देवउठनी एकादशी के साथ मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी घर-घर में
पत्थलगांव । पांच माह का लंबा समय बीतने के बाद अब भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जाग जायेंगे,जिसके साथ ही मांगलिक कार्यो पर लगा ब्रेक अब हट जायेगा। विद्वान पंडितो के अनुसार पांच माह के इस अंतराल मे ब्रम्हांड की कमान भगवान शिव के हाथ मे रहती है। बैकुंठ चतुदर्शी के साथ ही ब्रम्हांड की कमान भगवान विष्णु के हाथ मे हो जायेगी। हिंदु धर्म मे एकादशी के पर्व का काफी गहरा महत्व है,वैसे तो साल मे 24 एकादशी मनायी जाती है,परंतु देवउठनी एकादशी का महत्व कुछ अलग ही है। यहा के प्रमुख ज्योतिषाचार्य पं.आनंद शर्मा ने बताया कि देव उठनी एकादशी के रोज से समस्त मांगलिक कार्य शुरू हो जाते है,इस दिन मांगलिक कार्यो पर लगा ब्रेक स्वत: ही हट जाता है,श्रीहरि विष्णु के निद्रा से जागने के बाद मांगलिक कार्य भी शुरू कर दिये जाते है। उन्होने बताया कि इस वर्ष अधिकमास होने के कारण पांच महिने से मांगलिक कार्यो पर विराम लगा हुआ था। हरिशयन एकादशी के रोज शयन निद्रा मे गये विष्णु देव उठनी एकादशी के दिन निद्रा से जाग कर पृथ्वी के मांगलिक कार्यो को पूरा कराने लगेंगे। उन्होने बताया कि इस बार एकादशी तिथी 22 नवंबर की रात 11 बजकर 3 मिनट पर शुरू होगी,जिसकी समाप्ती 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर होगी। उन्होने पूजा करने का समय 23 नवंबर को सुबह 06 बजकर 50 मिनट से सुबह 08 बजकर 09 मिनट तक का बताया,उसके अलावा रात्रि काल मे शुभ मुहूर्त संध्याकालिन 05 बजकर 25 मिनट से रात 08 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। देवउठनी एकादशी का व्रत पारण 24 नवंबर दिन शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 51 से सुबह ही 08 बजकर 57 मिनट तक कर अवश्य पूर्ण कर ले,उसके पश्चात द्वादशी तिथि रात 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी।।