगा जल ल खोजत खोजत, देश खुसर गे भठ्ठी मा, आजादी के उमर बता झन, झण्डा आगू ठाढ़े हे। मोला लागथे में आये हों छठ्ठी मा जैसे अपनी पंक्तियों को प्रस्तुत कर दर्शकों की तालियां बटोरी। कवि बंधुराजेश्वर खरे ने करनी दिखे मरनी के बेर, झन कर संगी अंधेर जैसे जीवन से जुड़ी पंक्तियों को प्रस्तुत कर जीवन को समझने का संदेश दिया। कवि देवनारायण साहू सुहाना की हास्य-व्यंग्य कविता -देख तो रायपुर के कैसे हाल होगे, में देखथो त ये भोपाल होगे, काफी सराही गई। कवियित्री सरोज साव-आज मोर अंतस मा ये सुरता आवत हे, रही-रही के अंतरात्मा हा, बड़ अकुलावत हे। का येखरे खातिर हमन शिक्षित होवत हन, अपन के सभ्यता, संकृति ला खोवत हन। कवियित्री जितेश्वरी साहू- पढ़-लिख जाहूं दाई नाम ल जगाहूं ओ, सुरूज नही ते मैं हर चंदा बन जाहूं ओ।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे साहित्यकार संतोष गुप्ता ने अपने काव्य पंक्तियों के माध्यम से जंगली जानवरों के हमले से पीडि़तों को आव्हान किया व मूक जानवरों के पक्ष में अपनी काव्य पंक्तियाँ रखी जो प्रशंसनीय रही।

जेहा घर छोड़ जंगल जात हे, जानवर के चारा ल खात हे। वोखर घर जंगल ल उजारत हे, जंगली जानवर उही ल मारत हे। वरिष्ठ साहित्यकार हबीब समर ने भगवान शंकर का भजन एवं शानदार गीत प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। प्रांतीय सह सचिव डॉ. राजकुमार टंडन, विधि सलाहकार अधिवक्ता सुनील शुक्ला, नवोदित कवि प्रफुल्ल त्रिपाठी की भी रचनाओं ने कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की।कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार व पत्रकार संतोष गुप्ता व आभार प्रदर्शन डॉ. राजकुमार टंडन ने किया। इस अवसर पर कला की धनी तुलसा देवी यदु व कला परंपरा की प्रकाशक नीता देशमुख, फाईन आर्टिस्ट अभिकल्प यदु, यशवंत चौधरी, पुष्पांजलि चौधरी, आर्यन, अयांश की विशेष उपस्थिति आयोजन को गरिमा प्रदान की।
आयोजन को सफल बनाने में दिशा नाट्य मंच के गायक व सिने कलाकार अमित हिशीकर, नरेश साहू, कीर्ति पांडेय, देवनाथ पटेल, दिनेश निर्मलकर, देवेंद्र धीवर, प्रीतम विश्वकर्मा, मंदिर समिति के अध्यक्ष दाऊ किशोर चन्द्राकर, पुजारी दुबे, टेकन ध्रुव, चिंतामणि साहू, जनकराम साहू आदि का अमूल्य योगदान रहा।

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