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छत्तीसगढ़

पंचायत प्रतिनिधियों की लापरवाही से हर रोज हजारों लीटर पानी सड़कों पर बह रहा

दंतेवाड़ा । कहते हैं ना कि जल ही जीवन है बगैर पानी के पृथ्वी पर किसी भी जीव का जिन्दा रहना नामुमकिन है। समझा जा सकता है कि हमारे जीवन में पानी का क्या महत्व है। उसके बावजूद भी अगर हजारों लीटर पानी हर रोज बर्बाद होते दिख रहा है तो दर्द होना लाजिमी है। जी हां हर रोज हजारों लीटर पानी की बर्बादी का नजारा देखना हो तो कहीं ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं बल्कि जिला मुख्यालय से ही सटे ग्राम पंचायत चितालंका के पंचायत भवन के सामने लगे सोलर टंकी को जाकर देख सकते हैं। सोलर वाटर की भरी टंकी से हर वक्त पानी नीचे गिरता रहता है और सड़कों पर बहता ही रहता है। टंकी से पानी गिरना बंद हो जाए इसकी चिन्ता न तो पंचायत के जनप्रतिनिधियों को है ना ही वहां रहने वाले आम लोगों को इसकी चिंता है कि पानी की बर्बादी को कैसे रोका जाए।
चितालंका पंचायत भवन के सामने ही लगे टंकी से जब हजारों लीटर पानी रोज सड़कों पर अनायास बह रहा है और इसे कोई रोक नहीं रहा तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदरूनी ग्रामीण इलाकों में क्या नजारा होता होगा। यहां तो सब शहर के पढ़े लिखे समझदार लोग रहते हैं और उनके आंखों के सामने पानी की बर्बादी हो रही है और इसे कोई रोक टोक नहीं कर रहा तो भीतर के गांवों की तो कहना ही क्या। टंकी से बहता पानी देख इसकी शिकायत सामने बैठे पंचायत प्रतिनिधियों से की गई तब कहीं जाकर स्वीच ऑफ किया गया और जिसके कुछ समय पश्चात टंकी से पानी का गिरना बंद हुआ। पंचायत प्रतिनधियों के केवल लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना रवैया के चलते इस पंचायत में हर रोज सैकड़ों लीटर पानी व्यर्थ में सड़कों पर बह रहा था और न जाने कितने माह से यह स्थिति बनी हुई थी जो एक छोटी से पहल पर बंद की गई। अब सवाल यह कि क्या वहां रहने वाले अन्य लोग जो जागरूक भी है और शिक्षित भी क्या वे पानी की बर्बादी को नहीं रोक सकते थे? अवश्य रोक सकते थे मगर घुम फिरकर बात वहीं आती है कि हमें क्या? पंचायत की प्रापर्टी है पंचायत जाने? हमारे घर का पानी थोड़े ही बर्बाद हो रहा है? यह सोच आज के पढ़े लिखे समझदार व जागरूक लोगों की है जिसके वजह से इस धरती का लाखों लीटर पानी हर रोज बेकार में बह रहा है। पानी की अहमियत समझनी हो तो देश के बड़े शहरों समेत महाराष्ट, दिल्ली, मारवाड़, राजस्थान, तमिलनाडू समेत अन्य कई राज्यों की स्थिति को जाकर देखा समझा जा सकता है जहां एक बालटी पानी के लिए लोग कई कई किलोमीटर दूर सफर करते हैं पूरे दिन खराब करते हैं तब जाकर एक बालटी पानी उन्हें नसीब हो पाता है और यहां हजारों लीटर पानी सड़कों पर नालियों में बहाया जा रहा है और इसे कोई रोकने, टोकने, वाला नहीं। काफी गंभीर व ज्वलंत समस्या है पानी की बर्बादी इसे हर हार में रोकना होगा अन्यथा वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब इंसान एक एक बूंद पानी के लिए तरसेगा और उसे पानी नसीब नहीं होगा।

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