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छत्तीसगढ़

भगवान मनुष्य को धरती पर रोटी, कपड़ा, मकान के लिए ही नहीं भेजता है:शंकराचार्य:सदानंद सरस्वती

तिल्दा नेवरा । समीपस्थ ग्राम सरोरा में आयोजित कार्यक्रम में पधारे शंकराचार्य महाराज का भव्य स्वागत किया और इस अवसर श्री शंकराचार्य जी ने कहा की मनुष्य का शरीर मां के गर्भ में आता है, 9 महीने बाद मां के गर्भ से बाहर निकलने के लिए वह परमात्मा से यह प्रार्थना करता है कि कर्म प्रदान करनेÓ मुक्ति प्रदान करने यदि मुझे गर्भ से सी मुक्त कर देंगेÓ तो मैं आपका भजन करूंगा, औरअजर-अमर सनातन धर्म का ध्यान करूंगा यह प्रतिज्ञा करके परमात्मा से इकरारनामा कर मां के गर्भ से बाहर आता हैज्गर्भ से बाहर आने के पहले ही परमात्मा यह सोचता है किअब यह मृत्युलोक जा रहा है वहा जगत के प्रपंच और वासनाओं में लिप्त होकर भटक ना जाए, इसलिए परमात्मा उनके सिर पर धर्म, पोटली रख देता है, जब कभी हम बाहर जाते हैं तो रास्ते में लगने वाले साधन परिवार के बड़े बुजुर्ग हमें उपलब्ध कराते हैं ताकि रास्ते में कोई तकलीफ ना हो ‘ठीक उसी प्रकार परमात्मा पोटली में दयाÓ धर्म.क्षमा आध्यात्मिक आदि शक्तियो से भरी एक पोटली उनके मस्तक पर रखकर उनसे कहते हैं, मृत्यु लोक में जाकरसांसारिक बंधन में न पढ़कर परमात्मा रूपी भजन.धर्म का व्यापार करना, मैं तुम्हें सिर्फ रोटी कपड़ा मकान के लिए नहीं भेज रहा हूं, इसकी व्यवस्था तो जानवर स्वयं कर लेते हैं, उक्त बातें तिल्दा के सरोरा गांव पधारे द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, ने अपने दिव्य प्रवचन में कही। जगतगुरु ने कहा कि मृत्यु लोक में जन्म लेना बहुत दुर्लभ है, लेकिन यहां आने के बाद मनुष्य माँके गर्भ से बाहर निकलने के लिए परमात्मा से किए गए इकरारनामा को भूल जाता है.. और मोह माया वासनाओं के माया जाल में फंसकर सदमार्ग पर चलना भूल जाते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि इंसानों की तरह जानवर भी भोग कर लेते हैं लेकिन वे झाड़ के नीचे सारा जीवन गुजार देते हैंÓ हम जिस गेहूं के आटे से भोजन करते हैं वे उसके छिलके भूसे से पोषण कर लेते हैं, जो चारा काम का नहीं रहता है उसे खाकर गाय हमें दूध देती है.. लेकिन हमारी इच्छाएं और ईष्र्या के चलते जन्म लेते समय हमें मिली सदमार्ग पर चलने दया धर्म क्षमा आध्यात्मिक आदि से भरी धर्म की पोटली को यूं ही व्यर्थ कर देते हैं.. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हमारे बच्चे अच्छा कार्य करते हैं तो हमें खुशी होती है उसी प्रकार परमात्मा के द्वारा बनाया गया मनुष्य अच्छा करता है तो परमात्मा भी खुश होते हैं हम इस संसार में आए हैं तो ऐसा कार्य करें ताकि फिर से मनुष्य के रूप में जन्म ले सके।
इसके पहले द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, के सरोरा पहुंचने पर ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया। गांव में प्रवेश होते ही पूरा गांव धर्म की जय हो के जयकारों से गुंजायमान होता रहा.सरोरा पहुंचने के बाद वे सीधे अपने परम शिष्य डीडी अग्रवाल के निवास पहुंचे जहां स्वामी जी की आरती कर पादुका पूजन किया गया.. यहां से वे बजरंगबली मंदिर पहुंचे जहां जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, की से डीडी अग्रवाल, उद्योगपति संभव अग्रवाल, प्रशांत गुप्ता. सरपंच बिहारी वर्मा, पूर्व सरपंच सनत ठाकुर, सहित ग्रामीणों ने शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती के पादुका पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया

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