मातृभाषा हिंदी अच्छी है तभी भारत कहलाता है विश्व गुरु:देवकी नंदन
भिलाई । श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा का शुभारंभ करते हुए देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने बताया कि भरत जी महाराज ने राज्य सौंपने के बाद वन को प्रस्थान हो गए जहां वानप्रस्थ आश्रम में दिनचर्या बिताने लगे, महाराज जी ने नर बलि के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया की जो समाज में अंधविश्वास फैलाकर जीव हत्या को बढ़ावा दे रहे हैं उसे देव आराधना में विश्वास रखना चाहिए। इसी कड़ी में मातृभाषा का उल्लेख कर महाराज ने कहा कि जो अपनी मातृभाषा का उपयोग करते हैं और जो इंग्लिश का उपयोग करते हैं उससे अच्छी मातृभाषा है और उससे भी अच्छी संस्कृत है। अगर इंग्लिश बोलना अच्छा होता तो अमेरिका, इंग्लैंड विश्व गुरु होता इसलिए मातृ भाषा हिंदी अच्छी है तभी भारत विश्व गुरु कहलाता है। महाराज ने बताया कि मांस मदिरा का सेवन करने वालों को 84 लाख नरक की यातना को भोगना पड़ता है। मांस का सेवन करने वालों को तीन व्यक्ति को पाप लगता है, पहला जो मारता है, दूसरा जो पकाता है और तीसरा जो खाता है। इन तीनों को ही नरक में खोलते तेल की कड़ाही में डाला जाता है। इस हेतु मनुष्य को मांस मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। कथा में समुद्र मंथन के बारे में महाराज ने आगे बताया कि दैत्यों ने गुरु कृपा से अमृत पाकर देवताओं पर विजय पा लिया और इस प्रकार इंद्र को हराकर इंद्रासन पर कब्जा कर लिया तब सभी देवताओं ने भगवान श्री नारायण से प्रार्थना किया कि मेरी सहायता कीजिए तब भगवान ने वामन रूप अवतार लिया और राजा बलि के पास पहुंच गए और राजा बलि से बोले मैं तुम्हारे पास कुछ मांगने आया हूं तब राजा बलि ने कहा कि कि भगवान आपको क्या चाहिए ? भगवान वामन ने कहा कि मुझे तीन पग जमीन चाहिए। राजा बलि ने कहा प्रभु इन छोटे नन्हे पैरो से तीन पग जमीन लेकर आप क्या करेंगे, तब भगवान वामन ने कहा मुझे तो सिर्फ तीन पग जमीन ही चाहिए। तब राजा बलि ने स्वीकार कर तीन पग जमीन देने को तैयार हो गए। तभी राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य आकर राजा बलि को बताया कि यह साक्षात भगवान हैं जो तुम्हारे सब कुछ जीत लेंगे फिर भी राजा बलि ने संकल्प कर देने को तैयार हो गये। तब भगवान ने दो पग में ही सारा ब्रह्माण्ड को नाप लिया फिर वामन भगवान ने कहा अब मैं तीसरा पैर कहां रखूं ? तब राजा बलि ने तीसरा पैर अपने सिर पर रखने कहा इस प्रकार भगवान वामन ने राजा बलि के पूरा साम्राज्य ले लिया। भगवान ने प्रसन्न होकर राजा बलि को वरदान दिया कि अभी आप पाताल लोक में निवास कीजिए। महाराज जी श्रीमद भागवत कथा में वासुदेव जी महाराज के सातवें संतान के रूप में बलराम के जन्म की कथा बताया एवं माता देवकी के आठवें संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ पूरा पंडाल जन्म उत्सव में झूम उठा ।