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4 दिन लगातार बारिश से खेतों में भरा पानी, किसानों के चेहरे खिले

राजिम । अंचल में मानसून सक्रिय होने के कारण धान बोनी के कार्य में तेजी जरूर दिख रही है लेकिन झड़ी होने के कारण सोमवार को किसान कम मात्रा में खेतों की ओर गए। क्योंकि शाम 4:00 बजे तक पानी की बूंद लगातार गिर ही रहे थे उसके बाद थोड़ी देर के लिए रुका। जगन्नाथ यात्रा के दिन से पानी गिरने की शुरुआत हुआ है। उसके बाद पिछले 4 दिनों से लगातार बारिश ने किसानों को खुश कर दिया। बारिश थमने के बाद किसानों का पूरा दिन खेतों और कृषि दुकानों में ही गुजरेंगे। बताया जाता है कि राजिम व आस-पास के गांव में 25त्न बोनी हो चुके हैं। पूरे 75त्न बचा हुआ है। किसान सुबह से ही कृषि दुकानों या फिर सोसायटी में लेनदेन कर रहे हैं और सीखें अपने खेतों में पहुंच रहे हैं। खेतों की जुताई नांगर बैल से भी हो रही है। लेकिन यह यदा-कदा ही देखने को मिल रही है बाकी ट्रैक्टर से ही जुताई किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक नांगर बैल का किराया ?600 तथा ट्रैक्टर का प्रति घंटा 1200 रुपया लिया जा रहा है। ज्यादातर किसान भाईया सरना, महामाया, समा माशंसूरी, 1010 इत्यादि धान की प्रजाति लगा रहे हैं। किसान दो प्रकार की बोनी पर ज्यादा ध्यान देते हैं जिसमें पहला खुर्रा बोनी तथा दूसरा लाइचोपी का सहारा लिया जाता है। इनके अलावा रोपा भी लगाया जाता है। चौबेबांधा, सिंधौरी, श्यामनगर, सुरसाबांधा, तर्रा, कुरूसकेरा, देवरी, जेंजरा, हथखोज, पोखरा, पीतईबंद, रावड़, भैंसातरा, बेलटुकरी, कोंदकेरा, पारागांव, बासीन, पथर्रा, नवाडीह, पीपरछेड़ी, बोरसी इत्यादि गांव में किसान तन मन धन से बोनी के कार्य में जुट गए हैं। इसी तरह से सिर्रीखुर्द, कुंडेल, चरौदा छुइहा, खुटेरी, चोरभट्टी, तरीघाट, खुहियाडीह में खुर्रा बोनी 70त्न हो गया हैं।मताई करके बोने का क्रम अभी शुरू हुआ है मात्र 25 परसेंट ही हो पाया है। सर के किसान भोले साहू, ओमप्रकाश साहू ने बताया कि जोताई के लिए ट्रैक्टर का किराया बहुत ज्यादा हो रहा है। उसके बाद खाद, दवाई इत्यादि में बड़ी राशि खर्च करना पड़ता है। वैसे भी किसानों का पूरा समय खेतों में ही बीतता है।
मताई के लिए खेतों में भरा पानी
मताई के लिए खेतों में पानी भर गया है। अब किसानों को इधर उधर से पानी खरीदने की जरूरत नहीं है बल्कि प्रकृति है पहले ही बारिश में खेतों को लबालब कर दिया है अब किसान सीधे रोटो वाले ट्रैक्टर किराए से लाकर मताई में लगे हुए हैं। हालांकि प्रति घंटा किराया 1200 रुपया है लेकिन काम कुछ ही घंटे में कंप्लीट हो रहे हैं। बताना जरूरी है कि मशीनी युग आने से श्रम कम हुआ है उनका स्थान मशीन ने ले लिया है।

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