आनंद मेला में सिर्फ दो घंटे में बच्चों ने किया 28 हजार रुपए का व्यापार
छुरा । शासकीय आदर्श पूर्व माध्यमिक विद्यालय द्वारा आयोजन किया गया। आनंद मेला, मातृ सम्मेलन एवं सांस्कृतिक उत्सव की अद्वितीय कार्यक्रम आयोजित हुआ।
नगर पंचायत अध्यक्ष खोमन चंद्राकर, जनपद पंचायत अध्यक्ष तोकेश्वरी मांझी, वरिष्ठ पार्षद यशपेन्द्र शाह, मक्खू महाराज, भोलेशंकर जायसवाल, पार्षदगण भारती सोनी, मीना चंद्राकर, चित्ररेखा ध्रुव, देवमती साहू, शाला प्रबंधन एवं विकास समिति अध्यक्ष संतराम साहू, शिक्षाविद के.आर. सिन्हा, एस.आर. निषाद, बी.एल.तारक, उखराज ध्रुवा, रामसिंग ध्रुव के आतिथ्य में मां भारती, छत्तीसगढ़ महतारी, मां शारदे की पूजा अर्चना कर इस आयोजन की शुरुआत हुई। आनंद मेला में शालेय बच्चों द्वारा बड़े पैमाने पर स्टाल के माध्यम से खाने पीने की चीजें एवं विविध प्रदर्शनी लगाई गई थी। गढ़ कलेवा की तर्ज पर पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन माड़ा रोटी, चीला रोटी, हल्दी पत्ते से बना अंगाकर रोटी, सिलपट्टा चटनी, ठेठरी, खुरमी, अइरसा, गुजिया, चखली, कुशली, मूंग बड़ा, मुरकू, कटवा रोटी, मिर्ची भजिया का ख़ूब लुत्फ उठाया। वही मोमोस, चाऊमीन, सोया चिल्ली, पनीर मसाला, मेथी पराठा, गोभी पराठा, आलू पराठा, आलू टिकिया, भेल, गुपचुप, इडली, दाबेली, पूड़ी सब्जी जैसे चटपटे व्यंजन का भी आनंद लिया।
प्रदर्शनी के माध्यम से धान से बने अलग-अलग तरह के झूमर, झालर, सिंघौला, बांस से बने विभिन्न सामग्री, कबाड़ से जुगाड़, अद्भुत कलाकृतियों, मिट्टी से बने खिलौने ने सबको आकर्षित किया। वही कागज एवं अन्य सामग्री द्वारा निर्मित छत्तीसगढ़ी आभूषणों ने भी खूब लुभाया। आनंद मेला की सभी सामग्री खरीदने के लिए पांच एवं दस के कूपन बनाए गए थे। बच्चों के व्यापार विनिमय की कला को निखारने के लिए बहुत सारे तरीके से मंच प्रदान किया गया था। महज़ दो घंटे में ही बच्चों ने अ_ाईस हजार, सात सौ, छप्पन रुपए का व्यापार किया। पश्चात पालक- बालक-शिक्षक-समुदाय को जोडऩे के लिए मातृ सम्मेलन का व्यापक आयोजन किया गया। विदित हो कि आदर्श विद्यालय में छुरा ही नहीं वरन जिले के कोने-कोने से, दूरदराज से बच्चे पढऩे आते हैं। गरियाबंद जिले के अलावा महासमुंद, धमतरी, रायपुर बलौदाबाजार जिले के बच्चे भी अध्ययनरत हैं। माताओं से विद्यालयीन बच्चों की पढ़ाई, नैतिक शिक्षा एवं अन्य गतिविधियों का फीडबैक लिया गया।
छत्तीसगढ़ के पारम्परिक व्यंजन, पारंपरिक वेशभूषा और प्राचीन काल में उपयोग किए जाने वाले घरेलू एवं अन्य औजारों से संबंधित प्रश्नोत्तरी आयोजित हुई। छत्तीसगढ़ी जनउला ने भी पूरे दर्शकदीर्घा को आनंद लेने का अवसर प्रदान किया। मजेदार प्रश्नों का मजेदार जवाब भी सुनने को मिला। सही जवाब देने वाली माताओं को सम्मानित भी किया गया। उपस्थित माताओं, जनप्रतिनिधियों का रस्साकस्सी और कुर्सी दौड़ प्रतियोगिता भी रखा गया। जिसमें बड़ी संख्या में दर्शकों ने भाग लिया। आनंद मेला एवं मातृ सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ शिक्षक एम.एल.सेन एवं सी.आर. सिन्हा ने किया। उपस्थित दर्शक एवं अतिथियों के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई थी। भोजन उपरांत सांस्कृतिक एवं साहित्यिक प्रतिभाओं का मंचन हुआ।