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छत्तीसगढ़

नशाखोर शिक्षकों से कैसे सुधरेगा प्रदेश के नौनिहालों का भविष्य

कसडोल । बलौदाबाजार जिला कसडोल विधानसभा में दो नशेड़ी शिक्षकों को निलंबित किया गया। स्कूल को शिक्षा का मंदिर और शिक्षकों को गुरु का दर्जा दिया गया है। गुरु: ब्रह्मा, गुरु: विष्णु, गुरु: देवो महेश्वरा ; गुरुदेव साक्षात परब्रह्मा तस्मै गुरुवे नम:! गुरु ही नशे कि हालत में स्कूल पहुँचे तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा? इसे सोचने और समझने वाली बात है। ऐसे शिक्षक बच्चों के भविष्य पर ग्रहण लगाने का काम कर रहे है।
एक मामला कसडोल विकासखण्ड के पूर्व माध्यमिक शाला नवापारा (अमोंदी/कटगी) से जहाँ प्रधान पाठक सहित चार शिक्षक पदस्थ है। चारों शिक्षा विभाग से बराबर तनख्वाह लेते पर अपने मनमर्जी से काम करते हुए सरकारी आदेशो की धज्जियां उड़ाते हुए देखे जाते थे। जिसकी शिकायत पालक और बच्चों ने मिलकर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी राधेलाल जायसवाल से किया था। शिकायत के आधार पर जाँच करने के लिए सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी रमाकांत देवांगन स्कूल पहुँचे थे। जहाँ जांच अधिकारी ने पालक व विद्यार्थियों, शिक्षको के सामने जांच कर पंचनामा तैयार किया। पालक और बच्चों ने प्रधानपाठक नारायण टंडन और शिक्षक छोटुदास महंत पर शराब पीकर नशे की हालत में स्कूल पहुंचने का आरोप लगाया था। जाँच प्रतिवेदन के आधार पर दोनो शिक्षको को सस्पेंड किया गया है और विकासखण्ड कार्यालय कसडोल में उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है। वही वंदना शर्मा पर समय में स्कूल नही आने का आरोप लगाया था, साथ ही ललितनारायण शर्मा पर समय पर स्कूल नही आने और कभी आ जाते। तो क्लास रूम में सोने का आरोप बच्चों और पालकों ने लगाया था। इन दोनों पर कार्यवाही करते हुए एक इन्क्रीमेंट रोकने का आदेश जारी किया गया है। राज्य सरकार शिक्षा को लेकर बड़े- बड़े दावे करती नजर आती है परन्तु ऐसे शिक्षकों के कारण शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद होती नजर आ रही है।
विकास खंड शिक्षा
अधिकारी का कहना है
विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी राधेलाल जायसवाल का कहना है -शिकायत और जाँच प्रतिनिवेदन के आधार पर वंदना शर्मा और ललित नारायण शर्मा का एक इन्क्रीमेंट रोकने का आदेश दिया गया है और प्रधानपाठक नारायण टंडन और छोटू दास महंत को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए विकासखण्ड मुख्यालय कसडोल में संलग्न किया गया है।

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