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छत्तीसगढ़

सड़कों पर मवेशियों का कब्जा, चलना हुआ मुश्किल, सड़क दुघर्टना का एक बड़ा कारण

राजिम । सड़को पर मवेशियों का डेरा जमाने से आम राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले के अधिकांशत: व्यस्त सड़को पर मवेशियों का कब्जा देखने को मिल जायेगा जो दर्जनों की संख्या में सड़कों पर डेरा जमाने और लड़ाई झगडऩे के चलते व रात के समय अंधेरे में अचानक बीच सड़को पर आ जाने से राहगीरों को दुर्घटना का शिकार होना पड़ रहा है तो वही मवेशी मालिक अपने मवेशी को लेकर किसी भी प्रकार से घटना की अंदेशा को लेकर गंभीर दिखाई नहीं दे रहे है रात्रि के समय अपने मवेशी को अपने कब्जे में नहीं रखने के चलते मवेशी सड़को पर बैठे रहते हैं हटने का नाम नहीं लेते हैं राहगीर जो राह चलते दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं वे शासन प्रशासन को कोश रहे और मवेशी मालिकों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रयागराज राजिम शहर के पंडित श्यामाचरण शुक्ला चौंक, बस स्टैंड स्थित पंडित सुंदरलाल शर्मा चौंक, गोवर्धन चौंक, महामाया चौंक, राजिम भक्तिन माता चौंक, चौबेबांधा तिराहा अटल चौंक, पथर्रा रोड न्यायालय के पास, मां कौशल्या गार्डन के सामने, शिवाजी चौंक, आमापारा, श्रीराम चौंक, तहसील चौंक, कृषि उपज मंडी चौंक के अलावा राजिम पुल में भी यह मवेशी सड़क को घेरकर या तो खड़े रहते हैं या फिर पालथी मारकर बैठ जाते हैं। यह एक दो नहीं बल्कि दर्जनों की संख्या से भी ज्यादा होते हैं। कई बार तो पूरी सड़क पर मवेशी बैठे दिखाई देते हैं और राहगीर अपने गाड़ी को नीचे उतार कर यात्रा करते हैं। सड़क पर बैठने से या आपस में लड़ाई झगडऩे के चलते कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सकारात्मक हल नहीं निकला है जो चिंता का विषय बन गया है। बताया गया कि कल रात में 8:00 बजे एक बाइक सवार जमकर गिरे, गनीमत है कि उनको ज्यादा छोटा नहीं आई वरना लेने के देने पड़ जाते। यहां राहगीर रायपुर से होकर वापस फिंगेश्वर जा रहे थे। बताना होगा कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 सी शहर के अंदरूनी भागों से होकर निकलती है। छोटी बड़ी लोडिंग एवं अनलोडिंग गाडिय़ां हमेशा सरपट दौड़ती रहती है। राजिम शहर राजधानी रायपुर से लगा हुआ है। दुर्ग भिलाई कवर्धा बिलासपुर जैसे बड़े शहरों के लोग बड़ी संख्या में अक्सर नगर आते रहते हैं। इनके अलावा पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश से ही नहीं बल्कि दीगर राज्यों से भी व्यापार, पर्यटन, दर्शन पूजन, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक आदि क्षेत्रों में सक्रिय निर्वहन के लिए आना जाना लगा रहता है। यह शहर राजधानी को जिला मुख्यालय गरियाबंद से जोड़ती है। इसके अलावा महासमुंद, धमतरी इत्यादि शहर नजदीक में होने के कारण आवागमन लगा रहता है। अब तेजी के साथ शहर की आबादी भी बढ़ रही है तथा सड़कें यातायात के दबाव के चलते छोटी होती जा रही है और ऊपर से उसमें मवेशी कब्जा कर रहे हैं। इन्हें यहां से भगाने वाला कोई नहीं है। तो वही दूसरी ओर यह बेचारी गाय जाए तो जाए कहां?
धूल खा रहे पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा बनाए गए गौठान
पूर्ववर्ती सरकार ने गायों की चिंता करते हुए प्रत्येक गांव, शहर में गोठान निर्मित किए हैं। वर्तमान में यह गौठान बंद पड़ा हुआ धूल खा रहे हैं। इसे बनाने में ही लाखों रुपया खर्चा हुआ है। वर्तमान सरकार के द्वारा गौठान योजना पर ध्यान नहीं देने से अब इसका अस्तित्व ही समाप्त होते जा रहा है। किसान अपने मवेशी को खुला छोड़ रहे हैं। अब उनके रहने तथा चारे पानी के इंतजाम नहीं हो पा रहा है जिससे वह या तो सड़क पर खड़ा होकर किसी के गाड़ी के डिक्की पर सब्जियां ढूंढते हुए मुंह मारते हैं तो कहीं पर चारा नहीं मिलने के कारण पॉलीथिन और कागज के टुकड़े को हजम कर रहे हैं। खास बात यह है कि यह झिल्ली पेट में जाने के बाद वहीं रुक जाते हैं जिससे गौ माता बीमार पड़ रही है। उनके देखने वाला कोई नहीं है जिसके कारण गौ वंश की संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है।
मवेशी सड़कों पर न रहे इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत
गाय से मनुष्य को अनेक फायदा है लेकिन इनके चिंता करने वाला न पशु मालिक दिखाई दे रहा है और न ही सरकार कुछ कर पा रही है जिससे यह मूक जानवर सड़क पर खड़े होकर यातायात को बाधित कर रहे हैं। इस संबंध में कुछ लोगों से बात किया तो उन्होंने कहा कि क्या करें साहब, किसान पैरा को खेत में ही जला देते हैं। हरि घास के लिए चारागाह नहीं है। कोई कोई सरकार ने 5 एकड़ जमीन चारागाह के लिए आरक्षित करने का काम भी किए हैं लेकिन वह जमीन कहां है। बता पाना मुश्किल है। गोवंश की वृद्धि के लिए आम जनता और सरकार दोनों को आगे आना चाहिए तथा उनके पालन के लिए कोई अलग से योजना बनानी होगी ताकि यह सड़क पर ना रहे और पशुपालक इनका जतन करें तथा फायदा भी प्राप्त करें।
बढ़ती आबादी के साथ सड़क की चौड़ाई पड़ रही छोटी
शहर की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है तथा आवागमन भी तेजी के साथ बढ़ा हुआ है सुबह के समय सबसे ज्यादा दिक्कत होती है जब लोग काम करने के लिए शहरों में आते हैं और आवागमन करते हैं इसके बाद स्कूल टाइम सुबह 10:00 बजे सड़क छात्र-छात्राओं से भर जाता है। 10:00 के बाद लेनदेन के लिए आए हुए लोगों से सड़क खचाखच रहते हैं। शाम 4:00 बजे से 5:30 बजे तक स्कूल कॉलेज की छुट्टी के समय सड़क पर साइकिल और मोटर गाडिय़ों का रेलम पेल लगा रहता है। पिछले 20 सालों से सड़क की चौड़ाई पहले जो थी अब भी वही है। इन 20 सालों में शहर की आबादी भी तेज गति से बढ़ा है। यहां तक की छोटी बड़ी सभी गाडिय़ां शहर के अंदरूनी भागों से होकर गुजरती है। बाईपास सड़क यहां के लोगों का सपना हो गया है। डिवाइडर रोड ख्वाब से होकर डिलीट हो गए हैं। खाने को तो शहर है लेकिन सड़क के मामले में गांव जैसी सुविधाएं देख कर राहगीर शासन प्रशासन को कोसते हैं।

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