छत्तीसगढ़

पाथ-वे की घेराबंदी, सड़क किनारे बैठकर सामान बेचने वाले परेशान

दंतेवाड़ा । एक ओर केंद्र की मोदी सरकार रेहड़ी पटरी वालों का आर्थिक सामथ्र्य बढ़ाने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने विभिन्न योजनाएं चलाकर उन्हें सशक्त करने का प्रयास कर रही है तो वहीं छत्तीसगढ़ की भुपेश सरकार के राज में सड़क किनारे बैठकर छोटी मोटी जरूरत की वस्तुएं बेचकर अपना पेट पालने वाले छोटे दुकानदारों के साथ कुठाराघात किया जा रहा है उनकी परवाह न करते हुए पथवे पर बेरिकेटिंग्स कर घेराबंदी की जा रही है। पाथ वे की घेराबंदी किए जाने से तीज त्यौहारों एवं मेला मंडई के अवसर पर गांव देहात से आकर पूजा सामाग्री, मिटटी के दिये, फल-फूल इत्यादि सामाग्री बेचने वाले गरीबजनों के सामने विकट समस्या खड़ी हो गई है।
पाथवे फिनिशिंग के नाम पर बेरिकेटिंग्स करने का मामला धर्मनगरी दंतेवाड़ा की है। गौरतलब है कि दंतेवाड़ा एक आदिवासी बाहुल्य जिला है। गांव देहात से बड़ी संख्या में रोजाना ग्रामीण साग भाजी, फल-फूल के साथ ही तीज त्यौहारों पर पूजा सामाग्री आदि लाकर मुख्य सड़क किनारे सीमेंट के बने पाथ वे पर बैठकर किसी तरह अपनी सामाग्री बेचकर अपना गुजारा करते हैं लेकिन अब उस पाथवे पर भी प्रशासन की टेढ़ी नजर पड़ गई है और इस पाथवे को अब प्रशासन लोहे की स्थाई बेरिकेटिंग्स कर घेराबंदी करवा रही है। जानकारी के मुताबिक पुराने धर्मशाला के सामने से लेकर रेस्ट हाउस तक करीब 400 मीटर तक 12 लाख रूपए खर्च कर पाथवे फिनिशिंग के नाम पर लोहे की बेरिकेटिंग्स लगाकर घेराबंदी करने का काम तेजी से चल रहा है। ऐसे में अब सवाल यह कि गांव देहात से समय समय पर आकर पाथवे पर बैठकर सामान बेचने वाले का क्या होगा? वे कहां बैठकर अपना सामान बेचेंगे? उनके लिए तो बड़ी समस्या खड़ी हो गई है उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि अब वे क्या करें। रेहडी पटरी वालों का कहना है कि ऐसा कर प्रशासन हमारे साथ अन्याय कर रही है यह गरीब के पेट पर लात मारने जैसा है। बता दें कि प्रशासन ने पहले ही शहर की मेला मंडई वाले स्थल को नगर विकास के नाम पर हथिया लिया है। मेला लगने वाले स्थल मेंढका डोबरा मैदान को डोम सीट लगाकर मैदान को खास आयोजन के लिए सीमित कर लिया गया। बाकी बचे जगहों पर भी कुछ ना कुछ निर्माण हो रहा है ऐसे में अब नगर में खाली जमीन बची नहीं है। दक्षिण बस्तर की प्रसिद्ध मेला मंडई भी धीरे धीरे सिमटकर केवल परंपरा तक ही सीमित रह गया है। पूर्व के वर्षो की भांति दंतेवाड़ा मेले में अब वो रस व भीड़ नहीं होती। व्यापारी भी आने से कतराने लगे हैं। बची खुची पाथवे की जगह जहां रेहडी पटरी वाले गांव देहात के लोग तीज त्यौहारों एवं मेला मंडई के अवसरों पर आकर सामान बेचते थे उन जगहों को भी घेराबंदी कर आम लोगों की समस्याओं को बढ़ाया जा रहा है। कार्य शुरू करने से पहले प्रशासन को गणमान्य नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों, मंदिर कमेटी के सदस्यों को बुलाकर एक संयुक्त बैठक कर सभी की रायशुमारी से सहमति लेकर यह कार्य शुरू किया जाता तो बेहतर होता।

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