राजनीतिक चश्मा उतारकर करें सफलता का आंकलन
एशियाई खेल 2022, भारत की ऐतिहासिक सफलता, देश गौरवान्वित
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
पिछले 45 वर्षों से प्रिंट मीडिया में खेल पत्रकारिता के दौरान भारत के खिलाडिय़ों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि को देखने, सुनने का अवसर मिला। स्वतंत्रता के पश्चात पिछले 75-76 वर्षों में हमारे प्रतिभागियों ने लगातार अच्छे से अच्छा प्रदर्शन करके हिन्दुस्तान के लोगों को दिखाया। इसमें कोई दो मत नहीं कि बीसवी सदी के उत्तराद्र्ध से अंत तक हमारे खिलाडिय़ों की अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर मिली सफलता निरंतर बढ़ती चली गई। चाहे प्रशिक्षण का अभाव हो, प्रतिभा खोजने में कुछ कमी हो, प्रतिभागियों को मिलने वाले आवास, परिवहन की सुविधा में कमी हो, उचित व संतुलित भोजन का अभाव हो लेकिन हमारे खिलाडिय़ों ने अपनी प्रतिभा का 100 प्रतिशत दिया। भारत के लिए पदक जीतकर देश का नाम रौशन किया। कहने का तात्पर्य परिस्थिति चाहे जैसी भी रही हो बीसवी सदी में हमारे नौजवानों ने देश के लिए पदक लाये। अब 21वीं सदी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आते ही खेलकूद के प्रति दृष्टिकोण बदल गया। 2014 के बाद खेल में उपलब्धि को हमारे भारत की प्रतिष्ठा से जोड़ा गया। इस दौरान 135 करोड़ से बढ़कर देशवासियों की संख्या 143 करोड़ हो गई। हम विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश हो गये तो फिर अन्य क्षेत्रों के अलावा खेलकूद में भी हमारी उपलब्धि का मूल्यांकन जरूरी हो गया। दुर्भाग्य की बात है कि आज 2022 के एशियाई खेलों में हमारे जाबाज प्रतिभागियों की सफलता को राजनैतिक चश्मे से देखा जा रहा है। बिना सोचे-समझे कुछ भी टिप्पणी की जा रही है जो खेल के बारे में ठीक से जानते भी नहीं वे भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सबसे बढ़कर वे लोग जो 2014 के पहले गैर भाजपा वाली सरकार के दौरान खिलाडिय़ों की सफलता को लगातार कम आंकते थे आज भी ऐसे लोग एशियाड 2022 की सफलता से निराशाजनक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एशियाड में हमारे देश ने कभी भी चौथा स्थान प्राप्त नहीं किया, कभी भी 100 पदक हासिल नहीं कए फिर भी केंद्र सरकार की खेल नीति या खेल विभाग के खर्च पर प्रश्न उठा रहे हैं। खेलकूद में विश्व गुरु बनना है तो खेल को राजनैतिक चश्मे से देखना बंद करना होगा। पिछले 10 वर्षों में भारतीय खेल परिदृश्य में आई तब्दीली को देखने का ढंग बदलने का वक्त आ गया है। ऐसे लोग जिन्हें वर्तमान केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करना है उन्हें कम से कम केंद्रीय खेल विभाग की गतिविधि से अपने आपको अलग कर लेना चाहिए। ऐसे लोग वस्तुत: भारत में हो रहे खेलकूद के क्षेत्र में परिवर्तन के विरोधी साबित हो रहे हैं। खेल विभाग द्वारा खर्च की जा रही राशि को लेकर प्रश्न उठाने वाले जरा उन खिलाडिय़ों तथा उनके अभिभावकों से संपर्क कर ले जिन्होंने भारत का सिर ऊंचा किया है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। भारत में खेल की वर्तमान परिस्थिति से नाराज तथा विघ्नसंतोषी महानुभावों को समझ लेना चाहिए कि अब वह दिन आ गया है जब खून-पसीना बहाकर पदक जीतने वाले खिलाड़ी उनके परिवार के लोग और खेल प्रेमी ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार भी कर सकते हैं। आज हमारे खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन की आवश्यकता है उन्हें आर्थिक, मानसिक मदद की जरूरत है। जो लोग भारत में पिछले 10 वर्षों की खेलकूद की उपलब्धि को लेकर सवाल उठाते हैं उन्हें ये ही पदक प्राप्त खिलाड़ी प्रश्न करेंगे कि हमारी सफलता में आपका क्या योगदान? आप कंद्र सरकार को नहीं अपनी ऋणात्मक सोच से हमें आगे बढऩे से रोक रहे हैं तो फिर राजनैतिक चश्मा लगाकर विरोध करने वालों के लिए समाज में क्या स्थान रह जायेगा। एशियाड 2022 में 28 स्वर्ण, 38 रजत तथा 41 कांस्य सहित 107 पदक हासिल करने वाले खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, अभिभावकों, खेल प्रशासकों सभी को दिल से बधाई देना श्रेयस्कर होगा।