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खेल – मनोरंजन

बचना होगा खेलकूद के संबंधितों की अनदेखी से

छत्तीसगढ़ के खेल विभाग में लंबे समय से प्रतिक्षित परिवर्तन की आई बेला

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
वर्तमान राजनीतिक दलों में से भारतीय जनता पार्टी के कर्ताधर्ता अपने संग युवाओं को जोडऩे के लिए लगातार प्रयासरत होते हैं। 18 वर्ष की उम्र में पहली बार मतदाता बने युवा साथियों या फिर मतदाता परिचय पत्र बनने के बाद प्रथमत: मतदान करने वाले नये मतदाताओं के स्वागत की परंपरा भारतीय जनता पार्टी की भारत के लोकतंत्र में विशेष देन है। जब ऐसे नये मतदानकर्ताओं को और युवा वर्ग को भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था में इतना सम्मान दिया जाता है तो फिर इस वर्ग की मांग का भी राजनीतिक दल को विशेष ध्यान रखना चाहिए। छत्तीसगढ़ में 2013 दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और जनता ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार को शासन चलाने का सुअवसर प्रदान किया। चुनाव से पूर्व युवा की कई मांग थी जिसमें खिलाडिय़ों को लंबित राज्य पुरस्कार दिये जाने, उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किए जाने की मांग सबसे प्रमुख थी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं खेलमंत्री टंकराम वर्मा ने युवा साथियों के कुछ मांग को तत्काल पूरा किया तथा कुछ धीरे-धीरे पूर्ण होते जा रहे हैं। खिलाडिय़ों/प्रशिक्षकों/मीडिया कर्मियों का 29 अगस्त राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन राज्य खेल अलंकरण समारोह, योग्यता के आधार पर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किए जाने की परंपरा रही है परंतु दुर्भाग्य की बात है कि यह परंपरा पिछले तीन चार वर्षों से टूट गई थी। खेल विभाग की प्रमुख के रूप में पदस्थ पुलिस विभाग की अधिकारी द्वारा इस सिलसिले को गंभीरता से नहीं लिया गया और छत्तीसगढ़ के युवा वर्ग के मन का आक्रोश मतदान के परिणाम के साथ सार्वजनिक हो गया। कोई स्वीकार करे या ना करे परंतु छत्तीसगढ़ के राजनीतिक सत्ता परिवर्तन में खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, खिलाडिय़ों के अभिभावकों, खेल प्रेमियों का जितना हाथ रहा वह उनके साथ विगत चार-पांच वर्षों में किए गये अन्याय, उपेक्षा का परिणाम है। 2018 से 2023 तक सत्ता में बैठे मदमस्त राजनीतिज्ञों ने छत्तीसगढ़ के खेल विभाग की इस कार्यशैली का ना तो कभी आंकलन किया ना ही खेल संचालक के पद पर बैठी राज्य सेवा की पुलिस अधिकारी के निर्णयों, कार्यों के आकलन की हिम्मत जुटाई। प्रशासनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार, आम नागरिक से असहयोग, उनके अधिकारों से वंचित करने का क्या दुष्परिणाम आ सकता है उसको छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव परिणाम से आंका जा सकता है। युवाओं को नाराज करके चुनाव में लक्ष्य प्राप्त करना अब कठिन हो गया है क्योंकि साक्षरता दर बढ़ गई है, संचार माध्यम की सुगमता से सूचना प्राप्त होने में देर नहीं होती। कुल मिलाकर खेल एवं युवा कलयाण विभाग के नवपदस्थ संचालक के लिए यह संदेश भी आ चुका है कि युवा साथियों, खिलाडिय़ों को सब कुछ नियमानुसार उचित समय पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। खेल विभाग की नई संचालक के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि पीडि़त, प्रताडि़त, अपमानित खिलाडिय़ों की उनसे अपेक्षा बढ़ गई है। पुरानी मांग को शीघ्र पूरा करने का दबाव अब खेल संचालनालय पर आ गया है। एक बात और स्थानांतरण के साथ ही विभाग में पदस्थ ऐसे अधिकारियों या प्रशासनिक अमले से नई संचालक को सतर्क होने की आवश्यकता है जो उनकी नियुक्ति से पहले खेल संचालनालय में पदस्थ थे और युवा खिलाडिय़ों/प्रशिक्षकों की भावनाओं से पुराने अधिकारी को अवगत नहीं करा पाये। खेल विभाग के नवनियुक्त संचालक को इस तरह के पुराने स्टाफ पर सोच समझकर ही भरोसा करना चाहिए साथ ही पिछले 5 वर्षों में रायपुर मुख्यालय से बाहर तथाकथित बेसिर पैर आरोप लगाकर स्थानांतरित किए गए खेल प्रशासकों, खेल अधिकारियों को पुन: संचालनालय में लाये जाने हेतु स्वविवेक से गहन चिंतन मनन करना होगा क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत को विश्व में खेल शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। अत: संचालनालय में जागरुक और समझदार स्टाफ रखना श्रेयस्कर होगा ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना पूरा हो सके।

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