राज्य में खेल के भविष्य को अंधकारमय बनाने कौन जिम्मेदार ?
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन खटाई में, 38वां राष्ट्रीय खेल उत्तराखंड में होगा
जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
खेल प्रेतियोगिता का आयोजन किसी भी राष्ट्र, राज्य,देश महाद्वीप के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न हुआ करता है। खेल जगत में चारों तरफ खिलाडिय़ों द्वारा विभिन्न खेल स्पर्धाओं में पदक प्राप्त करने की होड़ लगी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी प्रतिभागी द्वारा पदक हासिल करने से सिर्फ उसी का नाम ही नहीं बल्कि उनके देश, निवास, स्थान,प्रेक्टिस करने वाले खेल परिसर,प्रशिक्षक,अभिभावक,फिजियोथेरेपिस्ट, आहारविशेषज्ञ, सहयोगी सदस्य आदि का भी नाम लोकप्रिय हो जाता। इसी तरह आयोजन स्थल की पूरी तस्वीर बदल जाती है। टूर्नामेंट के लिए निर्धारित खेलों की आधुनिक खेल सामग्री,नये खेल एरिना, नये स्टेडियम, खेलकूद से संबंधित नये खेल अधोसंरचना का निर्माण होता है। हम कह सकते हैं कि किसी एक संपूर्ण बहुखेल चैंपियनशिप के आयोजन से उस क्षेत्र एवं उसके आसपास के इलाके में आमूलचूल परिवर्तन हो जाता है। साथ ही साथ भ्रमण प्रेमियों को नये पर्यटन स्थल की जानकारी होती है। इससे उस अंचल में व्यापार-व्यवसाय तथा परिवहन के नये आयाम स्थापित होते हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय खेलकूद स्पर्धा के आयोजन से समाज को कितना लाभ मिलता है। इसका वास्तविक आंकलन कर लिया जाए तो हमें यह जानकार बहुत अफसोस होगा कि छत्तीसगढ़ में 2013 के लिए लगभग निश्चित हो चुके 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन 2023 तक नहीं हुआ। इससे कितनी बड़ी हानि छत्तीसगढ़ राज्य के खिलाडिय़ों,नागरिकों ने उठाया उसका अनुमान लगा पाना कठिन है। 2011झारखंड,2015 में तिरुअनंतपुरम में संपन्न राष्ट्रीय खेलों के पश्चात गोवा में 36वें खेलों का आयोजन होना था परंतु 2022 में गुजरात में फिर आखिरकार 2023 में 37 वें राष्ट्रीय खेल गोवा में संपन्न हुए।
गोवा में 37वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के समापन समारोह के दिन परंपरा अनुसार 38वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन करने वाले राज्य को ध्वज को सौंपा जाता है। इस बार यह जिम्मेदारी उत्तराखंड को दी गई है। अंत: अब 38वें राष्ट्रीय खेल उत्तराखंड में होंगे। जिसका मतलब यह हुआ कि वर्ष 2000 में निर्माण किए गये तीन राज्य झारखंड, उत्तराखंड तथा छत्तीसगढ़ में से सिर्फ छत्तीसगढ़ ही राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी से वंचित रह गया है। इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? भारतीय ओलंपिक संघ नई दिल्ली के तत्वावधान में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होता है। इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य ओलंपिक संघ और छत्तीसगढ़ की सरकार की मिली जुली कोशिश जरूरी है। 2020 से छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष भूपेश बघेल हैं। जबकि सरकार के राजनैतिक मुखिया भी वे ही हैं। स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ के ओलंपिक संघ के पदाधिकारी और छत्तीसगढ़ शासन के खेल विभाग के पदाधिकारी दोनों ही अपने अगुवे के साथ समान रूप से दोषी है। पिछले पांच वर्षों में हमारे प्रदेश के खेल मंत्रालय और खेल संचालनालय के अधिकारी तथा राज्य ओलंपिक संघ के पदाधिकारियों के बीच आपसी तालमेल का अभाव है। जो कि अब जग जाहिर हो गया है। शासन व ओलंपिक संघ के बीच सामंजस्य की कमी ने छत्तीसगढ़ के खेल भविष्य को अंधकारमय कर दिया है। इसका सीधा प्रभाव प्रदेश के प्रत्येक खेल के प्रतिभाशाली उदयीमान बालक-बालिका, महिला-पुरुष खिलाडिय़ों पर पड़ा है। सोचने योग्य बात यह भी है कि संसाधन,सुविधा के अभाव में हमारे खिलाड़ी गोवा 2023 के राष्ट्रीय खेलों में 25 पदक जीतने में कामयाब हुए हैं। जिसके लिए वे,उनके प्रशिक्षक,अभिभावक तथा सहयोगीगण हार्दिक बधाई के पात्र हैं। सोचनीय तथ्य यही है कि अन्य पदक से चूके खिलाडिय़ों को थोड़ी और सुविधा मिल जाती तो छत्तीसगढ़ का नाम भारत के खेल परिदृश्य में शान के साथ दिखाई दे सकता था।