लोग गंदे एवं बदबूदार पानी में अस्थि विसर्जन करने विवश
राजिम । छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध प्रयाग भूमि धर्म नगरी राजिम को तीर्थों का राजा कहा जाता है यहां तीन नदियों का संगम है जिसमें अस्थि विसर्जन, पिंडदान इत्यादि कृत्य के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में प्रदेश के अलावा दीगर राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां मुख्य रूप से सोनतीर्थ घाट, अटल घाट में अस्थि विसर्जन किया जाता है।
ब्रह्मचर्य आश्रम के पास पंडागण बैठकर सारे कृत्य करते हैं तथा अस्थि विसर्जन के लिए घाट में जाते हैं परंतु यहां तो गंदे एवं बदबूदार पानी मौजूद है जिसके कारण मजबूरी में जाकर स्नान करना तथा विसर्जन की प्रक्रिया को पूर्ण करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख आस्था के केंद्र त्रिवेणी संगम की यह दशा सोचनीय विषय बनती जा रही है। उल्लेखनीय है कि यहां एनीकट बना हुआ है। जिसमें पानी ही नहीं है नतीजा बदबूदार पानी का उपयोग हो रहा है और स्थानीय प्रशासन तथा जिला प्रशासन उदासीन है। मेले के समय भी मात्र अटल घाट की साफ सफाई होती है। सोनतीर्थ घाट पर किसी की नजर नहीं जाती। लेकिन उस समय नदी में पानी भरा हुआ था इसलिए गंदगी ही समाप्त हो गए थे अब पानी कम होने के बाद कहां पर क्या स्थिति है स्पष्ट रूप से पता चल रहा है। इसी तरह से नदी के उस पार नेहरू घाट में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया पूर्ण करते हैं यहां भी वही स्थिति देखने को मिल रही है। अपने दादा के अस्थि को लेकर पहुंचे भिलाई के परिवार गंदे पानी को देखकर विचलित हो उठा और कहने लगे इस पानी में नहाने से मेरा तबीयत खराब हो जाएगा मैं बिना स्नान किए विसर्जन करना चाहता हूं इस पर पुजारियों ने स्नान करने की जिद करने लगे। उनकी बात मान कर बदबूदार पानी में स्नान की और अस्थि विसर्जन कर दिए। ऐसे कई उदाहरण प्रतिदिन यहां देखने को मिल रहे हैं। लाखों करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र राजिम संगम नदी की यह स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। यदि रावड़ एनीकट में पानी भरा रहता तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती क्योंकि इनका ठेलान राजिम पुल तक रहता है। प्रदेश सरकार के द्वारा करोड़ों रुपया की राशि स्वीकृत कर संगम के आसपास चार एनीकट का निर्माण कर लिए हैं लेकिन ठीक से किसी भी एनीकट में पानी नहीं है। जब एनीकेट को पानी से भरना ही नहीं है तो फिर सरकार करोड़ों रुपया खर्चा क्यों कर रही है। जनता कई सवाल कर रहे हैं। लाखों-करोड़ों खर्च करने के बाद भी एनीकट को पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं नतीजा पानी का लेवल दिनो दिन नीचे गिर रहा है।
श्रद्धालु गंदे कपड़े घाट पर छोड़ देते हैं-यह भी देखा गया है कि स्नान के लिए अस्थि विसर्जन करने के लिए पहुंचे हुए श्रद्धालु सफेद कपड़े पहन कर विसर्जन करते हैं पश्चात उस कपड़े को वहीं पर छोड़ देते हैं जिसके कारण यहां गंदगी भी फैल जाती है। स्थानीय पंडा को इस पर ब्रेक लगाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है यदि पंडा गण साफ सफाई पर ध्यान देंगे तो घाट में स्वच्छता बनी रहेगी। शासन प्रशासन भी प्रतिदिन साफ सफाई पर ध्यान दें और सभी घाटों पर ब्लीचिंग पाउडर डालकर स्वच्छ रखें तो श्रद्धालुओं की संख्या ऐसे ही बढ़ जाएगी। आने वाले श्रद्धालुओं ने शीघ्र साफ सफाई करने की मांग की है।