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छत्तीसगढ़

अब देवभोग की धरती पर भी होगी सौंफ,अजवाइनऔर पान की फसल

देवभोग । नई फसलों को लेकर किसान अवनीश पात्र का प्रयोग सफल हो गया है। किसान अवनीश ने तीन साल तक करीब 15 डिसमिल में सौंप, अजवाईन, पान और कालीमिर्च की नई फ़सल लगाकर उसे गोबर खाद और कीटनाशक के रूप में गौ मूत्र का छिड़काव करते हुए फ़सल को तैयार किया। अवनीश ने इस दौरान क्षेत्र की जलवायु को भी भापा। तीन साल तक नई फसलों की खेती करने के बाद जो परिणाम आये, वह किसान अवनीश के लिए संतोषभरा रहा। उन्होंने जो सोचा था, फ़सल उनके अनुकूल हुआ। अब अवनीश इस खेती को जल्द ही बड़े स्तर पर करने की तैयारी कर रहे है। यहां बताना लाजमी होगा कि अब तक देवभोग की धरती में कभी पान और अजवाईन की खेती नहीं हुई थी। लेकिन किसान अवनीश की मेहनत से नई फसले तैयार होकर आसानी से क्षेत्र के लोगों के बीच पहुँच जायेगी।
औषधि पौधों के संरक्षण का पेश कर रहे जबरदस्त उदाहरण: आज के समय में ज़ब लोग सिर्फ मुनाफे के लिए बगीचा में फल और सब्जी की फ़सल लेकर उसे बेचकर मुनाफा कमाने की सोचते है। लोगों का ध्यान औषधि पौधों पर ना के बराबर रहता है। ऐसे समय में जनहित को देखते हुए किसान अवनीश ने अपने बगीचे में 350 प्रकार के औषधि प्रजाति के पौधों का संरक्षण किया है। किसान अवनीश ने बताया कि उनके यहां सीता अशोक, दाल चीनी, काली मिर्च, मौल श्री, आंवला, भृगराज, सतावर के साथ ही अन्य कई औषधि पौधे लगाए गए है। अवनीश के मुताबिक जो भी जरूरत मंद उनसे औषधि की मांग करता है। वे उसे उपलब्ध करवाते है। किसान अवनीश के मुताबिक उन्हें 350 प्रकार के औषधि को लाने में बहुत मेहनत करना पड़ा। उन्होंने ओडि़सा की हर्बल नर्सिंया, इंद्रा गाँधी क़ृषि विश्व विधालय रायपुर, वन विभाग की नर्सरी के साथ ही जंगल से कुछ पौधे जानकार या वैध के मदद से लाकर बगीचा में लगाया है।
बगीचे में बहु फसलीय प्रदर्शन का जबरदस्त उदाहरण: किसान अवनीश के माहुलकोट स्थित 10 एकड़ के बगीचे में बहु फसलीय प्रदर्शन का जबरदस्त उदाहरण देखने को मिलता है। अवनीश के मुताबिक उनके बगीचे में फल उद्यान में आम, नीबू, कटहल, चिंकू, नारियल, अनार, स्टार फ़्रूट, अमरूद और पपीता लगा हुआ है। जबकि बगीचे के दूसरी तरफ सब्जी वर्गीय फ़सल में लौकी, करेला, कद्दू, भिंडी, गोभी, टमाटर के साथ ही अन्य कई फ़सल लगाया गया है। वहीं मसाला वर्गीय फ़सल में धनिया, अजवाईन, सौंप, लहसुन, प्याज़, तेजपत्ता के साथ अन्य मसाला की फ़सल ली गई है। वहीं औषधि फ़सल के साथ फूल वर्गीय पौधे जैसे गेंदा, गुलाब, ग्लोडियस, बेजी, कोसमोस, चमेली और रजनीगंधा बगान की खूबसूरती बढ़ा रही है।
प्राकृतिक और जैविक खेती का है बहुत ज्यादा महत्व: किसान अवनीश ने बताया कि आज से करीब 11 साल पहले ज़ब उन्होंने यहां खेती शुरू की थी। तो यहां एक पौधा लगाकर या फ़सल लगाकर उसे तैयार करना किसी असंभव से कम नहीं था। बंजर जमीन पर दूर-दूर तक पौधे नहीं दिखते थे। ऐसे में ज़ब अवनीश ने मेहनत करना शुरू किया तो लोगों ने कई दफ़े उन्हें टोका। दृढ़ निश्चय रखने वाले अवनीश कभी भी अपने निर्णय से नहीं डगे। उन्होंने शुरू से ही गोबर खाद और गौ मूत्र से बना कीटनाशक बनाकर खेतों में उसे डालकर खेती शुरू की। शुरूवात में चार साल तक बहुत मेहनत करने के बाद भी परिणाम नहीं दिखा। पाँचवे साल में अवनीश की मेहनत रंग लायी और चारों तरफ बंजर जमीन में हरियाली छा गई। अवनीश ने बताया कि प्राकृतिक और जैविक खेती से हुआ अनाज या अन्य फसलों का सेवन करने से शरीर भी स्वस्थ बना रहता है।

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