भागवत के अंतिम दिन कृष्ण-सुदामा मिलन
पत्थलगांव । अग्रसेन भवन मे आयोजित गर्ग डाहौलिया परिवार द्वारा आयोजित पितृ मोक्ष भागवत कथा के अंतिम दिन ब्यासपीठ पर विराजमान आचार्य श्याम नारायणाचार्य ने श्री कृष्ण व गरीब सुदामा की दोस्ती पर प्रकाश डालते हुये अंतिम अध्याय का समापन किया। भागवत कथा आयोजन स्थल पर सैकडो की संख्या मे श्रद्धालु कथा का श्रवण करने के लिए उपस्थित थे। आचार्य श्याम नारायणाचार्य द्वारा भागवत ब्यास की आरती करने के बाद कृष्ण की बाल लीलाओ का पुन: व्याख्यान करते हुये बचपन मे सुदामा के साथ उनकी दोस्ती का चित्रण पेश किया,सुदामा अपने वेश मे सजे श्रद्धालुओ के बीच जाकर झोली मे भिक्षा दान ले रहे थे, आचार्य श्याम नारायणाचार्य ने बताया कि जब श्री कृष्ण द्वारा कंश का वध करने के पश्चात मथुरा मे आकर वहा का राजपाठ संभाल लिया तो उस दौरान गोकुल मे उनके बाल सखा सुदामा के पास एक वक्त की रोटी खाने के भी लाले पडे हुये थे ऐसे मे जब सुदामा की धर्मपत्नी द्वारा सुदामा को मजबुर कर श्री कृष्ण के पास आर्थिक सहायता मांगने के लिए मथुरा भेजा गया तो वहा पहुंचकर सुदामा ने महल के बाहर खडे द्वारपहरीयो को कृष्ण का दोस्त होने की बात कही यह बात सुनते ही पहरीयों द्वारा उन पर हंसी के टहाके लगाने शुरू कर दिये,परंतु बार-बार सुदामा द्वारा महल के पहरियो से उनका संदेश कृष्ण तक पहुंचाने की जिदद की जा रही थी,तब उन पर दया खाकर एक पहरी ने सुदामा का संदेश श्रीकृष्ण के पास पहुंचा दिया। सुदामा के आने का संदेश मिलते ही श्रीकृष्ण बदहवास होकर नंगे पाव ही अपने सिहांसन से उठकर मथुरा के द्वार तक आ पहुंचे थे,उस दौरान उन्होने सुदामा की खराब हालात को देखकर तुरंत महल मे ले जाकर चरण धोते हुये जल को अपने माथे से लगा लिया,दोनो मित्रो की इस मित्रता को देखकर महल के सभी लोग हैरान हो गये थे।
कुटिया बनी महल- आचार्य श्याम नारायणाचार्य ने बताया कि लाजवस जब सुदामा अपने मितर्् श्रीकृष्ण से अपनी निर्धनता की बात कर नही पाये और वे बगैर कुछ मांगे उनसे घर लौटे तो उन्हे बगैर मांगे ही सब कुछ मिल गया। सुदामा जब गोकुल वापस लौटे तो उनकी कुटिया महल मे तब्दील होकर सभी सुख के संसाधन वहा स्वत: ही उपलब्ध हो गये।
ब्यासपीठ पर विराजमान आचार्य द्वारा अपने मुख से श्रीकृष्ण व सुदामा की दोस्ती का विवरण करते हुये मनुष्य को भी अपने जीवन मे ऐसी ही मित्रता का प्रतिसाद करने की बात कही।।
हवन पूर्णाहुति के साथ हुयी विदायी-:विगत एक सप्ताह से चली आ रही श्रीमद भागवत कथा का दिन रविवार को हवन पूर्णाहुति के साथ विदायी दी गयी। गर्ग डाहौलिया परिवार द्वारा आयोजित भागवत के समापन बाद दिन मंगलवार दिनांक-17.10.2023 को भंडारे का आयोजन किया गया है।