खेल बजट में व्यय की गई राशि की जांच जरूरी
छत्तीसगढ़ के खेल मद (2018 से 2023 तक) में खर्च बजट अनुसार नहीं किया जाना चिंतनीय
जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
हमारे प्रदेश में खेलकूद के लिए राज्य व केंद्र सरकार द्वारा बड़ी राशि दी जाती है। छत्तीसगढ़ के खेल मद में पिछले पांच वर्ष में कितनी राशि जारी की गई और उसका उपयोग सही ढंग से हुआ या नहीं इस बात को लेकर खेल प्रेमियों और खेल संघ के पदाधिकारियों के बीच में मतभेद है। जो लोग सत्ताधारी दल से जुड़े रहे वे जारी खेल राशि में किसी तरह की गड़बड़ी से इंकार करते हैं पंरतु खेल से जुड़े ऐसे व्यक्तित्व जो प्रदेश में खेल वातावरण बनाने के लिए सच्चाई की सोच रखते हैं उनके मन में खेल व्यय में अफरातफरी की संभावना है। केंद्र में 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आते ही जमीनी स्तर से खेलकूद को लोकप्रिय करने की पहल शुरू हुई। खेलों इंडिया योजना उसी का परिणाम है। केंद्रीय खेल मंत्रालय के लिए 2013 में करीब 700 करोड़ का खेल बजट था परंतु उसे 2023-24 में तीन गुना से अधिक बढ़ाकर 2200 करोड़ किया गया है। इसमें से कुछ राशि विभिन्न राज्यों को भी खेल या फिर शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा के तहत जारी किए गए। 2018 से 2023 तक पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रही। इस दौरान जारी की गई खेल राशि में बजट के प्रावधान के अनुसार कितनी राशि खर्च की गई वह जांच का विष्ज्ञय है। यह बात सामने आई है कि खेल मद जारी राशि अन्य मद में खर्च किया गया। कुछ खेल के खिलाडिय़ों, अधोसंरचना के निर्माण, प्रतियोगिता आयोजन और प्रशिक्षण शिविर में आयोजन में पक्षपात किया गया। बजट के प्रावधान के अनुसार या तो खर्च नहीं किए गए या फिर मनपसंद खेलों या खेल पदाधिकारियों का पहुंच के आधार पर राशि आबंटित की गई। 2022 तथा 2023 में सम्पन्न गुजरात व गोवा के राष्ट्रीय खेलों के लिए चयनित विभिन्न खेल के सदस्यों को जो सुविधा उपलब्ध कराई गई उसके विस्तृत जांच की आवश्यकता है। राष्ट्रीय खेलों में चयनित खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों को प्रावधान के अनुसार सुविधा नहीं दिये जाने से खिलाडिय़ों के प्रदर्शन पर फर्क पड़ा। जिन खेलों में खेल पदाधिकारियों, प्रशिक्षकों ने स्वयं ही प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया उन्होंने या उनके परिजनों ने उधारी लेकर खिलाडिय़ों के खान-पान, पोशाक आदि की व्यवस्था की। इस प्रकार की समस्त बातों के लिए अत्यंत आवश्यक है कि व्यय की गंभीरता से पूछ परख की जाए। केंद्र सरकार के समग्र शिक्षा के अंतर्गत प्राप्त राशि के गरियाबंद जिले में व्यापक अनियमितता पाये जाने पर जिलाधीश द्वारा शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की गई है जो कि स्वागत योग्य है। पूरे भारत में खेलकूद का माहौल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोशिश कर रहे हैं तो बाकी राज्यों को भी उनका साथ देना चाहिए। खेलकूद को राजनीति से अलग रखने से उसका विकास संभव है। जमीनी स्तर के खिलाडिय़ों के चयन के प्रयास में पूरे प्रदेश को एक साथ कोशिश करनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में न तो खेल प्रतिभाओं की कमी है न ही बजट की, जरूरत है संकल्प की, जुझारूपन के साथ उदयीमान खिलाडिय़ों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की। इसका सीधा लाभ छत्तीसगढ़ की लोकप्रियता को बढ़ाने में मदद होगी।