रतन जोत खाने से आश्रम के 7 बच्चे बिमार, 1 गभीर सतत डॉक्टरों की निगरानी में
गरियाबन्द। मैनपुर विकासखंड मुख्यालय से पन्द्रह कि.मी. दुर ग्राम बड़े गोबर में संचालित आदिवासी बालक आश्रम के सात बच्चों ने संध्या चार बजे रतनजोत का फल खाया लिये जिससे उनकी हालत बिगडऩे लगी और संध्या लगभग सात बजे भोजन करने के बाद उल्टियां तेज हो गई स्थितियों को बिगड़ते देख इन बच्चों को लाने के लिए एक सौ आठ को फोन लगाया गया किंतु मैनपुर मे उपलब्ध न होने के चलते एवं बच्चों के बिगड़ते स्थिति को देखते हुए इन बच्चों को मोटरसाइकिल के जरिए मैनपुर अस्पताल लाया गया जहां इलाज के बीच दो बच्चों की स्थिति बिगड़ते देख सभी बच्चों को रात एक बजे गरियाबंद जिला चिकित्सालय लाया गया जहाँ एक बच्चे की स्थिति गभीर था लगातार रात को चिकित्सा होने के बाद सुबह उसकी स्थिति में सुधार नजर आने लगा है। वहीं देर रात जिलाधीश दीपक अग्रवाल को होने के बाद वे सुबह 5:00 बजे अस्पताल पहुंचे और बच्चों से बात करके उनका हाल-चाल जाना साथ ही अस्पताल प्रशासन को निर्देशित किया कि इस प्राकरण में कहीं भी कोई लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए बच्चों का प्राथमिकता से इलाज किया जाए और इसकी प्रत्येक गतिविधियों की जानकारी लगातार दिया जाए। इस प्राकरण को लेकर बिंद्रा नवागढ़ के विधायक जनक ध्रुव ने तत्काल मैनपुर अस्पताल के बी.एम.ओ. को फोन करके बच्चों की समुचित इलाज का निर्देश देते हुए कहा था इलाज में किसी भी किस्म की लापरवाही ना हो इस बात का विशेष ख्याल रखें
मैनपुर विकासखंड के अति सवेदन शिल नक्सल प्रभावित क्षेत्र बड़े गोबरा में लगभग पैतालीस बच्चे कक्षा पहली से पांचवी तक अध्यनरत है इस आश्रम में रहकर पढऩे वाले ये बच्चे आश्रम के पास ही रतनजोत का जहरीला फल को खा लिये इस जहरीले फल को खाने के बाद बच्चों की स्थिति बिगडऩे लगी किंतु इन बच्चो ने बताया नहीं, संध्या सात बजे भोजन के बाद इन बच्चों को उल्टियां होने लगी मितानिनो को दवाई के लिए बुलाया गया किन्तु स्थितियों को देखते हुए उन्होंने मैनपुर ले जाने की बात कही। मैनपुर मे एक सौ आठ उपलब्ध न होने के चलते बड़े गोबरा के नागरिकों ने चार मोटरसाइकिल के सहारे इन बच्चों को लेकर मैनपुर पहुंचे जहां इलाज के दौरान दो बच्चों की स्थिति अधिक गंभीर होने के चलते इन्हें उच्च चिकित्सा हेतु गरियाबंद जिला अस्पताल भेजा गया है। रात एक बजे अस्पताल पहुंचने के बाद उनका इलाज प्रारंभ किया गया इस संबंध में डॉक्टर से चर्चा करने पर वे कहते हैं एक बच्चा ठीक नहीं है जिसे निगरानी में रखा गया है बाकी बच्चों को भी कल दिन मे भी निगरानी मे रखा जाएगा और उनकी स्थितियों को देखा जाएगा इसके बाद ही कोई फैसला किया जा सकेगा ।वही उनके साथ पहुंचे आश्रम अधीक्षक का कहना है कि ये बच्चे रतनजोत का जहरीला फेल खा लिए हैं जिससे तबीयत बिगड़ी है ।यह पूछे जाने पर किसकी घटना की जिम्मेदारी किसकी बनती है तो वह कहते हैं वे बच्चों को रोक नहीं पाये। साथ ही वे यह भी कहते है, वहां पर लाइट और पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है जिसके चलते काफी दिक्कतों का सामना वे कर रहे हैं। वहीं देर रात इस घटना की जानकारी जिलाधीश दीपक अग्रवाल को मिलने के बाद वे रात में प्रात: 5 बजे अस्पताल पहुंचे बच्चों से चर्चा किया और उनके कुशलता जाना तत्पश्चात उपस्थित चिकित्सकों को उन्होंने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य पर सतत निगरानी रखा जाए किसी भी किस्म की इलाज में कोई लापरवाही ना हो इसका विशेष ख्याल रखें और प्रत्येक घंटा उन्हें बच्चों की स्थिति की जानकारी दें आज घटना के बाद जिला प्रशासन एकदम चौकस हो गया है वहीं आश्रम अधीक्षक सुरेश कुमार को नोटिस थमा कर इस पूरे प्रकरण की जानकारी उन्हें लिखित रूप से प्रस्तुत करने का आदेश आदिवासी सहायक आयुक्त नवीन भगत ने दिया है।