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छत्तीसगढ़

सारदा रामकृष्ण संघ की स्थापना दिवस मनाया

भिलाई । सरस अथवा सारदा रामकृष्ण संघ की स्थापना दिवस की 10वीं वार्षिक उत्सव कल्याण महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में बिलासपुर रामकृष्ण आश्रम के सचिव श्रीमद् स्वामी सेवाव्रतानंद महाराज एवं स्वामी जनार्दनानंद महाराज उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ महाराज द्वारा स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति पर माल्यार्पण, दीप प्रÓवलन तथा त्रिदेव को पुष्पांजलि प्रदान पूर्वक किया गया। प्रारंभिक अधिवेशन में वैदिक मंत्र उ’चारण, भजन तथा रामकृष्ण देव के अष्टोत्तर शत् नाम सम्मिलित रूप से उ’चारण किया गया एवं स्वामी जी द्वारा ध्यान कराया गया। तत्पश्चात सम्मिलित रूप में भगवत गीता का पाठ किया गया। कार्यक्रम के द्वितीय अधिवेशन में उपस्थित श्रीमद् स्वामी सेवाव्रतानंद द्वारा सांसारिक जीवन में चार योग का समन्वय करते हुए आध्यात्मिक उन्नति कैसे करें विषय पर प्रवचन व चर्चा प्रस्तुत किया गया। संसार के कर्तव्य का पालन करते हुए भक्ति मार्ग पर किस प्रकार से चला जाए इस विषय पर महाराज ने कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला। सभी कार्य को ठाकुर का कार्य समझकर करना ही ज्ञानयोग कर्मयोग राजयोग भक्तियोग का समन्वय है। हमें हर कार्य को ठाकुर के चरणों में समर्पित करना चाहिए, ठाकुर भाव स्वरूप है। अत: कार्य भावपूर्ण होकर करें। स्वामी जनार्दनानंद महाराज द्वारा सुमधुर भजन प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात भक्तों के प्रश्नों का महाराजजी द्वारा उत्तर दिया गया एवं भक्तों के द्वारा भजन कीर्तन गाया गया। अंत में प्रसाद वितरण किया गया । कार्यक्रम में चंपा भट्टाचार्य, झरना कोवर, सुबीर रॉय, बेला घोष, दीपक बनर्जी, संदीप विश्वास, अजय मुखर्जी, मानिक चौधरी ,विनोद पहाड़े, देवाशीष सेन संजय परिहार, चित्रा दत्ता आदि भक्तजन उपस्थित रहकर कार्यक्रम में सहयोग किया तथा 100 से अधिक भक्तों ने उपस्थित रहकर इस भक्त सम्मेलन का लाभ लिया। उल्लेखनीय है कि सरस अथवा सारदा रामकृष्ण संघ की स्थापना 21 अप्रैल 2015 में अक्षय तृतीया के शुभ दिन के अवसर पर हुई थी। रायपुर रामकृष्ण विवेकानंद आश्रम के तत्कालीन सचिव ब्रह्मलीन स्वामी सत्यरूपानन्द महाराज के आशीर्वाद तथा प्रेरणा से सरस की यात्रा प्रारंभ हुई थी । बाद में कुछ भक्तों की चेष्टा एवं रायपुर नारायणपुर , बिलासपुर आश्रमों के महाराज तथा सारदा मठ के माताजियों के पथ प्रदर्शन एवं प्रोत्साहन द्वारा प्रेरित होकर सरस पिछले 9 वर्षों में आध्यात्मिक प्रेमियों के हृदय में एक गहन स्थान बन चुका है। कोरोना महामारी के दौरान 2021 से सरस का ऑनलाइन प्रोग्राम भी प्रारंभ किया गया जो वर्तमान में अत्यंत जनप्रियता हासिल कर चुका है इस प्रोग्राम में केवल भारत के विभिन्न प्रांतों से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्तजन अत्यंत उत्साह पूर्वक जुड़ते हैं। उदाहरण के लिए फ्रांस ,डरबन , हॉलैंड ,अफ्रीका आयरलैंड जर्मनी आदि देशों के नाम लिया जा सकता है, यहां के भक्तजन संगीत तथा प्रश्न उत्तर आदि चर्चाओं में नियमित रूप से भाग लिया भी करते हैं । इस प्रकार सरस की सदस्यों की संख्या और उसकी जनप्रियता क्रमश बढ़ती जा रही है। सरस का संचालन श्रीमती संघमित्रा तोकदार द्वारा किया जाता है।

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